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BSE Shares: शानदार नतीजे पर शेयर बने रॉकेट, फिर ब्रोकरेज के इस रुझान से शुरू हुई बिकवाली

BSE Shares: सितंबर तिमाही के धमाकेदार नतीजे पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शेयर 2 फीसदी से अधिक उछल गए। हालांकि ब्रोकरेज ने इसके शेयरों को लेकर अपना रुझान नहीं बदला और मार्केट सेंटिमेंट कमजोर है तो इन दोनों ने मिलकर इसके शेयरों को तोड़ दिया। सितंबर तिमाही में बीएसई का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 187 फीसदी और कंसालिडेटेड रेवेन्यू 137 फीसदी बढ़ा था

अपडेटेड Nov 13, 2024 पर 4:02 PM
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रजिस्टर्ड इनवेस्टर्स और ट्रेडिंग टर्नओवर के हिसाब से मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। इसका फायदा बीएसई को भी मिला।

BSE Shares: सितंबर तिमाही के धमाकेदार नतीजे पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शेयर 2 फीसदी से अधिक उछल गए। हालांकि ब्रोकरेज ने इसके शेयरों को लेकर अपना रुझान नहीं बदला और मार्केट सेंटिमेंट कमजोर है तो इन दोनों ने मिलकर इसके शेयरों को तोड़ दिया। सितंबर तिमाही में बीएसई का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 187 फीसदी और कंसालिडेटेड रेवेन्यू 137 फीसदी बढ़ा था। इसके चलते शेयर इंट्रा-डे में NSE पर 2.37 फीसदी उछलकर 4,789.00 रुपये पर पहुंच गए। हालांकि जेफरीज ने इसकी अंडरपरफॉर्म रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया तो शेयर टूटकर 4451.70 रुपये पर आ गए जो पिछले कारोबारी दिन के क्लोजिंग प्राइस से 4.84 फीसदी डाउनसाइड है।

आज बीएसई का शेयर 4.07 फीसदी की गिरावट के साथ 4,488.00 रुपये पर बंद हुआ है। 19 मार्च 2024 को यह एक साल के निचले स्तर 1941.05 रुपये पर था और पिछले महीने 14 अक्टूबर 2024 को 4989.80 रुपये की रिकॉर्ड हाई पर था यानी कि 7 ही महीने में निवेशकों का पैसा 157 फीसदी बढ़ गया। फिलहाल इस हाई से यह 10 फीसदी डाउनसाइड है।

BSE के लिए कैसी रही सितंबर तिमाही?


रजिस्टर्ड इनवेस्टर्स और ट्रेडिंग टर्नओवर के हिसाब से मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। इसका फायदा बीएसई को भी मिला। सितंबर तिमाही में इसका शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 187 फीसदी उछलकर 347 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान इसका कंसालिडेटेड ऑपरेशनल रेवेन्यू 137 फीसदी बढ़कर 746 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

क्या है ब्रोकरेज का रुझान?

सितंबर तिमाही के धमाकेदार नतीजे के बावजूद जेफरीज ने 3500 रुपये के टारगेट प्राइस पर इसे अंडरपरफॉर्म रेटिंग दी है। ब्रोकरेज का कहना है कि सितंबर तिमाही में इसके कमाई की ग्रोथ अच्छी दिखी और इसकी वजह लागत पर नियंत्रण रहा जिसके चलते मार्जिन में सुधार दिखा। हालांकि ट्रेडिंग वॉल्यूम पर एफएंडओ के सेबी के नए नियमों से इस पर झटके की आशंका है जिसके चलते जेफरीज का रुझान इसे लेकर सतर्क है।

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