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iPhone की अभी नहीं बढ़ेंगी कीमतें, जानें Apple ने कैसे निकाल ली ट्रंप के टैरिफ की काट

एपल ने टैरिफ की घोषणा से पहले ही आईफोन 16 की कुछ खेपों का उत्पादन तेज कर दिया था और उन्हें अमेरिकी बाजार में पहुंचा दिया था। इससे मौजूदा स्टॉक पर टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा, जिससे कीमतें अभी स्थिर रहेंगी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, एपल ने चीन और भारत से काफी अधिक संख्या में आईफोन की खेप अमेरिका पहुंचाया है

अपडेटेड Apr 05, 2025 पर 1:37 PM
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Apple iPhone prices: एपल अपने ज्यादातर आईफोन चीन में असेंबल करता है

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति (Trump Tariffs) के ऐलान के बाद दुनियाभर में आईफोन की कीमतों (iPhone Prices)को लेकर चिंता बढ़ गई थी। आईफोन की कीमतों में 20 से 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही थी। हालांकि अब ऐसा लगता है कि एपल (Apple) ने फिलहाल के लिए इस मुसीबत से बचने का रास्ता खोज लिया है। कंपनी ने इसके लिए ट्रंप के "रेसिप्रोकल टैरिफ" लागू होने से पहले ही अपनी रणनीतियों को तेज कर दिया है, जिससे भारत और अमेरिका समेत दुनियाभर में आईफोन की कीमतों में तत्काल बढ़ोतरी की आशंका टल गई है। यह खबर उन लाखों ग्राहकों के लिए सुकून लेकर आई है जो नए आईफोन खरीदने की योजना बना रहे हैं।

ट्रंप ने 2 अप्रैल को घोषणा की थी कि सभी देशों पर 10% का बेस टैरिफ और चुनिंदा देशों पर इससे कहीं अधिक टैरिफ लगाया जाएगा, जो 5 अप्रैल से लागू होगा। इसमें चीन पर 34% (कुल 54% मौजूदा शुल्क सहित), वियतनाम पर 46%, और भारत पर 27% टैरिफ शामिल है।

चूंकि एपल अपने ज्यादातर आईफोन चीन में असेंबल करता है, इस लिए एनालिस्ट्स ने अनुमान लगाया था कि इससे कीमतों में 40% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। उदाहरण के लिए, आईफोन 16 का सबसे सस्ता मॉडल, जो अमेरिका में 799 डॉलर में बिकता है, उसका दाम 1,142 डॉलर तक पहुंचने की आशंका जताई गई थी।


हालांकि, एपल ने इस चुनौती से निपटने के लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। कंपनी ने पिछले कुछ सालों में अपनी सप्लाई चेन को चीन से बाहर डायवर्सिफाई करना शुरू किया था। भारत और वियतनाम जैसे देशों में उत्पादन बढ़ाया गया, ताकि टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके।

सूत्रों के मुताबिक, एपल ने टैरिफ की घोषणा से पहले ही आईफोन 16 की कुछ खेपों का उत्पादन तेज कर दिया था और उन्हें अमेरिकी बाजार में पहुंचा दिया था। इससे मौजूदा स्टॉक पर टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा, जिससे कीमतें अभी स्थिर रहेंगी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, एपल ने चीन और भारत से काफी अधिक संख्या में आईफोन की खेप अमेरिका पहुंचाया है।

एनालिस्ट्स का कहना है कि एपल के पास तीन विकल्प हैं: लागत को खुद वहन करना, कीमतें बढ़ाना, या उत्पादन को अमेरिका में ट्रांसफर करना। मॉर्गन स्टेनली के एक एनालिस्ट्स ने बताया, "एपल ने ट्रंप के पहले कार्यकाल में टैरिफ से छूट हासिल की थी। इस बार भी कंपनी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सकती है।" एपल के सीईओ टिम कुक ने ट्रंप के साथ अच्छे संबंधों का फायदा उठाया था और हाल ही में उन्होंने अमेरिका में 500 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया था, जिसे टैरिफ से राहत पाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

फिलहाल, भारत, अमेरिका समेत दुनिया भर के ग्राहकों के लिए राहत की बात यह है कि मौजूदा आईफोन मॉडल्स की कीमतों में बदलाव की संभावना कम है। हालांकि, एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि यह स्थिरता लंबे समय तक नहीं रह सकती। अगर टैरिफ स्थायी रूप से लागू रहे और छूट न मिली, तो आईफोन 17 जैसे भविष्य में लॉन्च होने वाले मॉडल्स की कीमतें बढ़ सकती हैं। रोसेनब्लैट सिक्योरिटीज के अनुसार, टैरिफ से एपल को सालाना 39.5 अरब डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है, जिसे कंपनी शायद पूरी तरह से खुद वहन न कर सके।

भारत के लिए भी यह खबर अहम है, क्योंकि यहां आईफोन का उत्पादन बढ़ रहा है। 27% टैरिफ के बावजूद, भारत में बने आईफोन मुख्य रूप से स्थानीय बाजार और दूसरे देशों के लिए हैं, जिससे अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर कम होगा। फिर भी, ग्लोबल सप्लाई पर दबाव से भारत में भी कीमतों पर असर पड़ सकता है।

बाजार में एपल के शेयर गुरुवार को 9% गिर गए थे, लेकिन शुक्रवार को इसमें हल्की रिकवरी देखी गई। निवेशकों को उम्मीद है कि एपल इस संकट से उबरने का रास्ता निकाल लेगा।

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