H1 B Visa Fee Hike Impact : H1B वीजा में अमेरिका की सख्ती से दबाव में IT सेक्टर दबाव में दिख रहा है। आज 22 सितंबर को निफ्टी IT इंडेक्स दो फीसदी से ज्यादा फिसला है। आज वायदा के सभी टॉप लूजर शेयर IT सेक्टर से हैं। H-1B वीजा के खेल पर नजर डालें तो ट्रंप प्रशासन ने कुछ नॉन इमिग्रेंट्स वर्कर्स पर रोक लगाई है। व्हाइट हाउस की FAQ से पता चलता है कि H-1B वीजा की फीस 1,00,000 डॉलर होगी। 2026 H-1B लॉटरी के लिए फीस लागू होगी। नई फीस 21 सितंबर 12:01 AM के बाद लागू होगी।
नए नियम पहले से जारी वीजा पर लागू नहीं होंगे। ये नियम 21 सितंबर से पहले के आवेदन पर भी लागू नहीं होंगे। H-1B वीजा के लिए एक बार फीस जमा करनी होगी। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि अतिरिक्त सुधारों पर विचार किया जा रहा है। आने वाले महीनों में उनकी घोषणा की जाएगी।
इस बीच H-1B वीजा पर व्हाइट हाउस ने सफाई जारी की है। इसमें कहा गया है कि बढ़ी हुई फीस सिर्फ एक बार लगेगी। वीजा एप्लिकेशन के समय 88 लाख रुपए देने होंगे। अभी H-1B वीजा के लिए 5.5-6.7 रुपए लाख लगते थे। 21 सितंबर के बाद दाखिल एप्लिकेशन पर ही फीस लगेगी। 21 सितंबर से पहले दाखिल एप्लिकेशन और रिन्युअल पर फीस नहीं लगेगी। मौजूदा H-1B वीजा होल्डर सामान्य तरीके से देश से बाहर आना-जाना कर सकते हैं। बता दें कि US सरकार हर साल 85,000 H-1B वीजा जारी करती है।
70 फीसदी H-1B वीजा भारतीयों के हैं। फिर भी IT कंपनियों का कहना है कि इससे उनके कारोबार पर असर नहीं होगा। व्हाइट हाउस ने साफ किया है कि यह आदेश केवल नए आवेदकों पर लागू होगा, मौजूदा वीजा धारकों या नवीनीकरण चाहने वालों पर नहीं। इससे इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति दूर हो गई है कि इसका असर किन लोगों पर पड़ेगा। अमेरिकी सरकार कि सफाई में कहा गया है कि यह शुल्क एकमुश्त है,सालाना नहीं। यह सफाई कारोबार की निरंतरता को लेकर बनी चिंता को दूर करती है।
भारत के 283 अरब डॉलर की आईटी सेक्टर की कंपनियां अपनी कमाई का लगभग 57 फीसदी हिस्सा अमेरिका से हासिल करती हैं। ये कंपनियां अपने कर्मचारियों को क्लाइंट प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए विदेश भेजती हैं। एनालिस्टों और वकीलों का कहना है कि नए वीज़ा के लिए 1,00,000 डॉलर का एकमुश्त शुल्क भी बहुत ज़्यादा है।
उधर नैसकॉम ( Nasscom) ने कहा कि H-1B कर्मचारियों की संख्या समग्र अमेरिकी वर्क फोर्स का बहुत ही मामूली हिस्सा है। आईटी कम्पनियां H-1B वीजा पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में स्थानीय लोगों में कौशल विकास और उनकी नियुक्ति पर 1 अरब डॉलर से अधिक खर्च कर रही है। अमेरिका में स्थानीय लोगों की नियुक्तियों की संख्या में जबरदस्त बढ़त हुई है।
H-1B वीजा पर किस कंपनी के कितने कर्मचारी
H-1B वीजा पर किस कंपनी के कितने कर्मचारी हैं, इस पर नजर डालें तो 30 जून 2025 तक TCS के 5505 कर्मचारी, INFOSYS के 2004 कर्मचारी, LTIMINDTREE के1807 कर्मचारी, HCL टेक के 1728 और WIPRO के 1525 कर्मचारी H-1B वीजा पर हैं।
इसी तरह 30 जून 2025 तक TECH MAHINDRA के 951 कर्मचारी, MPHASIS के 663 कर्मचारी, HEXAWARE TECH के 471 कर्मचारी और LTTS टेक के 352 कर्मचारी H-1B वीजा पर हैं।
विदेशी कंपनियों की बात करें तो 30 जून 2025 तक AMAZON के 10044 कर्मचारी, MICROSOFT के 5189 कर्मचारी, META के 5189 कर्मचारी और APPLE के 4202 कर्मचारी, H-1B वीजा पर हैं। इसी तरह GOOGLE के 4181 कर्मचारी, JP MORGAN के 2440 कर्मचारी और WALMART के 2390 कर्मचारी H-1B वीजा पर हैं।
H-1B वीजा लेने वाले देशों की बात करूं तो इसमें 73 फीसदी हिस्सेदारी भारत की, 12 फीसदी हिस्सेदारी चीन की, 1 फीसदी हिस्सेदारी फिलीपींस की, 1 फीसदी हिस्सेदारी कनाडा की और 1 फीसदी हिस्सेदारी दक्षिण कोरिया की है।