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BSE vs Company: ESM फ्रेमवर्क के खिलाफ अपील, इस कारण ईवी कंपनी ने दाखिल की याचिका

BSE vs Company: अगर कोई शेयर रॉकेट की स्पीड से चढ़ता-उतरता है तो इस पर एक्सचेंज अपनी निगरानी और बढ़ा देते हैं। इसके लिए खास फ्रेमवर्क भी तैयार किया गया है कि किन शेयरों के किस प्रकार के फ्रेमवर्क के तहत यानी किस प्रकार की अतिरिक्त निगरानी की जाएगी। हालांकि अब ऐसे ही एक फ्रेमवर्क को लेकर बीएसई (BSE) के खिलाफ एक कंपनी ने अपील कर दी है

अपडेटेड Jul 17, 2023 पर 12:46 PM
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ईएसएम फ्रेमवर्क के तहत आने वाले शेयरों का पंप-डंप करना संभव नहीं रह गया है।
     
     
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    BSE vs Company: अगर कोई शेयर रॉकेट की स्पीड से चढ़ता-उतरता है तो इस पर एक्सचेंज अपनी निगरानी और बढ़ा देते हैं। इसके लिए खास फ्रेमवर्क भी तैयार किया गया है कि किन शेयरों के किस प्रकार के फ्रेमवर्क के तहत यानी किस प्रकार की अतिरिक्त निगरानी की जाएगी। हालांकि अब ऐसे ही एक फ्रेमवर्क को लेकर बीएसई (BSE) के खिलाफ एक कंपनी ने अपील कर दी है। बीएसई पर लिस्टेड मरकरी ईवी (Mercury EV) ने सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में EMS (एनहेंस्ड सर्विलांस मेजर) फ्रेमवर्क को चुनौती दी है। ट्विटर पर भी इस फ्रेमवर्क को लेकर निवेशकों का कहना है कि किसी शेयर को ईएसएम में रखने का मतलब है कि इसे जेल में रखना।

    क्या है ESM फ्रेमवर्क और क्या होती है शेयरों की दिक्कत

    पिछले महीने 4 जून को बाजार नियामक SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) और एक्सचेंजों ने मिलकर ईएसएम फ्रेमवर्क लाने का फैसला किया था। यह फ्रेमवर्क बहुत अधिक वोलेटाइल माइक्रो-स्मॉल कंपनियों के लिए लाया गया था। माइक्रो-स्मॉल कंपनियों का मार्केट कैप 500 करोड़ रुपये से कम होता है। सेबी के नियमों के मुताबिक हाई-लो प्राइस वैरिएशन और क्लोज-टू-क्लोज प्राइस वैरिएशन के आधार पर शेयरों को इस फ्रेमवर्क के तहत रखा जाता है।


    इसके पहले स्टेज में 5 फीसदी या 2 फीसदी के प्राइस बैंड में ट्रेड-फॉर-ट्रेड मैकेनिज्म के तहत शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। वहीं दूसरे स्टेज के तहत शेयरों की खरीद-बिक्री ट्रेड-फॉर ट्रेड मैकेनिज्म के तहत 2 फीसदी के प्राइस बैंड में होती है और सबसे अहम ये है कि पीरियाडिक कॉल ऑक्शन के साथ शेयरों की ट्रेडिंग हफ्ते में एक ही दिन, कारोबारी हफ्ते के पहले दिन ही होगी।

    पीरियाडिक कॉल ऑक्शन मैकेनिज्म के तहत पूरे कारोबारी दिन में छह ऑक्शन सेशन चलते हैं जिसमें से हर एक सेशन एक घंटे का होता है। इसमें जो भी ऑर्डर मिलते हैं, उनका मिलान किया जाता है और फिर ट्रेड कंफर्म किए जाते हैं। ट्रेड फॉर ट्रेड सेगमेंट का मतलब का इंट्रा-डे ट्रेडिंग नहीं होगी। इस फ्रेमवर्क के तहत आने वाले शेयरों की दिन के किसी भी समय अपनी इच्छानुसार खरीद या बिक्री नहीं की जा सकती है।

