घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने पिछले साल की तरह ही इस साल भी शेयर बाजार में आक्रामक तरीके से खरीदारी जारी रखी है। 2025 में अब तक उनकी कुल खरीदारी 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है। जबकि दूसरी तरफ विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। NSE के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू निवेशकों ने 2025 की शुरुआत में ही भारतीय शेयर बाजार में 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है, जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने अब तक लगभग उतनी ही राशि, 1.06 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले हैं।
DIIs ने पिछले साल 2024 में भी रिकॉर्ड तोड़ खरीदारी की थी और 5.22 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे थे, जबकि FIIs ने साल का अंत कुल 427 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली के साथ किया था।
घरेलू निवेश ने शेयर बाजार में जारी अस्थिरता को कुछ सपोर्ट देने की कोशिश की है। हालांकि इसके बावजूद सेंसेक्स और निफ्टी इस साल अब तक 3% से अधिक गिर चुके हैं। इसके अलावा, BSE मिडकैप और BSE स्मॉलकैप इंडेक्स में 20% से ज्यादा की गिरावट देखी गई है, जिससे बाजार में निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चेतावानी दी कि शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों का म्यूचुअल फंड्स के जरिए जो पैसा आ रहा है, उसमें गिरावट आ सकती है। ब्रोकरेज ने शेयर बाजार का रिटर्न कमजोर हो रहा है। ऐसे में कई रिटेल निवेशक अपने निवेश को रोक सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर घरेलू निवेशकों का इक्विटी में निवेश घटता है, तो यह भारतीय बाजार पर और अधिक दबाव में डाल सकता है।
शेयर बाजार में सितंबर 2024 के बाद से ही लगातार गिरावट जारी है। इसके पीछे कमजोर तिमाही नतीजे और विदेशी फंड्स की लगातार बिकवाली जैसे कारण है।
क्या DIIs की खरीदारी जारी रहेगी?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर शेयर बाजार में कमजोरी लंबे समय तक बनी रहती है, तो DIIs की खरीदारी की रफ्तार धीमी हो सकती है, लेकिन वे निवेश करना बंद नहीं करेंगे। बाजार अब अपने लॉन्ग-टर्म PE एवरेज के करीब पहुंच रहा है, जिससे वैल्यूएशन निवेशकों के लिए आकर्षक होता जा रहा है। इसके अलावा, हर महीने SIP के जरिए 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का स्थिर निवेश आ रहा है, जो DIIs को लगातार लिक्विडिटी मुहैया कराता रहेगा।
SKI Capital के CEO नरिंदर वाधवा का कहना है कि "शॉर्ट-टर्म में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है, क्योंकि FIIs की बिकवाली, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति, भू-राजनीतिक जोखिम और ट्रंप के नए टैरिफ जैसे कारण बाजार को प्रभावित कर रहे हैं।" हालांकि, निफ्टी इंडेक्स 22,300-22,500 के स्तर पर मजबूत सपोर्ट दिखा सकता है, जहां नई खरीदारी उभरने की संभावना है।
कौन से सेक्टर outperform कर सकते हैं?
मार्केट एनालिस्ट्स का मानना है कि बैंकिंग, कंजम्पशन और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर मजबूत प्रदर्शन कर सकते हैं, जबकि IT और नए जमाने की टेक कंपनियां हाई वैल्यूएशन के चलते दबाव में रह सकती हैं। कुल मिलाकर, बाजार में शॉर्ट-टर्म करेक्शन की संभावना बनी हुई है, लेकिन DIIs का समर्थन जारी रहेगा, जिससे किसी गहरी गिरावट की संभावना कम हो जाएगी – जब तक कि कोई बड़ा बाहरी झटका न लगे।
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