क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट (Credit Suisse wealth Management) को उम्मीद है कि 5 अगस्त को आने वाली अपनी पॉलिसी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी करेगा। आरबीआई से दरों में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। इस बार भी मॉनिटरी पॉलिसी को अपना फोकस ग्रोथ पर बनाया रखना चाहिए। क्योंकि देश की इकोनॉमी अभी भी मुश्किलों के दौर से पूरी तरह बाहर नहीं है। ये बातें क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के हेड इंडिया इक्विटी रिचर्स जितेंद्र गोहिल ने मनीकंट्रोल से हुई बातचीत में कही हैं।
जीतेंद्र गोहिल का कहना है कि अगली 2 तिमाहियों में हमें अच्छे फेस्टिव सीजन के लिए तैयार रहना चाहिए। ग्रामीण इकोनॉमी से रिकवरी के अच्छे संकेत मिल रहे हैं। क्रेडिट सुइस सीमेंट, क्रेडिट कार्ड कंपनियों, मल्टीप्लेक्स, मीडिया, रिटेल और कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों को लेकर बुलिश है। क्रेडिट सुइस का मानना है कि अगली 2 तिमाहियों में फेस्टिव सीजन के दौरान और उसके बाद इन सेक्टर से जुड़े शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिलेगी।
क्या ग्लोबल मार्केट पर अभी भी महंगाई और मंदी का डर हावी है? इस सवाल का जवाब देते हुए जीतेंद्र गोहिल ने कहा कि हां। लेकिन विकसित बाजारों में मंदी की चिंताओं पर हापर इनफ्लेशन ( अत्याधिक महंगाई) का डर हावी हो गया है।
भारतीय बाजार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार दुनिया के दूसरे बाजारों की तुलना में काफी बेहतर नजर आ रहे हैं। देश के मैक्रो इकोनॉमी फंडामेंटल्स में काफी सुधार हुआ है। साथ ही कंपनियों की बैलेंसशीट भी काफी मजबूत है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से ग्रोथ कर रही बड़ी इकोनॉमीज में है। खास बात यह है कि अगर प्री-कोविड लेवल से तुलना करें तो भारत की ग्रोथ रेट दुनिया के तमाम बड़े देशों की तुलना में काफी ज्यादा है।
हम भारतीय बाजार के मीडियम टर्म आउटलुक को लेकर काफी उत्साहित हैं लेकिन इसके साथ ही हम दुनिया में चल रहे जियोपोलिटिकल तनाव और ग्लोबल मंदी के प्रभाव को भी नकार नहीं सकते। ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को अच्छी तरह से डायवर्सिफाइ करना चाहिए और रिस्क मैनेजमेंट अच्छी तरह से बनाया रखना चाहिए। हमारा मानना है कि अगर अमेरिकी और यूरोप में कोई बड़ी मंदी आती है और इसके साथ चीन की इकोनॉमी में भी सुस्ती देखने को मिलती है तो इससे ग्लोबल इक्विटी मार्केट की परेशानी बढ़ सकती है। हालांकि नियर टर्म में बाजार के लिए अच्छा सपोर्ट नजर आ रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर में अब तेजी आती नजर आ रही है। इसके अलावा पब्लिक सेक्टर बैंक भी सुधरते दिख रहे हैं। ऐसे में मध्यम से लंबी अवधि के नजरिए से निवेशकों को ऐसे सेक्टरों पर फोकस करना चाहिएजिनकी हिस्सेदारी ग्लोबल एक्सपोर्ट में बढ़ रही है। हमें ऐसे सेक्टरों पर भी नजर रखनी चाहिए जो देश में बाहर से होने वाले इंपोर्ट का विकल्प बन रहे हैं। इसमें डिफेंस, केमिकल और चुनिंदा फार्मा कंपनियां शामिल हैं।
आईटी सेक्टर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर इसमें और करेक्शन आता है तो इनका वैल्यूएशन बेहतर होता नजर आएगा। यह बॉटम फिशिंग का अच्छा समय होगा। लेकिन वर्तमान में हम भारतीय आईटी सेक्टर को लेकर अंडरवेट हैं।
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