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    इस नियम की क्यों पड़ी जरूरत

    ऑपरेटर्स की मदद से कुछ माइक्रो-स्मॉल कंपनियों के प्रमोटर्स शेयरों को पंप और डंप करते हैं यानी कि एकाएक शेयरों की बड़ी खरीदारी करते हैं और फिर बेच डालते हैं। शेयर जब ऊपर चढ़ते हैं तो खुदरा निवेशक भी लालच में इसमें पैसे लगा देते हैं और जब भाव ऊपर रहते हैं तो जोड़-तोड़ करने वाले अपनी हिस्सेदारी बेच देते हैं और बड़े पैमाने पर मुनाफा कमाते हैं। इनमें से अधिकांश कंपनियों के पास दिखाने के लिए कोई आय, कोई मुनाफा और कोई वास्तविक कारोबारी मॉडल नहीं है।

    फिर शिकायत क्यों?

    ईएसएम फ्रेमवर्क के तहत आने वाले शेयरों को पंप-डंप करना संभव नहीं रह गया है। मरकरी ईवी टेक के शेयर जून 2022 में 1 रुपये से उछलकर अब 25 रुपये तक पहुंच गए हैं यानी कि 2400 फीसदी का रिटर्न। हालांकि चूंकि यह शेयर ईएसएम फ्रेमवर्क के तहत है तो जो निवेशक काफी फायदे हैं, वे इसे फटाफट बेचकर निकल नहीं सकते हैं। ब्रोकर्स ईएसएम स्टॉक्स के शेयरों को बिना 100 फीसदी मार्जिन के ट्रेडिंग की इजाजत नहीं देती जिससे लिक्विडिटी कम होने लगती है। मरकरी ईवी की बात करें तो जब यह शेयर ईएसएम फ्रेमवर्क के तहत नहीं तो इसका वीकली वॉल्यूम 10 लाख से 30 लाख था लेकिन अब फ्रेमवर्क के तहत आने पर यह महज 20 हजार से 50 हजार रह गया है।

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    Mercury EV-Tech का क्या कहना है

    कंपनी का कहना है कि इस फ्रेमवर्क के तहत आने वाले शेयरों की ट्रेडिंग हफ्ते में एक ही दिन होती है तो इससे कंपनी की छवि पर असर पड़ता है। कंपनी के चेयरमैन जयेश ठक्कर के मुताबिक ईएसएम के तहत आने पर प्रमोटर को पूंजी जुटाने और कर्ज लेने में दिक्कत होने लगती है। वहीं लोन जुटाने के लिए जो शेयर गिरवी रखे गए थे, उन्हें इसकी वैल्यू बनाए रखने में दिक्कत होने लगती है। जब कीमतें गिरती हैं तो बैंक हिस्सेदारी बेचने लगते हैं जिससे और तेजी सेलिंग होने लगती है।

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    कंपनी का कहना है कि सभी ईएसएम कंपनियां खोखा यानी खाली नहीं हैं, कुछ की बैलेंस शीट सही हैं और वे वास्तव में कारोबार कर रही हैं। जयेश ठक्कर का कहना है कि एक्सचेंज और रेगुलेटर को इस प्रकार के फैसले लेने से पहले कंपनी के कारोबारी मॉडल को देखना चाहिए। मरकरी ईवी के मामले की सुनवाई 25 जुलाई को है। यह कंपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाती है और अब इसके कुछ मॉडल को इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी (iCAT) की मंजूरी का इंतजार है। इसमें इलेक्ट्रिक रिक्शा, कूड़ागाड़ी, स्कूल वैन और कार शामिल हैं।

    डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

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    First Published: Jul 17, 2023 12:46 PM

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