Adani-Hindenburg row: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह बाजार के उतार-चढ़ाव से इनवेस्टर्स की रक्षा करने के उद्देश्य से एक कमेटी बनाने के लिए तैयार है। यह कमेटी मौजूदा रेगुलेटरी मैकेनिज्म को मजबूत बनाने के लिए सुझाव सौंपेगी। हालांकि, सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि कमेटी का अधिकार क्षेत्र खासा अहम होगा, क्योंकि इसका व्यापक असर होना तय है। सॉलिसिटर जनरल ने बेंच से कमेटी के सदस्यों के लिए सुझाए गए नामों के साथ अन्य डिटेल सीलबंद लिफाफे में जमा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। एसजी ने यह भी कहा कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg report) के बाद बाजार में आए उतार-चढ़ाव जैसे हालात से निबटने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
कोर्ट ने अन्य डिटेल्स की जांच के लिए इस मामले में सुनवाई 17 फरवरी के लिए टाल दी है। कोर्ट में अडानी-हिंडनबर्ग विवाद में फाइल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।
इस मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी। इस दौरान कोर्ट ने मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) से भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस पर सुझाव देने को कहा था। SEBI की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा था कि वे इस मामले पर सोमवार को पूरी जानकारी के साथ आएं। कोर्ट ने पूछा था कि क्या सरकार मौजूदा मैकेनिज्म पर सुझाव देने के लिए एक कमेटी के गठन के लिए तैयार है। साथ ही पूछा था कि कमेटी के मेंबर्स कौन होंगे।
दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट
वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर पीआईएल में कहा गया था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से देश की इकोनॉमी को खासा झटका लगने के बावजूद सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। एमएल शर्मा द्वारा दायर एक अन्य पीआईएल में ‘शॉर्ट सेलिंग’ को अपराध घोषित करने और अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और उनके सहयोगियों पर मुकदमा चलाने की मांग की गई।