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Experts views : 24500 के ऊपर एक निर्णायक ब्रेकआउट से ही होगी ट्रेंड बदलने की पुष्टि, जोखिम लेने से बचें

डोनाल्ड ट्रंप की मंहगाई बढ़ाने वाली नीतियों से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गति धीमी होने की आशंका है, जिसका असर भारत की मौद्रिक नीति पर भी पड़ सकता है

अपडेटेड Nov 07, 2024 पर 4:55 PM
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डॉलर में मजबूती के बाद रुपये के नए लो पर पहुंचने के बाद विदेशी फंडों की लगातार निकासी के कारण बाजार में गिरावट देखने को मिली

भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स 7 नवंबर को लाल निशान में बंद हुए है। निफ्टी आज 24,200 के नीचे बंद हुआ है। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 836.34 अंक या 1.04 प्रतिशत नीचे 79,541.79 पर और निफ्टी 284.70 अंक या 1.16 प्रतिशत नीचे 24,199.30 पर बंद हुआ है। विदेशी फंडों की लगातार बिकवाली भारतीय शेयर बाजार पर अपना अर दिखा रही है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने नवंबर में अब तक ₹11,500 करोड़ से अधिक मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं। स्टॉक एक्सचेंजों के आंकड़ों के अक्टूबर में एफआईआई ₹1.14 लाख करोड़ मूल्य के शेयर बेचे थे। एक्सचेंजों पर उपलब्ध प्रोविजनल आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को एफआईआई ने ₹4,445.59 करोड़ मूल्य के भारतीय शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने ₹4,889.33 करोड़ मूल्य के शेयर खरीदे।

विश्लेषकों का मानना ​​है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत पहले की अपेक्षा कहीं अधिक उथलपुथल करने वाली साबित हो रही है। ये निर्णय अच्छे और बुरे दोनों साबित हो सकते हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार का कहना है कि ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकती है। लेकिन अगर वह अपनी बात पर अड़े रहते हैं और चीन से होने वाले आयात पर 60 फीसदी टैरिफ और दूसरे देशों से होने वाले आयात पर 10-20 फीसदी टैरिफ लगाते हैं, तो इससे महंगाई बढ़ेगी और महंगाई पर लगाम कसने की फेड की नीति को नुकसान पहुंचेगा। इससे यूएस फेड की ब्याज दरों में कटौती की वर्तमान नीति पर पुनर्विचार करना जरूरी हो जाएगा। ऐसे में ग्लोबल इक्विटी मार्केट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

डोनाल्ड ट्रंप की मंहगाई बढ़ाने वाली नीतियों से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गति धीमी होने की आशंका है, जिसका असर भारत की मौद्रिक नीति पर भी पड़ सकता है।


ग्लोबल स्तर पर केंद्रीय बैंकर डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर वापस आने के संभावित प्रभावों का आकलन कर रहे हैं। ट्रंप की नीतियों से दो बड़े जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। इनमें से पहला है धीमी ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ और तेज़ घरेलू महंगाई। इससे फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों को कम करने की क्षमता सीमित हो सकती है, डॉलर मजबूत हो सकता है और विकासशील देशों के लिए अपनी मौद्रिक नीतियों को समायोजित करने संभावनाएं कम हो सकती हैं। बता दें कि आज अमेरिकी फेड के फैसलों की घोषणा की जाएगी। इस बात की ज्यादा संभावना है कि केंद्रीय बैंक अपनी नीति दरों में 25 बेसिस प्वाइंट कटौती का एलान कर सकता है।

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एंजेल वन के समीत चव्हाण का कहना है कि हाल के प्राइस एक्शन से ट्रेंड में बदलाव के शुरुआती संकेत मिले हैं। हालांकि अभी हमें अति उत्साह से बचना चाहिए क्योंकि 24,500 से ऊपर एक निर्णायक ब्रेकआउट होना अभी भी बाकी है। अगर निफ्टी 24,500 से ऊपर जाकर मजबूती दिखाता है तो फिर हमें इसमें 24,700 - 24,800 का स्तर देखने को मिल सकता है। वहीं, इसके लिए 24,200 के आसपास सपोर्ट है।

मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे का कहना है कि कल की राहत के बाद फिर से बिकवाली का दबाव बढ़ने से बाजार अपनी मजबूत शुरुआत का फायदा उठाने में विफल रहे। डॉलर में मजबूती के बाद रुपये के नए लो पर पहुंचने के बाद विदेशी फंडों की लगातार निकासी के कारण बाजार में गिरावट देखने को मिली। निवेशकों ने अमेरिकी फेड के नीति एलान से पहले अपनी पोजीशन समेट ली क्योंकि वे महंगाई में संभावित बढ़त की चिंताओं के कारण इस बार ब्याज दरों में कटौती के बारे में दुविधा की स्थिति में हैं।

 

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