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सुप्रीम कोर्ट से झटके के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयरों में दूसरे दिन भी गिरावट जारी, आगे का क्या है रास्ता?

Vodafone-Idea: भारती एयरटेल के पूर्व सीईओ संजय कपूर ने वोडाफोन आइडिया की मौजूदा स्थिति को 'खतरनाक' बताया हैं। उन्होंने ये भी कहा कि इस बात की संभावना नहीं है कि सरकार वोडाफोन आइडिया में 51% शेयर होल्डिंग की सीमा को पार करना चाहेगी

Curated By: Abhishek Guptaअपडेटेड May 20, 2025 पर 3:09 PM
सुप्रीम कोर्ट से झटके के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयरों में दूसरे दिन भी गिरावट जारी, आगे का क्या है रास्ता?
सुप्रीम कोर्ट से झटके के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयरों में दूसरे दिन भी गिरावट जारी

Vodafone Idea Share: सोमवार को बड़ी गिरावट के बाद मंगलवार, 20 मई को भी वोडाफोन आइडिया के शेयरों में 2.5% की गिरावट देखने को मिली है। बीते दिन कंपनी के 8% गिरे थे। शेयरों में गिरावट के पीछे वजह सुप्रीम कोर्ट से कंपनी को मिला झटका था। दरअसल वोडाफोन आइडिया ने 30,000 करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाये से राहत के लिए एक रिट याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। बीते दिन सर्वोच्च अदालत ने उसे खारिज कर दिया। SC से इस झटके पर मार्केट ने भी रिस्पॉन्ड किया और कंपनी के शेयरों में 8% की बड़ी गिरावट को देखने को मिली। इस गिरावट के बाद कंपनी 2024 के अपने हाई 19.18 रुपये से 65% से अधिक नीचे आ गई है।

मंगलवार को सीएनबीसी-टीवी18 के साथ बातचीत में भारती एयरटेल के पूर्व सीईओ संजय कपूर ने वोडाफोन आइडिया की मौजूदा स्थिति को 'खतरनाक' बताया हैं। उन्होंने ये भी कहा कि इस बात की संभावना नहीं है कि सरकार वोडाफोन आइडिया में 51% शेयर होल्डिंग की सीमा को पार करना चाहेगी। इसके पीछे की वजह ये है कि सरकार के पास उनके पास पहले से ही दो टेलिकॉम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल की देखभाल की जिम्मेदारी है। वैसे वोडाफोन आइडिया ने पहले ही चेतावनी दी हुई है कि अगर उसे सरकार से कोई और समर्थन नहीं मिला तो वह चालू वित्त वर्ष 2026 से आगे जारी नहीं रह पाएगी।

क्या रिलायंस जियो और भारती एयरटेल कर सकते है VIL के साथ विलय?

संजय कपूर ने कहा कि, भारत के टेलिकॉम मार्केट में दो प्रमुख ऑपरेटर रिलायंस जियो और एयरटेल बाजार के अधिकतम हिस्से पर कब्जा जमाए हुए है। वोडाफोन आइडिया के बाजार हिस्से में भी वो लगातार सेंधमारी कर रहे है। VIL से प्राप्त बाजार हिस्सेदारी के लाभ पर वो बिना किसी चिंता के अपनी कीमत पर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि, ऐसे में वे ऐसी कंपनी में निवेश क्यों करेंगे और उसे क्यों खरीदेंगे? इसलिए मुझे नहीं लगता कि उन दोनों में से कोई भी आगे बढ़कर VIL के साथ विलय करेगा। और हमने पहले ये देखा हुआ कि कैसे वोडाफोन और आइडिया का विलय सफल नहीं रहा।

हर मोर्चे पर नाकाम रही वोडाफोन आइडिया : संजय कपूर 

भारती एयरटेल के पूर्व सीईओ ने कहा, VIL के पास अब दूसरा विकल्प यह है कि दुनिया के दूसरे देशों के ऑपरेटर भारत की ओर रुख करें और कंपनी के साथ साझेदारी करें। खैर, यह विकल्प हमेशा उपलब्ध था। क्या आपको लगता है कि VIL ने दुनिया भर के ऑपरेटरों और निवेशकों के दरवाजे खटखटाए हैं? अमेरिकी ऑपरेटर यहां थे, वे चले गए। उन्होंने कहा मुझे यकीन है कि वे सभी के लिए खुले होंगे, लेकिन हमने किसी को VIL के साथ आते नहीं देखा। हर कोई जानता है की स्थिति क्या है।

फिलहाल दुनिया भर में, तीसरे और चौथे ऑपरेटर लगातार प्रतिस्पर्धा से बाहर होते जा रहे हैं। अब आप तीसरे ऑपरेटर में निवेश करते हैं, भले ही वह भारत जैसा बड़ा देश हो, आपकी संभावनाएं आपके खिलाफ हैं। क्योंकि बाजार के दो बड़े ऑपरेटरों ने पहले से ही अपनी पोजीशन जमाई हुई है, तो आप उनके साथ प्रतिस्पर्धा कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में किसी भी अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटर के आने और बाजार हिस्सेदारी खोने वाले तीसरे ऑपरेटर में पैसा लगाने की संभावना मुझे थोड़ी मुश्किल लगती है।

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