कई छोटे सरकारी बैंकों का विलय बड़े सरकारी बैंकों में होगा। सरकारी बैंकों में बड़ा कंसॉलिडेशन होने जा रहा है। सरकार के सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी है। सरकार छोटे-छोटे कई सरकारी बैंकों की जगह कुछ बड़े सरकारी बैंक चाहती है। फाइनेंशियल सेक्टर में रिफॉर्म्स के लिहाज से यह जरूरी है। बड़े बैंक तेजी के बढ़ती इकोनॉमी की जरूरतें पूरी कर सकेंगे।
इन बैंकों का होगा बड़े बैंकों में विलय
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank), Central Bank of India (CBI), Bank of India (BoI), Bank of Maharashtra (BoM) जैसे छोटे बैंकों का विलय Punjab National Bank (PNB), Bank of Baroda (BoB) और State Bank of India (SBI) जैसे बड़े बैंकों में हो सकता है।
FY26 में इस प्लान पर पहले व्यापक चर्चा होगी
सूत्र ने बताया कि पहले इस प्लान पर सीनियर अधिकारी कैबिनेट के स्तर पर चर्चा करेंगे। उसके बाद इसे प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा, जहां इस पर विचार होगा। इस फाइनेंशियल ईयर के दौरान इस प्लान पर चर्चा के बाद अंतिम फैसला हो जाने की उम्मीद है। फाइनेंशियल ईयर 2026-27 में इस प्लान पर संबंधित बैंकों की राय मांगी जा सकती है। सूत्र ने बताया कि सरकार इस बारे में पहले सहमति बनाना चाहती है। उसके बाद ही किसी तरह का औपचारिक ऐलान होगा।
सरकारी बैंकों का कंसॉलिडेशन करना चाहती है सरकार
इस मसले के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। सरकार ने काफी पहले सरकारी बैंकों में कंसॉलिडेशन का प्लान बनाया था। लेकिन, इस मसले पर कुछ कारणों की जगह से ज्यादा प्रगति नहीं हो सकी। अब सरकार फिर से इस प्लान पर फोकस करना चाहती है। यह बैंकिंग सेक्टर में बड़े रिफॉर्म्स का हिस्सा होगा। इससे पहले सरकार ने करीब 5 साल पहले कुछ सरकारी बैंकों का विलय किया था।
2017 और 2020 के बीच 10 बैंकों का विलय हुआ था
सरकार ने 2017 और 2020 के बीच 10 छोटे सरकारी बैंकों का विलय चार बड़े सरकारी बैंकों में किया था। इससे सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 रह गई थी। तब ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय PNB में हुआ था। सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में हुआ था। हालांकि, सरकार नीति आयोग की सिफारिशों से अलग राह पर चलती दिख रही है। नीति आयोग ने इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसे छोटे बैंकों के प्राइवेटाइजेशन या रीस्ट्रक्चिरंग की सिफारिश की थी।
नीति आयोग ने दी थी सरकार को यह सलाह
नीति आयोग ने कुछ सरकारी बैंकों को बनाए रखने की सलाह दी थी। उसने कहा था कि बाकी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन किया जा सकता है, उनका विलय किया जा सकता है उनमें सरकार की हिस्सेदारी घटाई जा सकती है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि सरकार दरअसल नीति आयोग के सिफारिशों पर ही अमल कर रही है। वह सिर्फ बदली स्थितियों के साथ उनमें कुछ बदलाव करना चाहती है।
सरकारी बैंकों के शेयरों में जबर्दस्त तेजी
इस खबर का असर 15 अक्टूबर को सरकारी बैंकों के शेयरों पर देखने को मिला। निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 1.67 फीसदी चढ़कर बंद हुआ। सबसे ज्यादा 4.22 फीसदी की तेजी इंडियन ओवरसीज बैंकों के शेयरों में देखने को मिली। इसके बाद बैंक ऑफ इंडिया के शेयरों में 1.64 फीसदी, केनरा बैंक के शेयरों में 2.55 फीसदी तेजी, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के शेयरों में 1.78 फीसदी की तेजी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शेयरों में 1.04 फीसदी की तेजी आई।