राइट रिसर्च की संस्थापक और फंड मैनेजर सोनम श्रीवास्तव ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि 2025 में घरेलू उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, आईटी, पूंजी बाजार और सरकारी पूंजीगत व्यय से जुड़े क्षेत्रों को ज्यादा अहमियत मिलने की संभावना है। उनके अनुसार, उपभोग-आधारित उद्योगों को स्थिर मांग से लाभ हो सकता है, वैश्विक स्थितियों में सुधार के कारण आईटी में लगातार अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है। कैपिटल मार्केट को मजबूत निवेश से अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। अगर सरकार पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करती है जो इस वर्ष सुस्त रहा है,तो हम इससे जुड़े क्षेत्रों में मजबूत सुधार आते देख सकते हैं।
इक्विटी बाजार और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में 10 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ सोनम का मानना है कि आगामी नतीजों के मौसम में मजबूत क्रेडिट ग्रोथ और असेट क्वालिटी में में सुधार के कारण बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की तरफ से लीडरशिप आने की उम्मीद है।
इक्विटी बाजार में सावधानी बरतने की जरूरत
सोनम ने आगे कहा कि अब इक्विटी बाजार में सावधानी बरतने की जरूरत है। ग्लोबल बाजारों में अमेरिका में बढ़ते कर्ज स्तर और डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर स्पष्टता की कमी के कारण आर्थिक और नीतिगत अनिश्चितता बहुत ज्यादा है। यहां तक कि भारत में भी आर्थिक विकास धीमा हो गया है और महंगाई में बढ़त के कारण दरों में कटौती में देरी हुई है। ग्लोबल और घरेलू अनिश्चितताओं को देखते हुए संतुलित नजरिया बनाए रखना जरूरी है। हालांकि, बजट बाजार को दिशा प्रदान कर सकता है। लेकिन बाजार पर ज्यादा असर वैश्विक मौद्रिक रुझानों और कमोडिटी कीमतों जैसे बाहरी कारकों का ही होगा।
IPO बाजार का प्रदर्शन बाजार की भावना और नकदी की स्थिति पर करेगा निर्भर
IPO बाजार पर बात करते हुए सोनम ने कहा कि IPO बाजार का प्रदर्शन बाजार की भावना और नकदी की स्थिति पर बहुत अधिक निर्भर करेगा। SME सेगमेंट में, डिजिटल और तकनीक कंपनियां इनोवेशन और डिजिटलीकरण की ओर चल रही बयार को देखते हुए लीड कर सकती हैं।
तीसरी तिमाही में अच्छे रह सकते हैं बैंकिंग और वित्तीय सेवा कंपनियों के नतीजे
उन्होंने आगे कहा कि तीसरी तिमाही में बैंकिंग और वित्तीय सेवा कंपनियों के नतीजे अच्छे रह सकते हैं। अच्छी क्रेडिट ग्रोथ और असेट क्विलिटी में सुधार के कारण बैंकिंग और वित्तीय सेवा कंपनियों का प्रदर्शन सबसे अच्छा रह सकता है। आईटी सेवाओं में भी सुधार के संकेत दिख सकते हैं क्योंकि इनके ग्राहक अब नई टेक्नोलॉजी में खर्च बढ़ाने को मूड में लग रहे हैं। इसके तीसरी तिमाही में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स,ऑटो और ऑटो एंसिलरी सेक्टर के त्यौहारी सीज़न की मांग और इनपुट लागत में कमी का फायदा मिल सकता हैं। हालांकि, ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण निर्यात-आधिरित उद्योग दबाव में रह सकते हैं।
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