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क्या आपने कभी सोचा है कि अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स का बुलबुला कितना बड़ा है? अगर यह फूटा तो .....

2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद से अमेरिकी मार्केट्स लगातार चढ़ रहे हैं। इससे दुनिया के सभी स्टॉक मार्केट्स के बाजार पूंजीकरण में अमेरिकी मार्केट की हिस्सेदारी दो-तिहाई तक पहुंच गई है। खास बात यह है कि अमेरिकी मार्केट के इस पूंजीकरण में कुछ टेक्नोलॉजी कंपनियों की बहुत ज्यादा हिस्सेदारी है

अपडेटेड Mar 03, 2025 पर 4:14 PM
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2010 में दुनियाभर के स्टॉक एक्सचेंजों के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में अमेरिकी मार्केट की करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी थी।

ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद आई तेजी की बदौलत अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स का मार्केट कैपिटलाइजेशन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। दुनिया के सभी स्टॉक मार्केट्स के बाजार पूंजीकरण में अमेरिकी मार्केट की हिस्सेदारी दो-तिहाई हो गई है। इससे इनवेस्टर्स के पोर्टफोलियो को लेकर चिंता पैदा हुई है। बीते डेढ़ दशक में अमेरिकी स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन प्रतिद्वद्वी देशों के स्टॉक एक्सचेंजों के मुकाबले बेहतर रहा। इस तेजी में टेक्नोलॉजी शेयरों का बड़ा योगदान है। खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी कंपनियों के शेयरों की इस तेजी में खास भूमिका रही है। इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यूरोप के सभी बाजारों के पूंजीकरण के बराबर पहुंच गया है।

टेक्नोलॉजी शेयरों में गिरावट से चिंता

लेकिन, टेक्नोलॉजी शेयरों (Technology Stocks) में आई हालिया गिरावट ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है। लंदन बिजनेस स्कूल में फाइनेंस के प्रोफेसर पॉल मार्स ने कहा, "दुनिया के शेयर बाजारों के कुल पूंजीकरण में अमेरिकी बाजार (US Markets) की हिस्सेदारी दो-तिहाई पहुंच गई है। इनमें ज्यादा योगदान सिलिकॉन वैली की कंपनियों का है। इसका मतलब है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निवेशकों का यह बड़ा दांव खतरनाक हो सकता है।"


2010 में ग्लोबल मार्केट कैप में यूएस की हिस्सेदारी सिर्फ 40%

2010 में दुनियाभर के स्टॉक एक्सचेंजों के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में अमेरिकी मार्केट की करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी थी। 2025 में यह बढ़कर 64 फीसदी से ज्यादा हो गई है। 1960 के दशक के आखिर में अमेरिकी स्टॉक मार्केट अपने पीक पर पहुंचा था। उसके बाद 1973-74 में ग्लोबल मार्केट क्रैश का काफी ज्यादा असर अमेरिकी मार्केट पर पड़ा। अगले 20 सालों तक अमेरिकी मार्केट फिर से अपने पीक के करीब नहीं पहुंच पाया। तब जापान का स्टॉक मार्केट दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट बन गया था। लेकिन, 1980 के दशक के आखिर में जापान के एसेट प्राइस में बना बुलबुला आखिरकार फूट गया।

मार्केट क्रैश की चर्चा निवेशकों को बेचैन कर देती है

एनवाययू स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर रिचर्च साइला ने कहा, "हर कुछ समय के बाद फाइनेंशियल मार्केट पटरी से उतर जाता है, जैसा कि जापान में हुआ। इससे पहले हर व्यक्ति काफी उत्साहित रहता है। हर व्यक्ति खुद को अमीर समझने लगता है। लेकिन, यह ताश के पत्तों की तरफ बिखर जाता है।" इतिहास के बड़े मार्केट क्रैश से आज की तुलना कई निवेशकों को बेचैन कर देती है। आज सबसे ज्यादा सवाल अमेरिकी मार्केट को लेकर पूछे जा रहे हैं।

2010 से एसएंडपी 500 का सालाना रिटर्न 14%

हालांकि, 2008 के बाद से अमेरिकी मार्केट के लगातार शानदार प्रदर्शन को देखते हुए तेजी के इस ट्रेंड के उलटने की उम्मीद नहीं लगती। 2010 से S&P 500 इंडेक्स का सालाना औसत रिटर्न करीब 14 फीसदी रहा है। किसी दूसरे बड़े बाजार के प्रमुख सूचकांक ने इतना रिटर्न नहीं दिया है। 2023 और 2024 में आई 20 फीसदी से ज्यादा के रिटर्न ने अमेरिकी मार्केट की ताकत काफी बढ़ा दी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी Nvidia जैसी कंपनियों के स्टॉक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं।

मुट्ठीभर टेक्नोलॉजी कंपनियों के पास बाजार की चाबी

अमेरिकी मार्केट का न सिर्फ आकार चिंता पैदा करता है बल्कि कुछ खास स्टॉक्स की ज्यादा ताकत भी परेशान करती है। S&P 500 की 51.8 लाख करोड़ डॉलर की मार्केट वैल्यू में दिग्गज सात कंपनियों की हिस्सेदारी करीब एक-तिहाई है। इनमें Apple, Alphabet, Amazon, Meta, Microsoft, Nvidia और Tesla शामिल हैं। इन टेक्नोलॉजी कंपनियों की बढ़ती वैल्यूएशन खतरनाक साबित हो सकती है। इस साल जनवरी में चीन के डीपसेक के ऐलान ने मार्केट को हिला दिया। उसने कम खर्च में एडवान्स AI लॉन्च करने का दावा किया।

पहले भी रहा है किसी खास सेक्टर का दबदबा 

यह पहली बार नहीं है जब एक खास सेक्टर का दबदबा अमेरिकी बाजार पर दिख रहा है। 1800 के अंत में रेलरोड कंपनियों ने अमेरिकी स्टॉक मार्केट के डेवलपमेंट में बड़ी भूमिका निभाई थी। 1900 तक अमेरिकी मार्केट के कुल बाजार पूंजीकरण में उनकी हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा हो गई थी। एक्सपर्ट का कहना है कि आर्टफिशियल इंटेलिजेंस अभी भविष्य है। 100 साल पहले मार्केट को रेल कंपनियों में भविष्य दिखता था। उसके बाद बाजार में हर कोई इलेक्ट्रिसिटी कंपनियों के स्टॉक्स खरीदता नजर आया।

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इनवेस्टर्स डायवर्सिफिकेशन को लेकर चिंतित

किसी बहुत मजबूत इंडस्ट्री का धराशायी होना निवेशक के लिए बुरी खबर होती है। अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में टेक्नोलॉजी कंपनियों की बढ़ती ताकत निवेशकों को बेचैन कर रही है। यह एक ही बास्केट में जरूरत से ज्यादा अंडे रखने जैसा है। इसका समाधान डायवर्सिफिकेशन में दिखता है। इनवेस्टर्स अपने पोर्टफोलियो को देख रहे हैं। वे पूछ रहे हैं कि क्या उनका पोर्टफोलियो पर्याप्त रूप से डायवर्सिफायड है? इसका स्पष्ट जवाब है नहीं।

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