'लिस्टिंग के दिन न खरीदें शेयर', JM Financial के MD की रिटेल इन्वेस्टर्स को सलाह; जानिए वजह

JM Financial के MD विशाल कांपानी ने रिटेल निवेशकों को लिस्टिंग के दिन शेयर न खरीदने की सलाह दी है। उनका कहना है कि इससे रिटेल निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जानिए वजह।

अपडेटेड Nov 23, 2025 पर 8:41 PM
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विशाल कांपानी का कहना है कि पोस्ट-IPO तेजी अक्सर इसलिए दिखती है क्योंकि एंकर निवेशकों के शेयर लॉक-इन में होते हैं।

JM Financial के वाइस चेयरमैन और MD विशाल कांपानी ने रिटेल निवेशकों को चेतावनी दी है कि नए शेयरों को लिस्टिंग के दिन खरीदने से बचना चाहिए। उनका कहना है कि शुरुआती दिनों में दिखने वाली तेजी कई बार गुमराह करने होती है। क्योंकि उस समय बाजार में शेयरों की सप्लाई कम रहती है।

कांपानी ने CNBC-TV18 से बातचीत में कहा, 'पहले दिन भागने की जरूरत नहीं है। थोड़ा समय दीजिए।' उन्होंने यह भी जोड़ा कि रिटेल निवेशक लिस्टिंग गेन पकड़ने की कोशिश करने की बजाय अच्छे म्यूचुअल फंड्स के साथ निवेश करें, तो बेहतर होगा।

लॉक-इन खत्म होते ही बढ़ेगी सप्लाई


कांपानी का कहना है कि पोस्ट-IPO तेजी अक्सर इसलिए दिखती है क्योंकि एंकर निवेशकों के शेयर लॉक-इन में होते हैं। लेकिन जैसे ही 30 दिन, 90 दिन या 6 महीने की लॉक-इन अवधि खत्म होती है, शेयरों की बिक्री बढ़ जाती है और बाजार का संतुलन बदल जाता है।

उन्होंने कहा कि असल तस्वीर आपको तब दिखती है जब ये लॉक-अप रिलीज होते हैं। क्योंकि प्राइवेट इक्विटी निवेशक इसी समय बड़े पैमाने पर एग्जिट लेते हैं।

लंबे समय तक फ्लैट रह सकते हैं शेयर

कांपानी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में भारत में लगभग 350-400 अरब डॉलर का प्राइवेट इक्विटी निवेश आया है। उनके अनुमान में आने वाले 5-7 वर्षों में 800 अरब डॉलर से 1 ट्रिलियन डॉलर तक के एग्जिट सामने आएंगे। इसमें से करीब 25-30% एग्जिट पब्लिक मार्केट्स में होंगे, जिससे बड़ी सप्लाई बनेगी।

इसी वजह से कई बार कंपनियों के शेयर दो-तीन साल तक फ्लैट रह जाते हैं, भले ही कंपनी का बिजनेस अच्छा चल रहा हो। उन्होंने कहा, 'अगर किसी कंपनी के 70% शेयर बिकने के लिए तैयार हों, तो कीमतें लंबे समय तक रुकी रह सकती हैं।'

IPO का यह दौर अभी जारी रहेगा

कांपानी के मुताबिक, मौजूदा IPO साइकल की वजह भी यही प्राइवेट इक्विटी है। जैसे-जैसे PE फर्म्स का पैसा एग्जिट होकर वापस लौटता है, वह नई कंपनियों में निवेश होता है, और फिर वे IPO मार्केट में आती हैं। यानी यह चक्र अभी चलता रहेगा और लिस्टिंग्स का यह दौर खत्म नहीं होगा।

कमजोर अर्निंग्स से रफ्तार धीमी

मार्केट के प्रदर्शन पर बात करते हुए कांपानी ने कहा कि इंडेक्स इस साल इसलिए कमजोर रहा क्योंकि कंपनियों की कमाई उम्मीद के मुकाबले कमजोर आई। FY25 में अर्निंग्स ग्रोथ सिर्फ 8-9% रही, जबकि उम्मीद 15-16% की थी। इस वजह से विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की।

उन्होंने कहा कि रिटेल निवेशकों की लगातार SIP इनफ्लो ने इंडेक्स को स्थिर रखने में बड़ी भूमिका निभाई। नहीं तो गिरावट बढ़ सकती थी।

भारत के मैक्रो फंडामेंटल मजबूत, बड़ा खतरा नहीं

कांपानी ने कहा कि फिलहाल भारत के सामने कोई बड़ा मैक्रो रिस्क नहीं है। उन्होंने तीन वजहें बताईं- कंपनियों के बैलेंस शीट मजबूत हैं, बैंक और NBFC अच्छी स्थिति में हैं, और भारत के पास लगभग 700 अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व है।

उन्होंने कहा कि भारत की लंबी अवधि की ग्रोथ स्टोरी ही विदेशी निवेशकों को लुभा कर रही है। उनका अनुमान है कि FY26-27 में अर्निंग्स ग्रोथ 14-16% रह सकती है, जो मार्केट रिटर्न को सपोर्ट करेगी।

JM Financial की अब तक की सबसे बड़ी IPO पाइपलाइन

आगे की संभावनाओं पर बोले तो कांपानी ने कहा कि JM Financial के पास अपनी अब तक की सबसे बड़ी IPO पाइपलाइन है, करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये के फाइल्ड इश्यू। उनका अनुमान है कि इस समय पूरे बाजार में 3-4 लाख करोड़ रुपये की डील्स आ सकती हैं। इस साल IPO फंडरेजिंग पहले ही 1.52 लाख करोड़ रुपये पार कर चुकी है, जो पिछले साल के स्तर से ऊपर है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर कुछ बड़े IPO समय पर आते हैं, तो अगले साल फंडरेजिंग दोगुनी हो सकती है। इनमें National Stock Exchange (NSE) का IPO सबसे बड़ा और सबसे चर्चित माना जा रहा है। कांपानी ने कहा, 'यह एक बहुत बड़ा और बेहद एक्साइटिंग IPO होगा।'

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