SEBI ने संभवत: पहली बार एक ही कंपनी पर दो बार कार्रवाई की है। इस कंपनी का नाम Brightcom Group (BGL) है। सेबी ने 22 अगस्त को एक ऑर्डर में कहा है कि मैनिपुलेशन के स्तर को देखते हुए ऐसा किया गया है। मार्केट रेगुलेटर की इस कार्रवाई की वजह यह है कि इस कंपनी ने न सिर्फ अकाउंटिंग में फ्रॉड किया है बल्कि एक अलग जांच से पता चला है कि इसने शेयरों के प्रिफरेंशियल एलॉटमेंट के मामले में बैंक अकाउंट स्टेटमेंट में भी हेराफेरी की है। अपने हालिया आदेश में सेबी ने बताया है कि BGL ने उन कंपनियों को प्रिफरेंशियल शेयर जारी कर पैसे जुटाए, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उससे जुड़ी थीं।
घोटाले के लिए निकाला तरीका
सेबी ने बीजीएल के फर्जीवाड़े के बारे में बताते हुए कहा है कि कंपनी ने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 और 2021-22 में चार बार प्रिफरेंशियल शेयर्स/वारंट्स जारी किए। कुल 82 एलॉटमेंट्स से उसने 867.78 करोड़ रुपये जुटाए। 22 कंपनियों को 245.24 करोड़ रुपये के 25.76 करोड़ शेयर जारी किए गए, जिससे कंपनी को सिर्फ 52.51 करोड़ रुपये मिले। बाकी 192.73 करोड़ रुपये कंपनी को नहीं मिले या इसे दोबारा कई तरह के ट्रांजेक्शंस के जरिए उन कंपनियों को वापस भेज दिया गया। इसमें सब्सिडियरी कंपनियां और मध्यस्थ (Conduits) शामिल थे।
ये 22 कंपनियां नॉन-प्रमोटर एनटिटीज थीं। इनमें से बाद में 4 को प्रमोटर एंटिटीज की कैटेगरी में लाया गया। इनमें Aradhana Commosales LLP, Sarita Commosales LLP, Kalpana Commosales LLP और Shalini Sales LLP शामिल थीं। मार्च 2022 में कंपनी के प्रमोटर और सीएमडी सुरेश कुमार रेड्डी को इन चारों कंपनियों में बतौर पार्टनर शामिल कर लिया गया। इसके बाद ये चारों एलएलपी प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप एंटिटीज हो गईं।
इन LLPs को 14.50 करोड़ शेयर एलॉट किए गए। ये FY21 और FY22 में प्रिफरेंशियल आधार पर एलॉट किए गए शेयरों के करीब 30 फीसदी थे। कुल 11.65 करोड़ रुपये के एवज में कंपनी को सिर्फ 1.41 करोड़ रुपये मिले। SEBI ने BGL से इन LLPs के साथ हुए ट्रांजेक्शंस के रसीद मांगे। मार्केट रेगुलेटर ने इस बारे में बैंकों से भी पूछा। इसके बाद सेबी को कई तरह की गड़बड़ियों का पता चला। उदाहरण के लिए कंपनी की तरफ से सौंपे गए रसीद से पता चलता है कि उसे Sarita Commosales से 38.50 करोड़ रुपये मिले। लेकिन, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट्स से पता चला कि कंपनी को Sarita Commosales से सिर्फ 4.10 करोड़ रुपये मिले थे।
SEBI की जांच में पहली नजर में यह भी सामने आया कि Sarita को BGL से 4.07 करोड़ रुपये मिले थे। यह पैसा सरिता को कई तरह के ट्रांजेक्शंस के जरिए पहुंचा, जिसमें BGL की सब्सिडियरीज कंपनियां शामिल थीं। Kalpana Commosales के मामले में भी यही तरीका अपनाया गया। मार्केट रेगुलेटर ने कहा है कि पहली नजर में ऐसा लगता है कि सुरेश कुमार रेड्डी ने ICDR रेगुलेशंस के तहत तीन साल के लॉक-इन के नियमों से बचने के लिए एक तरीका निकाला।
उपर्युक्त तरीके के इस्तेमाल से 31 दिसंबर, 2021 को प्रमोटर ग्रुप की शेयरहोल्डिंग 4.12 फीसदी से बढ़कर 31 मार्च, 2022 को 18.47 फीसदी पहुंच गई। SEBI को इसी तरह के कई संदिग्ध ट्रांजेक्शंस मिले हैं, जिसके जरिए शेयरों का आवंटन हुआ। जिन लोगों को शेयर आवंटित किए गए उनमें वरूण दमानी, किशन प्रकाश और पोना भुवनेश्वरी शामिल हैं। जहां तक दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा को शेयरों के आवंटन की बात है तो BGL का दावा है कि उसे कुल 56.65 करोड़ रुपये मिले। लेकिन, बैंक स्टेटमेंट्स सिर्फ 39.98 करोड़ दिखा रहे हैं। इसमें 14.19 करोड़ रुपये भी शामिल है, जिसे वेरिफाय नहीं किया जा सका है।
इसके बाद सेबी ने शर्मा और 22 दूसरी कंपनियों को Brightcom Group के शेयरों को बेचने पर रोक लगा दी है। मार्केट रेगुलेटर ने सीएमडी सुरेश कुमार रेड्गी और सीएफओ नारायण राजू को किसी लिस्टेड कंपनी में अहम पद पर रहने या बोर्ड में शामिल होने पर भी रोक लगा दी है। इस बीच BGL ने 23 अगस्त को स्टॉक एक्सचेंजों को बताया कि इसने एक इनटर्नल टीम बनाई है, जो सेबी के ऑर्डर और उससे पड़ने वाले असर को देखेगी। उसने यह भी कहा है कि इस बारे में कंपनी और उसके शेयरहोल्डर्स के हित को ध्यान में रखते हुए कदम उठाए जाएंगे।