शेयर बाजार में फिर लौटा 'ब्लैक मंडे': जानिए क्या है यह और निवेशकों को क्यों सता रहा 1987 जैसा खौफ

Stock Markets Black Monday: भारत समेत पूरे एशियाई शेयर बाजार में सोमवार 7 अप्रैल को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली, जिसे अब 'ब्लैक मंडे' के रूप में याद किया जा रहा है। इस भारी गिरावट की मुख्य वजह चीन की जवाबी कार्रवाई को माना जा रहा है, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का पलटवार करते हुए उस पर 34% का भारी टैरिफ लगाया है।

अपडेटेड Apr 07, 2025 पर 3:08 PM
Story continues below Advertisement
Stock Markets Black Monday: शेयर बाजार में 'ब्लैक मंडे' शब्द की शुरुआत 19 अक्टूबर 1987 से हुई

Stock Markets Black Monday: भारत समेत पूरे एशियाई शेयर बाजार में सोमवार 7 अप्रैल को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली, जिसे अब 'ब्लैक मंडे' के रूप में याद किया जा रहा है। इस भारी गिरावट की मुख्य वजह चीन की जवाबी कार्रवाई को माना जा रहा है, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का पलटवार करते हुए उस पर 34% का भारी टैरिफ लगाया है। इससे अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर और गहराता नजर आ रहा है, जिससे पूरी दुनिया में मंदी आने का खतरा मंडरा रहा है।

शेयर बाजारों में इस 'ब्लैक मंडे' को क्या हुआ?

भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में आज भारी गिरावट आई। निवेशकों की संपत्ति को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचा। बाजार खुलते ही बीएसई सेंसेक्स 3,939.68 अंक या 5.22% की गिरावट के साथ 71,425.01 के स्तर पर आ गया। एनएसई निफ्टी भी 1,160.80 अंक या 5% गिरकर 21,743.65 पर बंद हुआ। सिर्फ भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों की संपत्ति में ₹16.19 लाख करोड़ की भारी गिरावट देखी गई।

भारतीय शेयर बाजार में आखिरी बार इतनी खराब शुरुआत मार्च 2020 में देखने को मिली थी, जब कोरोना महामारी आई थी। वहीं गिरावट के लिहाज से शेयर बाजार में आखिरी बार इतनी तेज गिरावट 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आई थी।


अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस गिरावट को तात्कालिक बताया और कहा कि यह सिर्फ एक अस्थायी झटका है। उन्होंने कहा कि "कभी-कभी कुछ ठीक करने के लिए कड़वी दवा भी लेनी पड़ती है।" उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से देश अमेरिका से डील करने के लिए बेताब हैं, लेकिन जब तक व्यापार घाटा खत्म नहीं होता, तब तक वह किसी से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि वह शेयर बााजर के चाल की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन उनकी नीतियां नहीं बदलेंगी।

क्या है ‘ब्लैक मंडे’?

शेयर बाजार में 'ब्लैक मंडे' शब्द की शुरुआत 19 अक्टूबर 1987 से हुई, जब दुनिया भर के शेयर बाजारों में एक अचानक और बहुत बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। उस समय करीब $1.7 लाख करोड़ डॉलर की संपत्ति स्वाहा हो गई थी। इस दुर्घटना ने बड़े पैमाने पर और लंबे समय तक आर्थिक अस्थिरता रहने और यहां तक ​​कि 1929 से 1939 तक चली महामंदी के दोबारा आने की आशंका पैदा कर दी थी। अब 2025 में आए इस नए 'ब्लैक मंडे' को भी ग्लोबल मंदी की आहट के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या मंदी दरवाज़े पर है?

मूडीज एनालिटिक्स के चीफ एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिस्ट, स्टीक कोक्रोन ने मंदी की आशंकाओं पर बोलते हुए कहा, "हम अमेरिका में बहुत जल्दी मंदी देख सकते हैं, और यह एक साल या उससे अधिक समय तक चल सकती है, यह काफी लंबी भी हो सकती है। और अगर अमेरिका में मंदी आती है, तो निश्चित रूप से चीन भी इसे महसूस करेगा क्योंकि उसकी एक्सपोर्ट पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। यह उससे भी अधिक कठिन होगा जो उन्हें केवल टैरिफ के कारण झेलना पड़ता।

फेडरल रिजर्व का क्या कहना है?

फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने चेतावनी दी है कि टैरिफ से महंगाई बढ़ने, आर्थिक ग्रोथ धीमा होने और बेरोजारी के बढ़ने का खतरा है। एक्पर्ट्स का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ ऐलानों ने फेडरल रिजर्व पर चेतावनी बढ़ा दी है क्योंकि अब अमेरिकी इकोनॉमी को सपोर्ट देने के लिए महंगाई को रोकने और ब्याज दरों में कटौती की जरूरत के बीच संतुलन बनाने की अधिक कोशिश करनी पड़ेगी।

SPI एसेट मैनेजमेंट के स्टीफन इन्स ने कहा, "फेडरल रिजर्व के हाथ बंधे हुए हैं। उन्होंने साफ रुप से स्वीकार किया है कि टैरिफ से मंदी और महंगाई दोनों बढ़ेगी, लेकिन फेडरल रिजर्व बचाव के संकेत नहीं दे रहा। यही असली चिंता है।"

ग्लोबल मार्केट्स में गिरावट जारी रहेगी?

KCM Trade के चीफ मार्केट एनालिस्ट टिम वॉटरर का मानना है कि "दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आपस में भिड़ रही हैं और निवेशक इससे भयभीत हैं। उन्हें डर है कि लंबे समय तक चलने वाली आर्थिक लड़ाई से दोनों को भारी नुकसान हो सकता है।" उन्होंने कहा, "जब एक दूसरे पर नए टैरिफ लगाने की बात आती है तो न तो अमेरिका और न ही चीन पीछे हट रहे हैं। इसके चलते बाजार से कम जोखिम क्षमता वाले निवेशक बाहर जा रहे हैं।"

यह भी पढ़ें- टाटा ग्रुप के शेयर भी क्रैश: लगा ₹1 लाख करोड़ का झटका, इन 6 शेयरों का 18% तक टूटा भाव

डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।