Fed rate cut : यूएस फेड ने 50 बेसिस प्वाइंट घटाई ब्याज दर, जानिए भारतीय बाजार पर क्या होगा असर
US Federal Reserve : अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा बैंक दर में बड़ी कटौती से कमजोर डॉलर और कम ब्याज दरों के साथ भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेश निवेश बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन बाजार जानकारों ने यह चिंता भी व्यक्त की है कि बाजार इस कदम को अमेरिका में संभावित आर्थिक मंदी को लेकर फेड की बढ़ती आशंकाओं के संकेत के रूप में देख सकता है
दर कटौती के बाद हमें आईटी, निजी बैंक, एफएमसीजी, फार्मा और रियल्टी जैसे सेक्टरों पर फोकस करना चाहिए। अजीत मिश्रा ने हाल ही में हुए करेक्शन के बावजूद महंगे वैल्यूशन का हवाला देते हुए पीएसयू शेयरों में निवेश करने के खिलाफ चेतावनी दी है
यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिजर्व ने 18 सितंबर को अपनी नीति दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की। ये पिछले चार सालों में हुई पहली कटौती है। हालांकि दरों में इस आक्रामक कटौती से भारतीय इक्विटी मार्केट को शॉर्ट टर्म में सपोर्ट मिल सकता है, लेकिन बाजार जानकारों ने चिंता व्यक्त की है कि बाजार इस कदम को अमेरिका में संभावित आर्थिक मंदी को लेकर फेड की बढ़ती आशंकाओं के संकेत के रूप में देख सकता है। फेड के फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए NSEIX पर गिफ्ट निफ्टी वायदा में लगभग 120 अंकों की बढ़त देखने को मिली। हालांकि बाद में ये ऊपरी स्तरों से कुछ ठंडा हुआ।
इस खबर के बैद भारतीय आईटी दिग्गजों इंफोसिस और विप्रो के यूएस-लिस्टेड अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADRs) ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली। ये शुरू में तो बढ़े लेकिन बाद में ऊपर से फिसल गए। कल ये एडीआर 1.8 फीसदी तक की गिरावट के साथ कारोबार करते दिखे।
फेड रेट कट के बाद भारतीय शेयर बाजार ऊपर जाएगा या नीचे?
सवाल ये है कि फेड रेट कट के बाद भारतीय शेयर बाजार ऊपर जाएगा या नीचे? इसको समझने के लिए अभी रुकना होगा। फिर भी कहा जा सकता है कि ब्याज दर में इस कटौती के साथ-साथ ब्याज दर चक्र में नरमी की मजबूत उम्मीद बनी है। इससे बैंकिंग और फाइनेंस से लेकर आईटी जैसे सेक्टरों और यहां तक कि एफएमसीजी और फार्मा जैसे डिफेंसिव सेक्टरों के चुनिंदा शेयरों से भारतीय इक्विटी मार्केट को सपोर्ट मिलेगा।
कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी नीलेश शाह का कहना है कि इस दर कटौती से कमजोर डॉलर और कम दरों के साथ उभरते बाजारों में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
फेड के कल के एलान के पहले विश्लेषकों ने 25 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती की भविष्यवाणी की थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती से बाजार में मजबूत प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज में इक्विटी स्ट्रैटेजी के निदेशक क्रांती बाथिनी ने कहा था कि बड़ी कटौती उभरते बाजारों के लिए "बूस्टर" साबित होगी, खासकर भारत जैसे बैंकिंग सिस्टम लिक्विडिटी वाले क्षेत्रों में इसका काफी अच्छा असर देखने को मिलेगा।
उभरते बाजारों में फेड के फैसले से फायदा होने की संभावना,विदेशी निवेश में होगी बढ़त
बथिनी ने दर कटौती की घोषणा से पहले मनीकंट्रोल से कहा था कि बाजार ने पहले ही 25 बीपीएस कटौती तय मान ली है। अगर 50 बीपीएस की कटौती हो गई तो उभरते बाजारों में सेंटीमेंट को बूस्ट मिल सकता है।" उन्होंने कहा कि बाजार भविष्य में होने वाली कटौती के संकेतों के लिए जेरोम पॉवेल की टिप्पणी पर बारीकी से नज़र रखेगा।
बथिनी मानना है कि भारतीय बीएफएसआई सेक्टर आकर्षक बना हुआ है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कोई भी सकारात्मक बदलाव भारतीय आईटी शेयरों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
बथिनी को यह भी उम्मीद है कि चीन में गवर्नेंस संबंधी चिंताओं के कारण विदेशी निवेशकों का फोकस ग्लोबल स्तर पर चीन से हटकर भारत की ओर बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत में ज्यादा रुचि दिखा सकते हैं। लेकिन वे मिड टर्म वैल्यूएशन महंगा होने के कारण चुनिंदा शेयरों में ही मौके तलाश कर सकते हैं।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा ने अमेरिकी फेड द्वारा आक्रामक दर कटौती के प्रभावों के बारे में सावधानी से प्रतिक्रिया व्यक्त की। फेड की घोषणा से पहले उन्होंने कहा था कि 50-बीपीएस की दर कटौती अमेरिका में आर्थिक मंदी का संकेत दे सकती है, जिससे बाजार में नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है। मिश्रा ने कहा कि हाल ही में एफआईआई ने भारतीय बैंकिंग और एनबीएफसी शेयरों में रुचि दिखाई है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि विदेशी निवेशक भारत के बजाय अन्य बाजारों को तरजीह देते दिख सकते हैं।
सेक्टोरल आउटलुक: जेरोम पॉवेल की दर कटौती से आईटी क्षेत्र को होगा फायदा
दोनों विश्लेषकों ने मौजूदा माहौल में स्टॉक-विशिष्ट रणनीतियों के इस्तेमाल की बात कही है। उनका मानना है कि दर कटौती के बाद हमें आईटी, निजी बैंक, एफएमसीजी, फार्मा और रियल्टी जैसे सेक्टरों पर फोकस करना चाहिए। अजीत मिश्रा ने हाल ही में हुए करेक्शन के बावजूद महंगे वैल्यूशन का हवाला देते हुए पीएसयू शेयरों में निवेश करने के खिलाफ चेतावनी दी है।
बथिनी ने भी इसी तरह के विचार साझा किए हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश मुख्य रूप से चुनिंदा सेक्टरों में ही आ रहा है। उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर में अब तेजी आ सकती है। दर कटौती से अमेरिकी कंपनियों को मिलने वाला कोई बूस्टर भारतीय आईटी कंपनियों के हित में होगा।
ध्यान में रखने की बात है कि ब्याज दरों में कटौती की शुरुआती प्रतिक्रिया भारतीय इक्विटीज के लिए अच्छी रही। लेकिन लंबी अवधि का आउटलुक अनिश्चित बना हुआ है क्योंकि बाजार जानकारों की नजरें वैश्विक आर्थिक आंकड़ों और फेड की आगे की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।