स्विटजरलैंड की दिग्गज एमएनसी वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस के शेयर सोमवार को 12 फीसदी टूटकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गए। इसके चलते कंपनी की वित्तीय स्थिति से जुड़ी आशंकाओं को मजबूती मिली है। सोशल साइट्स पर आशंकाएं जताई जा रही हैं कि दुनिया के सबसे बड़े बैंकों में शुमार क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) डूब सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसका झटका पूरी दुनिया में दिख सकता है।
कंपनी लगातार निवेशकों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि उसके पास एक योजना है जिससे वह अपनी स्थिति सुधार सकती है। आशंकाई जताई जा रही है कि यह लीमैन ब्रदर्स की राह पर है जिसने वर्ष 2008 में जैसे ही दिवालिया के लिए आवेदन किया था, पूरी दुनिया हिल गई थी। हालांकि सिटी ग्रुप के एंड्रूयू कूंब्स का भरोसे के साथ कहना है कि यह वर्ष 2008 नहीं है।
Credit Suisse को लेकर क्यों फैल रहा है डर
जब से कंपनी ने पिछले साल Archegos Capital Management में निवेश किया है तब से इसे भारी घाटा हो रहा है। सीडीएस (क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स) की बढ़ती लागत के चलते सोमवार को शेयरों में भारी बिकवाली शुरू हो गई। सीडीएस के जरिए बैंकों की सेहत मापी जाती है और अगर इसकी बिक्री अधिक होती है तो इससे आशंका बनती है कि बैंक फेल होने वाला है। इसकी खरीदारी बॉन्ड में लगी रकम के डूबने की भरपाई के लिए होती है। इसकी खरीदारी तब होती है जब बैंक के डिफॉल्ट होने का खतरा होता है और बॉन्ड में निवेश डूबने का डर रहता है।
27 अक्टूबर को क्रेडिट सुईस आपातकालीन स्ट्रैटजी पर चर्चा करेगी। एनालिस्ट्स के मुताबिक इसकी लागत 400 करोड़ डॉलर की हो सकती है। निवेशकों को सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि बैंक रिकवरी के लिए जो योजना तैयार कर रहा है, उसकी लागत कहां से आएगी और वह भी ऐसे समय में जब इंवेस्टमेंट बैंक क्रेडिट सुईस को भारी घाटा हो रहा है।
पहली बार नहीं आई है ऐसी स्थिति
क्रेडिट सुईस ग्रुप एजी के मुख्य वित्तीय अधिकारी दीक्षित जोशी के सामने विपरीत परिस्थितियां हैं लेकिन अनजाना नहीं। इससे पहले वह ड्यूश बैंक (Deutsche Bank AG) में भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुके हैं। कुछ एनालिस्ट्स के मुताबिक वर्ष 2016 और 2017 में जर्मनी के दिग्गज ड्यूश बैंक के सीडीएस की बिक्री में उछाल थी जिससे जोशी ने कारगर तरीके से निपटाया।
ऐसी ही स्थिति से Morgan Stanley भी वर्ष 2011 में था और सफलतापूर्वक निकल चुका है। क्रेडिट सुईस की बात करें इसके शेयर रिकॉर्ड ऊंचे भाव से 95 फीसदी से अधिक टूट चुके हैं और ऐसे कठिन समय में बैंक पूंजी जुटाने की कोशिश कर सकता है।