Bank Nifty Expiry: कुछ हफ्ते पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने बैंक निफ्टी के एक्सपायरी का दिन गुरुवार से शिफ्ट कर शुक्रवार को करने का ऐलान किया था। इस बदलाव से मार्केट में अच्छी-खासी बहस छिड़ गई। हालांकि इसके बाद मंगलवार की शाम को जो ऐलान हुआ, उसने तो एकदम चौंका ही दिया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और एनएसई ने ज्वाइंट प्रेस रिलीज किया और इसमें बैंक निफ्टी की एक्सपायरी के लिए फिर से गुरुवार का दिन फिक्स कर दिया गया। अब इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई कि बैंक निफ्टी की एक्सपायरी डे को गुरुवार से शुक्रवार क्यों किया और फिर वापस शुक्रवार से गुरुवार क्यों किया गया?
Bank Nifty एक्सपायरी डे क्यों किया गया शुक्रवार
बीएसई के इनसाइडर्स का आरोप है कि सेंसेक्स और बैंकेक्स में वीकली ऑप्शन्स कांट्रैक्टस लाए गए थे तो बीएसई के डेरिवेटिव सेगमेंट में वॉल्यूम कम करने के लिए इसे गुरुवार से शुक्रवार किया गया। बता दें कि बीएसई के सेंसेक्स और बैंकेक्स कांट्रैक्ट में लॉन्च किए गए वीकली ऑप्शन शुक्रवार को एक्सपायर होते हैं। वहीं एनएसई के इनसाइडर्स का दावा है कि मार्केट पार्टिसपेंट्स से मिले फीडबैक के आधार पर बैंक निफ्टी की एक्सपायरी डे शुक्रवार की गई थी। मार्केट पार्टिसिपेंट्स का मानना था कि निफ्टी और बैंक निफ्टी की एक्सपायरी अलग-अलग दिन होगी तो उन्हें बेहतर तरीके से फोकस करने में मदद मिलेगी।
फिर अब क्यों बदला एक्सपायरी डेट
मंगलवार की शाम को बीएसई और एनएसई ने ज्वाइंट प्रेस रिलीज में बैंक निफ्टी की एक्सपायरी डेट दोबारा गुरुवार होने का ऐलान किया। एनएसई ने अपना सर्कुलर बीएसई के अनुरोध पर वापस लिया है। बीएसई ने इस एक्सपायरी को शुक्रवार के अलावा किसी और दिन रखने को कहा था। बीएसई ने आशंका जताई थी कि अगर निफ्टी बैंक कांट्रैक्ट शुक्रवार को एक्सपायर होगा तो इससे सेंसेक्स और बैंकेक्स डेरिवेटिव्स की ग्रोथ को झटका लगेगा। हालांकि इससे कंसेंट्रेशन रिस्क बन गया है क्योंकि अभी कैश मार्केट वॉल्यूम में 93 फीसदी हिस्सेदारी एनएसई की है और डेरिवेटिव सेगमेंट में इसकी लगभग मोनोपॉली है।
BSE को NSE के फैसले से कितनी मिली राहत
बैंक निफ्टी की एक्सपायरी गुरुवार को शिफ्ट करने के एनएसई के फैसले से बीएसई को कुछ राहत मिली है। इससे यह होगा कि बीएसई के सेंसेक्स और बैंकेक्स कांट्रैक्ट जिस दिन एक्सपायर होंगे, उस दिन कोई और कांट्रैक्ट एक्सपायर नहीं होने हैं। बीएसई के लिए एक अच्छी खबर यह भी है कि अब उसके पास अपने इंडेक्स ऑप्शन्स सेगमेंट को बढ़ाने का एक अच्छा मौका है। हालांकि यह भी है कि वह एक सीमा से अधिक एनएसई के भरोसे नहीं रह सकता है।
ऐसे में फिलहाल बीएसई के लिए सबसे अहम यह है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स को जोड़ सके। ब्लॉक डील के लिए इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स इस प्लेटफॉर्म पर आते तो हैं लेकिन रेगुलर ट्रांजैक्शन्स के लिए नहीं तो बीएसई को इसे लेकर ही फिलहाल काम करना है।