अगर भारतीय बॉन्डों को जेपी मॉर्गन ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स ( JPMorgan global bond index)में एंट्री मिल जाती है तो इससे डॉलर के मुकाबले तमाम उभरते बाजारों की करेंसी को सपोर्ट मिलता दिख सकता है। इसमें भारतीय रुपया भी शामिल है। यूएस फेडरल रिजर्व बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है जिसके चलते दूसरी करेंसी की तुलना में डॉलर मजबूत बना हुआ है। डॉलर की मजबूती के चलते रुपये जैसी उभरते बाजारों की करेंसीज पर दबाव है। अगर भारतीय बॉन्ड इस ग्लोबल इंडेक्स में शामिल हो जाता है तो भारतीय रुपये को डॉलर के मुकाबले सपोर्ट हासिल हो सकता है। यह बातें Julius Baer India के उमेश कुलकर्णी ने मनीकंट्रोल के साथ हुई बातचीत में कही हैं। बतातें चलें कि जेपी मॉर्गन ने हाल ही में भारतीय बॉन्ड्स को जेपी मॉर्गन ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल करने के लिए बाजार भागीदारों की सलाह मांगी है।
इक्विटी मार्केट पर बात करते हुए उमेश कुलकर्णी ने कहा कि भारतीय बाजार दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में आगे भी प्रीमियम वैल्यूएशन पर बना रहेगा। इसकी वजह यह है कि भारतीय कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ काफी अच्छे स्तर पर है और भारत की इकोनॉमी दूसरे देशों की इकोनॉमी की तुलना में ज्यादा तेजी से ग्रोथ कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय बाजार में घरेलू निवेशकों की तरफ से आने वाला पैसा मजबूत स्तर पर है। इसके अलावा देश में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट के लिए भी काफी अच्छा माहौल दिख रहा है। अगर विदेशी निवेशकों की तरफ से चीन के बाजार से पैसा निकला जाता है तो इसका अगला पड़ाव भारत ही होगा।
आईटी सेक्टर पर बात करते हुए उमेश कुलकर्णी ने कहा कि हमें कुछ लॉर्जकैप आईटी कंपनियां पसंद हैं। वहीं मिडकैप आईटी की बात करें तो हाल में आए करेक्शन के बावजूद इनका वैल्यूएशन अपने हिस्ट्रोरिकल एवरेज से अभी भी काफी ऊपर है। आईटी कंपनियों के लिए एक अच्छी बात यह है कि वर्तमान में इनको मिल रहे ऑर्डर ठीक- ठाक स्थिति में नजर आ रहे हैं। इसके अलावा कंपनियों का मैनेजमेंट आगे भी अच्छे डील मिलने की उम्मीद कर रहा है। क्लाउड माइग्रेशन और डिजिटल अडॉप्शन पर कंपनियों पर होने वाला खर्च जारी रहने की उम्मीद है। इसके अलावा सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें खत्म होने के साथ ही मार्जिन में भी बढ़त की संभावना नजर आ रही है। लेकिन दूसरी तरफ विकसित देशों की सभावित मंदी इस सेक्टर के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे में हम आईटी सेक्टर को लेकर न्यूट्रल नजरिया रखते हैं।
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर में एक बार फिर डिमांड बढ़ती दिख रही है। इसके अलावा अनसोल्ड इन्वेंट्री भी घटी है। ऐसे में हम रियल एस्टेट और रियल एस्टेट से जुड़े सेक्टरों को लेकर पॉजिटिव हैं। इसी तरह सीमेंट सेक्टर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जुलाई-अगस्त की मंदी के बाद सितंबर में सीमेंट की कीमतों में एक बार फिर तेजी आनी शुरू हुई है। इससे आगे सीमेंट कंपनियों के मार्जिन में सुधार देखने को मिल सकता है। इसके अलावा मानसून के बाद सीमेंट कंपनियों की डिमांड में और मजबूती आने की संभावना है। सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर पर किए जाने वाले खर्च से भी इस सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा। ऐसे में सीमेंट सेक्टर का आउटलुक भी अच्छा नजर आ रहा है।
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