मनीकंट्रोल द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चला है कि नवंबर में उपभोग शेयरों में सबसे अधिक निराशा देखने को मिली। खपत वाले शेयरों को मांग आई गिरावट से झटका लगा है। एशियन पेंट्स, टाइटन, ब्रिटानिया और नेस्ले इंडिया उन टॉप टेन कंपनियों में शामिल रहीं जिनमें सबसे ज़्यादा निराशा देखने को मिली। नवंबर तक एशियन पेंट्स में 18 सेल कॉल, नेस्ले में 7 सेल कॉल, जबकि टाइटन और ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज में से प्रत्येक में 5 सेल कॉल थीं।
गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शहरी क्षेत्रों में खपत में मंदी, खाने-पीने की चीजों की बढ़ती महंगाई और अनसिक्योर्ड कंज्यूमर लोन में मंदी का असर उपभोक्ता शेयरों पर देखने को मिला। इस ब्रोकरेज फर्म ने आगे कहा कि खाद्य महंगाई पिछले 11 महीनों में से नौ महीनों में हाई सिंगल डिजिट में रही है। जबकि 2023 में यह मिड सिंगल डिजिट में रही थी। इसी समय अनसिक्योर्ड कंज्यूमर लोन में भी गिरावट आई है। अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन की ग्रोथ फरवरी में सालाना आधार पर लगभग 20 फीसदी थी। ये सितंबर में घटकर लगभग 11 फीसदी पर आ गई।
सबसे ज़्यादा निराश करने वालों की सूची में शामिल चार उपभोक्ता शेयरों के लिए धीमी मांग निराशा की मुख्य वजह रही। आइए इन शेयरों पर डालते हैं एक नजर-
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में एशियन पेंट्स की शुद्ध बिक्री में सालाना आधार पर 5.3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। घरेलू सजावटी कोटिंग्स सेगमेंट में 6.7 फीसदी की गिरावट रही। इस सेगमेंट पर कमजोर मांग, कीमतों में कटौती, खराब प्रोडक्ट मिक्स और भारी डिस्काउंट का असर देखने को मिला। एलारा कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एशियन पेंट्स के मैनेजमेंट ने बढ़ती प्रतिस्पर्धा के असर को स्वीकार किया है। यह असर मांग में कमी के कारण और बढ़ गया है। प्रतिस्पर्धियों के विपरीत कंपनी विकास को लेकर सतर्क बनी हुई है।
कंपनी की Q2FY25 आय उम्मीद से कम रही है। इसकी सबसे बड़ी ज्वेलरी मार्जिन में 270 आधार अंकों की गिरावट रही है। जेपी मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा कि यह खराब उत्पाद मिक्स (अधिक सोने के सिक्के, कम सॉलिटेयर) और मार्केटिंग और छूट पर अधिक खर्च के कारण हुआ है। इसने कहा कि सोने के आभूषणों के लिए उपभोक्ता की प्राथमिकता और उच्च मूल्य वाले सॉलिटेयर की कमजोर मांग से मार्जिन पर दबाव पड़ने की उम्मीद है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में बिस्कुट की बिक्री में 8 फीसदी की बढ़त हुई, जबकि उम्मीद 10 फीसदी की थी। कंपनी की बिक्री में बिस्कुट की हिस्सेदारी 70 फीसदी है। इसमें कहा गया है कि प्रबंधन को कच्चे माल की लागत में भारी बढ़त के कारण आगे चलकर वॉल्यूम ग्रोथ में नरमी की उम्मीद है। ब्रिटानिया के मैनेजमेंट ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही की अर्निंग कॉन्फ्रेंस कॉल में कहा था कि प्रमुख घरेलू आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़त, किराये में बढ़ोतरी और वेतनभोगी वर्ग की धीमी ग्रोथ के कारण शहरी मांग में गिरावट आई है।
CLSA में इंडिया कंज्यूमर सीनियर रिसर्च एनालिस्ट आदित्य सोनम का नजरिया कुछ अलग था। उन्होंने कहा कि मेट्रो शहरों में मंदी खरीदारी के व्यवहार में बदलाव की वजह से आई है। मेट्रो शहरों में उपभोक्ता पारंपरिक एफएमसीजी चैनलों की तुलना में क्विक-कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर शहरी खपत वाकई धीमी हो रही होती, तो कॉन्सर्ट टिकट बिक्री और फास्ट फैशन उस तरह से फल-फूल नहीं रहे होते,जैसे वे अभी हैं। उन्होंने कहा कि ज़्यादातर क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मेट्रो शहरों के बाहर मौजूद नहीं हैं। इसलिए जब टॉप की स्टेपल कंपनियों के डेटा पर विचार किया जाता है तो मेट्रो शहरों में खपत में मंदी दिखाई देती है।
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