Brokerage on H-1B Visa : बाजार की नजर आज IT सेक्टर पर है। IT शेयरों में आज गिरावट है। दरअसर अमेरिका ने H-1B वीजा पर सख्ती अपना ली है। इसका क्या होगा IT कंपनियों पर असर,इसकी बात करें तो पिछले कुछ सालों में H-1B वीजा पर IT कंपनियों की निर्भरता घटी है। IT कंपनियों के सिर्फ 20 फीसदी कर्मचारी on-site हैं। इसमें से भी 20–30 फीसदी H-1B वीजा धारक हैं। कंपनियों के कुल कर्मचारियों में H-1B का योगदान सिर्फ 2-3 फीसदी है।
2015 में TCS के कुल कर्मचारियों की संख्या 3,19,656 थी। इसमें से H-1B वीजा धारक कर्मचारी सिर्फ 4,674 थे। 2025 में TCS के कुल कर्मचारियों की संख्या 6,13,000 थी। इसमें से H-1B वीजा धारक कर्मचारी सिर्फ 5,505 थे। 2015 में इंफोसिस के कुल कर्मचारियों की संख्या 1,76,187 थी। इसमें से H-1B वीजा धारक कर्मचारी सिर्फ 2,830 थे। 2025 में इंफोसिस के कुल कर्मचारियों की संख्या 3,23,575 थी। इसमें से H-1B वीजा धारक कर्मचारी सिर्फ 2,004 थे।
IT कंपनियों के पास विकल्प
अमेरिका में H-1B वीजा पर सख्ती से निपटने के लिए कंपनियां ऑफशोर, लोकल कर्मचारी रखने पर फोकस कर सकती हैं। ऑफशोर कॉन्ट्रैक्ट्स में मार्जिन बेहतर हैं।
अमेरिका में H-1B वीजा पर सख्ती के बाद आईटी कंपनियों पर अपनी राय देते हुए BoFA ने कहा कि अमेरिकी सख्ती के 3 साल में EPS पर 7 -17 फीसदी का असर आ सकता है। इससे टेक महिंद्रा पर ज्यादा असर हो सकता है। IT कंपनियों पर जैफरीज ने अपनी राय देते हुए कहा है कि अमेरिका के इस कदम से कंपनियां लोकल हायरिंग और सब-कॉन्ट्रैक्टिंग पर फोकस कर सकती हैं। आईटी कंपनियों के मुनाफे पर 4-13 फीसदी का असर देखने को मिल सकता है।
वहीं, CLSA का कहना है कि इस अमेरिका फैसले से IT कंपनियों पर सीमित असर होगा वित्त वर्ष 2027 की अर्निंग्स पर 6 फीसदी का असर संभव है। IT कंपनियों पर नुवामा ने अपनी राय देते हुए कहा है। ज्यादातर मामलों में H-1B वीजा फायदेमंद नहीं होगा। इससे मार्जिन पर 50-150 bps का असर हो सकता है।
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