ChatGPT: शेयर बाजार में कहां लगाएं दांव? ChatGPT ने दिए ये जवाब
ChatGPT:जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उदय के साथ की खुदरा निवेशकों के लिए एक बार फिर से बड़ा बदलाव दहलीज पर दस्तक दे रहा है। "कोई भी नई तकनीक किसी जादू से कम नहीं होती"। अपनी साइंस फैंटेसी के लिए प्रसिद्ध आर्थर सी क्लार्क ने ये बात 1962 में कही थी जो आज भी सही है। यहां हम एक ऐसे ही एक नए तकनीकी प्लेटफॉर्म की बात कर रहे हैं जो किसी जादूगर की तरह ही सबको चमत्कृत कर रहा है
निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि हमें अपने स्टॉक सेलेक्शन में चैट जीपीटी की ही वो सलाह माननी चाहिए जिसमें वो कहता है कि एक एआई लैंग्वेज मॉडल के तौर पर वो किसी गारंटीशुदा रिटर्व वाले फाइनेंशियल निवेश की सलाह नहीं दे सकता
ChatGPT: कंप्यूटर आने से पहले के दिनों में लंदन के कुछ जाने-माने स्टॉक ब्रोकिंग प्रतिष्ठानों में अपने करियर की शुरुआत करने वाले युवाओं के हाथ में काम शुरू करने के शुरुआती दिनों में एक बड़ी ब्लू बुक और कैलकुलेटर होते थे। इस के बावजूद अगर ट्रेनी नौजवान कैलकुलेटर का उपयोग करते हुए पकड़े जाते तो फ्लोर पर काम करने वाले कठोर और अनुभवी ट्रेडरों से उनको फटकार लग जाती थी। इसका मूल मंत्र ये था कि अगर सफल ट्रेडर बनाना है तो आंकड़ों से खेलना सीखो और उनके विश्लेषण के लिए ब्लेड के धार जैसा पैना दिमाग विकसित करो। लेकिन बाजार में कंप्यूटर के आते ही ये सारे सिद्धांत अतीत के तहखाने में समा गए। एक कंप्यूटर टर्मिनल कुछ सेकेंड में ही तमाम डेटा और लाखों ट्रेड करने में सक्षम था। सिर्फ कैलकुलेटर और ब्लू बुक ही नहीं, कंप्यूटर ने इंसानों को भी ट्रेडिंग फ्लोर पर गैरजरूरी बना दिया।
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उदय के साथ की खुदरा निवेशकों के लिए एक बार फिर से ऐसा ही बड़ा बदलाव दहलीज पर दस्तक दे रहा है। "कोई भी नई तकनीक किसी जादू से कम नहीं होती"। अपनी साइंस फैंटेसी के लिए प्रसिद्ध आर्थर सी क्लार्क ने ये बात 1962 में कही थी जो आज भी सही है। यहां हम एक ऐसे ही एक नए तकनीकी प्लेटफॉर्म की बात कर रहे हैं जो किसी जादूगर की तरह ही सबको चमत्कृत कर रहा है। चैटजीपीटी, बार्ड, डल-ई, मिडजर्नी और कई दूसरे जनरेटिव एआई टूल इस समय सुर्खियों में छाए हुए हैं। ये टूल लोगों में भय और आश्चर्य की मिश्रित भावना का भी संचार कर रहे हैं।
कुछ शुरुआती उपयोगकर्ता और शोधकर्ता इन एआई आधारित टूल्स का इस्तेमाल समाचार रिपोर्टों, यूएस फेड की घोषणाओं और स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग का विश्लेषण करने के लिए कर रहे हैं। इसके प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।
लेकिन जब भारतीय संदर्भ में स्टॉक-पिकिंग की बात आती है तो एआई कैसा प्रदर्शन करता है? और क्या निवेशक इस डिजिटल ब्लैक बॉक्स पर भरोसा कर सकते हैं? मनीकंट्रोल ने अपने स्तर पर ये जानने की कोशिश की है।
पिछले कुछ हफ्तों के दौरान भारतीय शेयर बाजार में टॉप पिक्स का पता लगाने के लिए चैटजीपीटी पर कई सवाल किए गए। इसके लिए OpenAI द्वारा विकसित चैटबॉट के फ्री और पेड दोनों वर्जन का उपयोग किया गया। हालांकि चैटजीपीटी के आंकड़े सितंबर 2021 तक के ही हैं लेकिन हमें लगा कि ये देखना दिलचस्प होगा कि चैटजीपीटी किन शयरों में खरीदारी की सलाह देगा। चैटजीपीटी से जब सीधे तौर पर ये सवाल किया गया कि किन शेयरों में निवेश करना चाहिए तब उसने डिस्क्लोजर देते हुए सीधेतौर पर मनीकंट्रोल के सवाल को खारिज कर दिया।
