Budge 2025 में 12 लाख रुपये तक इनकम टैक्स नहीं लगाने के ऐलान से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में तेजी, व्हर्लपूल और ब्लू स्टार को लगे पंख

Union Budget 2025 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। इस ऐलान से उपभोग से जुड़े शेयरों को सपोर्ट मिला। शहरी मांग में नरमी के कारण पिछले कुछ महीनों में शेयर बाजारों में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयरों में दबाव देखने को मिल रहा था

अपडेटेड Feb 01, 2025 पर 3:10 PM
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Union Budget: केंद्रीय बजट 2025 में किए गए इन उपायों से खपत को बढ़ावा मिलेगा। कर घटने से घरेलू आय बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ता स्टेपल प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ेगी

Union Budget 2025 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने केंद्रीय बजट 2025 भाषण के दौरान ऐलान किया कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। जिससे करदाताओं को बड़ी राहत मिली है। इस ऐलान के चलत आज कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयरों में उछाल आया है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि नई आयकर व्यवस्था सरल होगी, जिसमें मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 12 लाख रुपये की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। केंद्रीय बजट 2025 में किए गए इन उपायों से खपत को बढ़ावा मिलेगा। कर घटने से घरेलू आय बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ता स्टेपल प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ेगी।

निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडेक्स में व्हर्लपूल ऑफ इंडिया, ब्लू स्टार, कल्याण ज्वैलर्स इंट्राडे में सबसे ज्यादा तेजी हासिल करने वाले शेयरों में रहे। दोपहर 12.25 बजे के आसपास कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडेक्स 1.2 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहा था। शहरी मांग में नरमी के कारण पिछले कुछ महीनों में शेयर बाजारों में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयरों में दबाव देखने को मिल रहा था। खपत में गिरावट ने कॉरपोरेट अर्निंगि पर भी निगेटिव असर पड़ा है। निकट भविष्य में संभावनाएं धुंधली होती जा रही हैं,क्योंकि खरीदार कम खर्च कर रहे हैं। महंगाई के काऱण आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है। सिस्टम में नकदी खत्म हो रही है। निवेशक और मार्केट एक्सपर्ट इस केंद्रीय बजट में मंदी से जूझ रहे सेक्टरोम को उबारने के लिए कुछ उपाय की उम्मीद कर रहे थे। शायद वित्त मंत्री ने उनकी सुन ली है।

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मार्केट एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर दे रहे थे कि बजट में आयकर ढांचे को इस तरह सरल बनाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिससे डिस्पोजेबल आय में बढ़त हो सके, साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सके और डायरेक्ट बेनिफिट जैसे कार्यक्रमों का विस्तार किया जा सके। ये उपाय उपभोक्ता की तरफ से होने वाले खर्च को बढ़ने में मदद कर सकते हैं। कॉरपोरेट सेक्टर में आयात में कमी,पीएलआई योजनाओं के विस्तार और घरेलू मैन्यूफैक्टरिंग को बढ़ावा देने से इंडस्ट्री जानकारों को भरोसा था कि केंद्र सरकार इस सेक्टर की मांग को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में कोई बदलाव करेगी। आज हमें वहीं, होता दिखा है।

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