सेबी ने एफएंडओ ट्रेडिंग के नए नियम जारी कर दिए हैं। इसका इंतजार पहले से किया जा रहा था। इनमें से कई नियम 20 नवंबर से लागू हो जाएंगे। मार्केट रेगुलेटर ने नए नियम ऐसे वक्त पेश किए हैं, जब स्टॉक मार्केट्स पहले से दबाव में थे। 3 अक्टूबर को लगातार छठे दिन बाजार में गिरावट आई। हालांकि, इसकी बड़ी वजह मध्यपूर्व में बढ़ते तनाव को माना जा रहा है। लेकिन, इसमें एफएंडओ के नियमों का भी हाथ हो सकता है।
नए नियम जारी करने की बड़ी वजह एफएंडओ ट्रेडिंग में रिटेल इनवेस्टर्स की बढ़ती दिलचस्पी है। सेबी इस पर लगातार चिंता जता रहा था। कुछ महीने पहले इस बारे में कंसल्टेशन पेपर आने के बाद तय हो गया था कि मार्केट रेगुलेटर जल्द नियमों को सख्त बनाएगा।
एक्सपायरी के दिन होती थी बड़ी कमाई
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेबी के नए नियमों से डेरिवेटिव ट्रेडिंग को लॉन्ग टर्म में मजबूती मिलेगी। लेकिन, इस बारे में उनकी एक राय नहीं है कि इससे एफएंडओ ट्रेडिंग में रिटेल इनवेस्टर्स के लॉस में कितनी कमी आएगी। सेबी ने कहा है कि 20 नवंबर से एक स्टॉक एक्सचेंज को अपने प्रमुख सूचकाकों में से किसी एक सूचकांक में ही वीकली एक्सपायरी के लिए डेरिवेटिव ट्रेडिंग की इजाजत होगी। ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए एक्सपायरी का दिन प्रॉफिट कमाने के लिहाज से सबसे अहम दिन रहा है। इसकी वजह यह है कि मार्केट की चाल अनुमान के मुताबिक होने पर ऑप्शन की वैल्यू बढ़कर 10 गुना तक जा सकती है।
अब लॉस का स्प्रेड पूरा हफ्ता नहीं होगा
पहले रोज होने वाली एक्सपायरी में 50,000 रुपये से एक ट्रेडर रोजाना 10,000 रुपये का दांव लगा सकता था। वह इस सोच के साथ दांव लगाता था कि अगर बाजार की चाल अनुमान के मुताबिक नहीं रहती है तो लॉस का स्प्रेड पूरा हफ्ता होगा। अब, एक एक्सचेंज को एक वीकली एक्सपायरी की इजाजत मिलने से ट्रेडर को एक दिन में पूरे 50,000 का लॉस हो सकता है। क्विक एल्गो के साकेत रामकृष्ण ने कहा कि हालांकि कुल लॉस उतना ही रहेगा, लेकिन फर्क यह है कि इसके कई दिनों तक स्पेड की जगह एक ही बार में यह लॉस हो जाएगा।
ऑप्शन सेलर्स अब ऑप्शन बायर्स बन सकते हैं
मार्केट रेगुलेटर का दूसरा कदम मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज से जुड़ा है। उसने इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज को 5-10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15-20 लाख रुपये कर दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कदम से ऐसे ऑप्शन सेलर्स जिनके पास कम पैसे हैं वे अब ऑप्शन खरीदने के बारे में सोच सकते हैं, क्योंकि इसके लिए कम पैसे की जरूरत पड़ेगी। साकेत ने कहा, "लॉट साइज बढ़ जाने से सेलर अब ट्रेड नहीं कर पाएगा और वह ऑप्शन खरीदेगा, क्योंकि इसके लिए कम पैसे की जरूरत पड़ेगी।" उन्होंने कहा कि नए नियम की वजह से लोग ऑप्शन खरीदना शुरू कर सकते हैं, जो ठीक नहीं है क्योंकि ज्यादातर ऑप्शन बायर्स को नुकसान उठाना पड़ता है।
यह भी पढ़ें: Short Call: इस वजह से FIIs की बिकवाली का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, जानिए Aurobindo Pharma और Muthoot Finance क्यों सुर्खियों में हैं
डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्मों पर पड़ेगा असर
एल्गो टेस्ट के फाउंडर और सीईओ राघव मलिक ने कहा कि नए नियमों की वजह से फायदा कमाने वाले ऑप्शन सेलर्स मार्केट से बाहर हो जाएंगे। इससे डेरिवेटिव में लॉस उठाने वाले ट्रेडर्स का सेबी का डेटा 89 फीसदी से बढ़ जाएगा। नए नियमों का असर उन ब्रोकरेज फर्मों पर भी पड़ेगा, जिनके रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा डेरिवेटिव्स से आता है। इसका ज्यादा असर डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्मों पर पड़ेगा।