मजबूत रैली के बाद, म्यूचुअल फंड ने जून तिमाही में भारतीय बैंकों में घटाई हिस्सेदारी
Banking stocks : विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 में बैंकिंग सेक्टर के नेट प्रॉफिट मार्जिन में गिरावट देखने को मिलेगी। इसके अतिरिक्त, उन्हें ये भी लगता है कि वित्त वर्ष 2023 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में इस सेक्टर में सिस्टेमेटिक क्रेडिट ग्रोथ में कमी देखने को मिलेगी। इसके चलते पूरे बैंकिंग सिस्टम के कुल प्री-प्रॉविजनिंग अर्निंग ग्रोथ में काफी मंदी आ सकती है
जून तिमाही के नतीजों के मौसम के दौरान अब तक 26 बैंकों ने अपने नतीजे जारी किए हैं जिनमें से 12 बैंकों के मुनाफे में तिमाही आधार पर गिरावट देखने को मिली है। जबकि धनलक्ष्मी बैंक ने नेट लॉस दर्ज किया है
Banking stocks : (BSE)बीएसई के शेयरहोल्डिंग पैटर्न डेटा के मुताबिक पिछले एक साल में दिखी मजबूत रैली के बाद जून तिमाही के दौरान म्यूचुअल फंडों ने सरकारी बैंकों सहित भारतीय बैंकों में पिछली तिमाही की तुलना में अपनी हिस्सेदारी में कटौती की है। चार तिमाहियों के बाद यह पहली बार है जब म्यूचुअल फंड बैंकों में हिस्सेदारी कम करते दिखे हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च के हेड दीपक जसानी का कहना है कि जून तिमाही में, म्यूचुअल फंड्स ने कई बैंकों (सार्वजनिक और निजी दोनों ) में हिस्सेदारी बेची है और कुछ बैंक शेयरों में हिस्सेदारी जोड़ी है। यह पिछले कुछ महीनों में देखी गई रैली के बाद इन शेयरों के वैल्यूएशन पर म्यूचुअल फंड्स के नजरिए का संकेत है।
विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 में बैंकिंग सेक्टर के नेट प्रॉफिट मार्जिन में गिरावट देखने को मिलेगी। इसके अतिरिक्त, उन्हें ये भी लगता है कि वित्त वर्ष 2023 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में इस सेक्टर में सिस्टेमेटिक क्रेडिट ग्रोथ में कमी देखने को मिलेगी। इसके चलते पूरे बैंकिंग सिस्टम के कुल प्री-प्रॉविजनिंग अर्निंग ग्रोथ में काफी मंदी आ सकती है।
क्या कहते हैं आंकड़े
पिछली तिमाही से जिन पीएसयू बैंकों में म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग में गिरावट देखी गई उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। खासतौर से भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा दोनों को लगातार चौथी तिमाही में म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। इनमें म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग में क्रमशः 100 आधार अंक (बीपीएस) और 200 बीपीएस की कटौती हुई है। इस बीच, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक में म्यूचुअल फंड हिस्सेदारी बढ़ती दिखी है।
प्राइवेट बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में भी काफी हद तक इसी तरह का ट्रेंड देखने को मिला। इस तिमाही के दौरान आरबीएल बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, सिटी यूनियन बैंक, करूर वैश्य बैंक, फेडरल बैंक, डीसीबी बैंक, बंधन बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में म्यूचुअल फंड्स की होल्डिंग्स में कमी देखने को मिली है।
गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) पर नजर डालें तो एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स, मणप्पुरम फाइनेंस, चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस और बजाज फाइनेंस में भी म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी में कमी आई है।
अप्रैल 2022 से निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में 154 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। जबकि इस साल अब तक इसमें 7.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह तेजी सराकारी बैंकों की लगातार मजबूत प्रॉफिटेबिलिटी और घटती प्रॉविजनिंग के साथ एनपीए लेवल में सुधार के कारण आई। सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के जोरदार क्रेडिट ग्रोथ से भी निवेशकों के सेंटीमेंट में बैंकिंग शेयरों को लेकर मजबूती आई।
सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2023 में कुल 1.05 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया था। इसमें एसबीआई और कुछ दूसरे बैंकों ने अपनी अब तक की सबसे ज्यादा कमाई दर्ज की। सभी पीएसबी ने ग्रॉस और नेट एनपीए में गिरावट दर्ज की गई थी। विश्लेषकों का कहना है कि जून तिमाही के में 6 पीएसयू बैंकों ने आय का आंकड़ा दिया। इन सभी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया।
निजी क्षेत्र के बैंकों की बात करें बंधन बैंक और सिटी यूनियन बैंक ने निगेटिव रिटर्न दिया, जबकि कोटक महिंद्रा बैंक और एचडीएफसी बैंक ने अप्रैल 2022 के बाद से केवल 5 फीसदी और 9 फीसदी की बढ़त हासिल की। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक 100 फीसदी से ज्यादा की बढ़त के साथ सबसे बड़ा गेनर रहा है। इसके बाद आरबीएल बैंक और इंडसइंड बैंक का नंबर है। इन्होंने 71 फीसदी और 45 फीसदी रिटर्न दिया है। इस अवधि के दौरान आईसीआईसीआई बैंक ने 35 फीसदी जबकि एक्सिस बैंक ने 22 फीसदी रिटर्न दिया है।
आनंद राठी के सुजान हाजरा बैंकिंग क्षेत्र पर इक्वल वेट (equal weight)नजरिया रखते हैं। हाजरा का मानना है कि अच्छी तरह से मैनेज्ड सरकारी बैंकों में आगे तेजी आने की संभावना है। जिससे आगे चलकर में इन बैंकों का बेहतर प्रदर्शन जारी रह सकता है।
एफआईआई रुझान
म्यूचुअल फंड के अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी जून तिमाही में सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी में कटौती की है। हालांकि एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब नेशनल बैंक इसके अपवाद रहे हैं। मार्च 2023 तिमाही की तुलना में जून तिमाही के दौरान एफआईआई ने निजी बैंकों और एनबीएफसी में हिस्सेदारी बढ़ाई है।
जून तिमाही के बैंकिंग सेक्टर के नतीजे
जून तिमाही के नतीजों के मौसम के दौरान अब तक 26 बैंकों ने अपने नतीजे जारी किए हैं जिनमें से 12 बैंकों के मुनाफे में तिमाही आधार पर गिरावट देखने को मिली है। जबकि धनलक्ष्मी बैंक ने नेट लॉस दर्ज किया है। सभी बैंकों की ब्याज से होने वाली कमाई तिमाही दर तिमाही आधार पर थोड़ी बढ़ी है। 13 बैंकों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में गिरावट आई है। जबकि 10 बैंकों ऑपरेटिंग प्रॉफिट में सिंगल डिजिट ग्रोथ देखने को मिली। बाकी तीन बैंकों - धनलक्ष्मी बैंक, आईडीबीआई बैंक और जम्मू एंड कश्मीर बैंक का ऑपरेटिंग प्रॉफिट दोहरे अंक में पहुंच गया है।
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