बाजार की आगे की दशा और दिशा पर चर्चा के लिए सीएनबीसी-आवाज़ के साथ जुड़े Citrus Advisors के फाउंडर संजय सिन्हा। संजय सिन्हा ने कहा कि शॉर्ट टर्म में बाजार पर इवेंट्स का असर बहुत ज्यादा पड़ता है। इस समय तीन चार ऐसे इवेंट्स हैं जिनका बाजार पर बहुत ज्यादा असर होगा। इनमें से सबसे बड़ा इवेंट मिडिल ईस्ट का संघर्ष है। अगर ये संघर्ष विकराल रूप ले लेता है तो क्रूड की कीमतों पर इसका सीधा असर होगा। हम सभी जानते कि हम करीब 255 मिलियन टन क्रूड आयात करते हैं। क्रूड के आयात पर सालाना 130-150 बिलियन डॉलर खर्च होते हैं। अगर क्रूड के दाम बढ़ते हैं तो उसका सीधा असर हमारी इकोनॉमी और करेंसी पर पड़ेगा। अगर भारत में एफआईआई की तरफ से भारी बिकवाली हो रही है तो इसका एक कारण ये भी है।
उन्होंने आगे कहा कि यूएस इलेक्शन के नतीजे भी बाजार पर अपना असर दिखाएंगे। इन नतीजों के बाद अमेरिका की इकोनॉमिक पॉलिसी की दिशा साफ होगी और फेड रेट कट पर भी अंदाजा लगाया जा सकेगा। ये तो विदेशी फैक्टर हैं जो अगले 2-3 महीनों में बाजार पर अपना असर डालेंगें। इसके अलावा दो घरेलू फैक्टर भी हैं जो बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। महाराष्ट्र के अगले कुछ महीनों में होने वाले इलेक्शन से लोगों की उम्मीदें बहुत ज्यादा रहेंगी। ये देखने को मिल रहा है कि हर स्टेट इलेक्शन को सेंट्रल बैंक का रिफरेंडम माना जाता है। ऐसे में महाराष्ट्र के इलेक्शन के नतीजों पर भी बाजार की नजरें रहेंगी।
इसके साथ ही बाजार की नजर दूसरी तिमाही के नतीजों पर रहेगी। पिछले तीन महीने में खपत, हाउंसिग, हाउसिंग से जुड़े सेक्टरों पर मॉनसून का असर पड़ा है। ये असर कितना और कैसा रहा है ये देखना जरूरी होगा। बाजार इस समय काफी जटिल स्थिति से गुजर रहा है। ऐसे में बाजार में तभी अच्छी तेजी आएगी जब लिक्विडिटी का फ्लो बढ़ेगा। लेकिन आज की स्थिति में ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
संजय सिन्हा का कहना है कि बाजार में विदेशी निवेश में भारी कमी आई है। ग्लोबल बाजार की स्थितियां भी काफी जटिल हैं। ऐसे में घरेलू निवेशकों की भूमिका काफी अहम हो गई है जिसको को अच्छी तरह निभा भी रहै हैं। घरेलू निवेशकों से मिल रहे सपोर्ट के दम पर बाजार में किसी बड़ी गिरावट का खतरा नहीं है। अगर कोई करेक्शन आता भी है तो वह 6-7 फीसदी से ज्यादा का नहीं होगा।
संजय सिन्हा ने आगे कहा कि माहौल काफी सतर्कता वाला हो गया है। ऐसे में हो सकता है कि निवेशक शॉर्ट टर्म में ग्रोथ की तुलना वैल्यू बेस्ड इन्वेस्टिंग की रणनीति को ज्यादा वरीयता दें। ये भी संभव है कि डिफेंसिव सेक्टर ज्यादा अच्छा करें। ऐसा दिख भी रहा है। क्योंकि पिछले कुछ महीने से फार्मा, आईटी और एफएमसीजी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। वहीं, डिफेंस और रियल एस्टेट जैसे पहले के स्टार्स का प्रदर्शन पिछले तीन महीनों में काफी खराब रहा है।
बाजार पर अपनी राय देते हुए संजय ने कहा कि बाजार में पैसे सिक्लिकल सेक्टर से निकल कर डिफेंसिव सेक्टर की ओर जाते दिख सकते हैं। लेकिन भारत की स्टोरी ग्रोथ की स्टोरी है। ये भी ध्यान में रखें की ग्रोथ के स्टॉक आपको कभी भी सस्ते नहीं मिलते हैं। ये किसी करेक्शन या मायूसी के दौर में ही सस्ते मिलते हैं। ऐसे में संजय की सलाह है कि इस करेक्शन में मैन्यूफैक्चरिंग बेस्ड कंपनियों के शेयरों को एक्युमुलेट करना चाहिए। भेंड़चाल का शिकार होकर वैल्यू चेज करने या डिफेंसिव शेयरों में बड़ी मात्रा में पैसे लगाने से बचें।
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