Daily Voice : वर्तमान आर्थिक स्थितियों और अमेरिका में मंदी की आशंका गहराने के साथ ही हमें इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए की दूसरी तिमाही के नतीजों के दौरान आईटी कंपनियों की मैनेजमेंट कमेंट्री में हमें सतर्क नजरिया देखने को मिल सकता है। ये बातें टाटा म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर चंद्रप्रकाश पडियार ने कही हैं। उन्होंने आगे कहा कि गैर-जरूरी खर्चों में लगातार गिरावट के साथ पिछली कुछ तिमाहियों से आईटी कंपनियों के मैनेजमेंट की कमेंट्री में सतर्क नजरिया देखने को मिल रहा। यहा आगे भी जारी रहने की संभावना है। ब्लूमबर्ग के एक सर्वे से भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में आईटी कंपनियों के नतीजे कमजोर रह सकते हैं।
इक्विटी रिसर्च और फंड मैनेजमेंट में 22 साल से ज्यादा समय बिताने वाले बाजार के दिग्गज चंद्रप्रकाश पडियार का मानना है कि इस वित्त वर्ष के बाकी समय में कच्चे तेल की कीमत भारत के लिए सबसे बड़ा जोखिम साबित हो सकती है। इसके साथ ही इक्विटी बाजार नवंबर 2023 में पांच राज्यों में होने वाले चुनावों पर भी रिएक्ट करेगा। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव भी करीब आ जाएंगे। ये सभी फैक्टर आगे बाजार की चाल पर अपना असर डालेंगे।
चंद्रप्रकाश पडियार का कहना है कि सरकार और आरबीआई की कोशिशों के चलते देश में महंगाई की दर लॉन्ग टर्म में RBI के लक्ष्य के अंदर ही रहेगी। महंगाई की स्थिति पर सबसे ज्यादा असर ग्लोबल क्रूड की कीमतों का पडे़गा।
क्या आप आईसीसी क्रिकेट विश्व कप और आगामी त्योहारी सीज़न जैसे दो बड़े इवेंट्स को देखते हुए कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी स्टॉक्स पर दांव लगाने के पक्ष में हैं? इस पर चंद्रप्रकाश पडियार ने कहा कि टाटा एसेट मैनेजमेंट अपना पोर्टफोलियो लॉन्ग टर्म नजरिए से बनाता है। ये फर्म किसी शॉर्ट टर्म इवेंट से प्रभावित नहीं होती है। हालांकि अनुभव बताता है कि क्रिकेट विश्व कप या त्योहारी सीजन जैसे इवेंट्स के कारण कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी स्टॉक्स में शॉर्ट टर्म में तेजी आ सकती है। लेकिन टाटा एसेट मैनेजमेंट लंबी अवधि के नजरिए से भी इन स्टॉक्स पर बुलिश है। अगले पांच सालों में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़ने की संभावना है। देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के साथ देश में लोगों की मांग के पैटर्न में भी बदलाव की संभावना है। इसके साथ ही लोगों की मांग भी बढ़ेगी। जिसको देखते हुए टाटा म्यूचुअल फंड जनरल कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी सेक्टर के शेयरों को लेकर बुलिश है।
मिड और स्मॉलकैप शेयरों पर बात करते हुए चंद्रप्रकाश पडियार ने कहा कि इनमें अब तक काफी तेजी आ चुकी है। अब ये स्टॉक महंगे दिख रहे हैं। लंबी अवधि के नजरिए से तो अभी भी मिड और स्मॉलकैप अच्चे लग रहे हैं। लेकिन शॉर्ट टर्म में इनमें करेक्शन या कंसोलीडेशन देखने को मिल सकता है।
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