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Daily Voice : उगता सूरज है इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, आईटी और स्पेशियलिटी केमिकल्स की तरह ही करेगा कमाल

Daily Voice : इक्विटी और कैपिटल मार्केट का करीब 2 दशकों का अनुभव रखने वाले मनीष जैन का कहना है कि भारतीय बाजार और इकोनॉमी बुनियादी रुप से मजबूत हैं आगे इनमें जोरदार ग्रोथ देखने को मिलेगी। ऐसे में हमें बाजार में आने वाली हर गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए। इस साल अब तक 12 फीसदी रिटर्न देने वाले आईटी सेक्टर पर बात करते हुए मनीष जैन ने कहा कि ये सेक्टर मीडियम से लॉन्ग टर्म नजरिए से निवेश के लिए अच्छा दिख रहा है

अपडेटेड Sep 07, 2023 पर 12:20 PM
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Daily Voice : मनीष ने कहा कि पावर सेक्टर में मांग लगातार ऊंची बनी हुई है और पिछले कुछ वर्षों में इस सेक्टर में कई बुनियादी बदलाव हुए हैं। फिर भी अभी इस सेक्टर से दूर रहना ही ठीक होगा

Daily Voice : एंबिट एसेट मैनेजमेंट (Ambit Asset Management) में कॉफी कैन पीएमएस (Coffee Can PMS) के फंड मैनेजर मनीष जैन ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि भारतीय ईएमएस मार्केट (electronics manufacturing space) एक उगते सूरज की तरह है। आगे इसमें जोरदार तेजी देखने को मिलेगी। आईटी/आईटीईएस और स्पेशियलिटी केमिकल्स की तरह ही इसमें भी हमें जोरदार तेजी देखने को मिलेगी। इस साल अब तक 12 फीसदी रिटर्न देने वाले आईटी सेक्टर पर बात करते हुए मनीष जैन ने कहा कि ये सेक्टर मीडियम से लॉन्ग टर्म नजरिए से निवेश के लिए अच्छा दिख रहा है।

इक्विटी और कैपिटल मार्केट का करीब 2 दशकों का अनुभव रखने वाले मनीष जैन का कहना है कि भारतीय बाजार और इकोनॉमी बुनियादी रुप से मजबूत हैं आगे इनमें जोरदार ग्रोथ देखने को मिलेगी। ऐसे में हमें बाजार में आने वाली हर गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जीडीपी ग्रोथ, राजकोषीय घाटा, करेंसी और सरकारी पूंजीगत व्यय सभी मजबूत हैं।

क्या आपको लगता है कि खराब मानसून का आने वाले महीनों में ग्रामीण रिकवरी पर असर नहीं पड़ेगा? इस बात करते हुए मनीष जैन ने कहा कि बेशक मॉनसून उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है। इसका असर ख़रीफ़ फसल के उत्पादन पर पड़ेगा। इससे शॉर्ट टर्म में खाने-पीने की चीजों की कीमत ऊंची बनी रह सकती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि पिछले दशक में कुल ग्रामीण आय में कृषि की हिस्सेदारी नाटकीय रूप से कम हो गई है। चुनाव आने वाले हैं और थोक महंगाई नरम बनी हुई है। कुल ग्रामीण मांग में मजबूती बने रहने की उम्मीद है।


क्या एफएमसीजी और खपत वाले शेयरों को लेकर सतर्क रहने का समय आ गया है? इस सवाल के जवाब में मनीष जैन ने कहा कि पिछली तिमाही में इस सेक्टर के मार्जिन में बढ़त देखने को मिली थी। लेकिन इस समय एफएमसीजी और खपत वाले शेयर महंगे दिख रहे हैं। दूसरी ओर ग्रोथ में नरमी बनी हुई है, जो चिंता की वजह है। इसलिए इस सेक्टर को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।

क्या आप इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर दांव लगा रहे हैं? इस पर मनीष ने कहा कि भारतीय ईएमएस मार्केट (electronics manufacturing space)एक उगते सूरज की तरह है। आगे इसमें जोरदार तेजी देखने को मिलेगी। आईटी/आईटीईएस और स्पेशियलिटी केमिकल्स की तरह ही इसमें भी हमें जोरदार तेजी देखने को मिलेगी। इस सेक्टर में भारत में होने वाले आयत का घरेलू विकल्प बनने की व्यापक संभावना है। इसको ध्यान में रखते हुए ही सरकार देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स, स्कीम फॉर प्रोमोशन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेन्ट एंड सेमीकंडक्टर्स (SPECS)जैसी तमाम योजनाएं चला रही है। इससे इस सेक्टर को फायदा होगा।

इसके अलावा इस सेक्टर में एक्सपोर्ट के भी काफी व्यापक अवसर हैं। विशेष रूप से चीन+1 रणनीति का पालन करने वाली अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियां अब अपनी जरूरतों के लिए भारत की तरफ देख रही हैं। भारतीय कंपनियां अब इनकी पसंदीदा सप्लायर हैं जो उन्हें चीन पर अत्यधिक निर्भरता से बचाता है। चीन की तुलना में भारत का कम लागत वाला श्रम और अनुकूल सरकारी नीतियां घरेलू कंपनियों के लिए बड़े पैमाने पर क्षमता बढ़ाने का अवसर दे रहा है।

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अब असेंबली लाइन से लार्ज स्केल डिजाइन और प्रोडक्शन की ओर शिफ्ट हो रही हैं। भारतीय ईएमएस कंपनियां अब पीसीबी से लेकर अंतिम उत्पाद तक प्रोडक्ट्स के लिए इन-हाउस डिजाइन और डेवलपमेंट पर फोकस कर रही हैं। इस बदलाव से कंपनियों के मार्जिन में बढ़त होगी।

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यूटिलिटीज के बारे में आपकी क्या राय है? इस सवाल के जवाब में मनीष ने कहा कि पावर सेक्टर में मांग लगातार ऊंची बनी हुई है और पिछले कुछ वर्षों में इस सेक्टर में कई बुनियादी बदलाव हुए हैं। फिर भी अभी इस सेक्टर से दूर रहना ही ठीक होगा।

क्या आपको लगता है कि आईटी सेक्टर के लिए सबसे बुरा समय बीत चुका है। क्या यह आईटी स्टॉक जमा करने का सही समय है? इस पर अपनी राय रखते हुए मनीष ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के बाद से आईटी कंपनियों की कमेंट्री में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। जमीनी स्तर पर भी बदलाव के कोई बड़े संकेत नहीं हैं। हालांकि, स्थिति और खराब होती भी नहीं दिख रही है।

ग्लोबल मैक्रो स्थितियों में सुधार और ब्याज दरों के स्थिर होने की उम्मीदों के साथ हमें कैलेंडर वर्ष 2024 में कंपनियों के आईटी मांग में तेजी आने की उम्मीद है। उम्मीद है कि लॉन्ग टर्म में आईटी कंपनियों की ग्रोथ रेट कोविड-पूर्व लेवल से ज्यादा लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 से नीचे रहेगी। ऐसे में आईटी सेक्टर लॉन्ग से मीडियम टर्म के लिए तो अच्छा लग रहा है। लेकिन शॉर्ट टर्म में ये सेक्टर वोलेटाइल और कमजोर रह सकता है।

 

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