डाबर इंडिया (Dabur India) द्वारा कल पेश किये गये तीसरी तिमाही के नतीजों में शुद्ध मुनाफे में गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद कंपनी के शेयर के भाव पर आज 3 फरवरी को बाजार की नजरें रहेंगी। डाबर इंडिया ने दिसंबर 2022 को समाप्त तिमाही के लिए कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफे में 5.5 प्रतिशत की सालाना गिरावट के साथ 476.6 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया। डाबर ने गुरुवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि एक साल पहले इसी तिमाही में शुद्ध मुनाफा 504 करोड़ रुपये था। जबकि ऑपरेशंस से आय Q3 FY22 में 2,942 करोड़ रुपये से सालाना 3.5 प्रतिशत बढ़कर 3,043 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी ने कहा कि आय पहली बार 3,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है।
ऑपरेशंस के मोर्चे पर EBITDA 2.7 प्रतिशत गिरकर 610.4 करोड़ रुपये हो गया। ऑपरेटिंग मार्जिन 21.3 प्रतिशत सालाना आधार पर 100 बेसिस प्वाइंट गिरकर 20.1 प्रतिशत हो गई।
कंपनी द्वारा दिसंबर तिमाही के नतीजे घोषित करने के बाद स्टॉक्स पर क्या कहते हैं ब्रोकरेज हाउस
निर्मल बंग ने Dabur India के शेयर पर खरीदारी की रेटिंग बनाये रखी है। उन्होंने इसके शेयर का लक्ष्य रिवाइज करके 640 रुपये प्रति शेयर तय किया है।
ब्रोकिंग फर्म ने 620 रुपये प्रति शेयर के लक्ष्य के साथ स्टॉक पर 'आउटपरफॉर्म' रेटिंग बरकरार रखी है। उनका कहना है कि कंपनी के प्रोडक्ट के लिए ग्रामीण मंदी चिंता का विषय है। ये स्टॉक री-रेटिंग के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। उच्च ग्रामीण बिक्री विकास को प्रभावित करती है। जबकि शेयर में बढ़त को बनाये रखती है।
सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार कम एएंडपी खर्च के साथ मुद्रास्फीति के दबाव को आंशिक रूप से नकार दिया गया है। जबकि ग्रामीण कमजोरी चिंता का विषय है।
ब्रोकरेज हाउस ने 609 रुपये प्रति शेयर के लक्ष्य के साथ स्टॉक पर 'एक्यूमुलेट' ('accumulate') रेटिंग बरकरार रखी है। उनका कहना है कि डाबर के तीसरी तिमाही के नतीजों में वॉल्यूम में 3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। जबकि मुनाफा अनुमान के मुताबिक रहा। इसमें विज्ञापन खर्च में 24 प्रतिशत की कमी ने अहम भूमिका निभाई। प्रभुदास लीलाधर का मानना है कि कंपनी की समग्र बिक्री में 45 प्रतिशत योगदान ग्रामीण भारत का है।
रिसर्च हाउस ने 640 रुपये के रिवाइज्ड टारगेट प्राइस के साथ स्टॉक पर खरीदारी की रेटिंग बनाए रखी है। उनका कहना है कि Q3FY2023 डाबर के लिए एक सुस्त तिमाही रही। ग्रामीण बाजारों में मंदी, सर्दियों के मौसम में देरी और उच्च इनपुट कीमतों का कंपनी के प्रदर्शन पर असर पड़ा।
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