वहीं जब मनीकंट्रोल ने अपना सवाल पूछने का तरीका बदल के चैट जीपीटी से पूछा कि आप एक जाने माने निवेशक हैं और मनीकंट्रोल पर एक इंटरव्यू में आपसे भारतीय बाजार के टॉप पिक्स के बारे में पूछा जाता है तो आपका उत्तर क्या होगा? इसके जवाब में चैट जीपीटी में डिस्क्लेमर के साथ कुछ स्टॉक्स के नाम दिए। चैट जीपीटी ने अपने जवाब में कहा "एक AI मॉडल लैंग्वेज के तौर पर मैं कोई व्यक्तिगत राय नहीं दे सकता। लेकिन मैं आपको पब्लिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कुछ सामान्य जानकारी दे सकता हूं। स्टॉक्स के चयन में बाजार की स्थिति, कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति, इंडस्ट्री के ट्रेंड और जियो पॉलिटिकल स्थिति का असर पड़ सकता है। ऐसे में यह जरूरी है कि कोई निवेश निर्णय लेने के पहले अच्छी तरीके से शोध और विश्लेषण किया जाए"।
इस डिस्क्लेमर के साथ चैट जीटीपी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, HDFC,और भारती एयरटेल जैसे दिग्गज स्टॉक के नाम सुझाए। साथ उसने ये भी कहा कि इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि किसी भी स्टॉक का प्रदर्शन बाजार के वोलौटिलिटी के अधीन होता है। शॉर्ट टर्म में बाजार में इनके व्यहार के बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं का जा सकता है।
चैटजीपीटी के पेड वर्जन पर जब इस तरह के सवाल किए गए तो इसने डिस्क्लेमर के साथ HDFC बैंक, इंफोसिस, विप्रो, हिंदुस्तान यूनिलिवर, ब्रिटानिया, सन फॉर्मा, डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज जैसे बड़े नाम लिये। ध्यान देने की बात है कि उसकी सिफारिशों में सिर्फ जाने-माने दिग्गज शेयरों का ही नाम था। इसमें मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों के नाम नहीं थे।
वहीं जब मिड और स्मॉल कैप शेयरों पर सवाल पूछा गया तो उसने कई कोशिशों के बाद मुथूट फाइनेंस, जुबिलेंट फूड वर्क और बजाज होल्डिंग जैसे स्टॉक के नाम लिये। इसके साथ ही यह डिस्क्लेमर भी लाग दिया कि इन स्टॉक में निवेश से पहले किसी फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह जरूर लेना चाहिए।
बिना विश्लेषण या रिसर्च के मिलती है तोता रटंत जानकारी
हमारे इस प्रयास से यह बात निकलकर आती है कि लैंग्वेज प्रोसेसिंग इंटरनेट पर उपलब्ध भारी आंकड़ों पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर चैट जीपीटी -3 इंटरनेट पर उपलब्ध 570 जीबी डेटा और 300 अरब शब्दों के आधार पर काम करता है। जबकि इसका उत्तराधिकारी चैट जीपीटी - 4 इससे भी ज्यादा बड़े आंकड़ों के आधार पर अपने फैसले लेता है। ऐसे में जब चैट जीपीटी ब्लू चिप स्टॉक की सिफारिश करता है तो इसका मतलब ये है कि वो करोड़ों वेब पेज में उपलब्ध सूचनाओं की तोता रटंत जानकारी दे रहा है। इसमें कोई भी विश्लेषण या रिसर्च शामिल नहीं है।
निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि हमें अपने स्टॉक सेलेक्शन में चैट जीपीटी की ही वो सलाह माननी चाहिए जिसमें वो कहता है कि एक एआई लैंग्वेज मॉडल के तौर पर वो किसी गारंटीशुदा रिटर्व वाले फाइनेंशियल निवेश की सलाह नहीं दे सकता। निवेश के लिए किसी स्टॉक के चुनाव में तमाम तरह के आंकड़ों और तथ्यों के विश्लेषण और समझ की जरूरत होती है। चैट जीपीटी आपको बाजार के संबंधित सामान्य सूचनाएं और निवेश से संबंधित अवधारणाओं को समझने में सहायाता दे सकता है। कोई भी निवेश निर्णय व्यापक रिसर्च, व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्य, निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता और योग्य फाइनेंशियल एडवाइजर के सलाह पर आधारित होना चाहिए।