Stock Market Crash: शेयर बाजार में इन 5 कारणों से आई भारी गिरावट, सेंसेक्स 800 अंकों से अधिक लुढ़का
Stock Market Crash: ग्लोबल शेयर बाजारों से कमजोर संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार आज गिरावट के साथ खुले। दिन के कारोबार के दौरान सेंसेक्स 800 अंकों से भी अधिक लुढ़क गया। सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। सबसे अधिक गिरावट फाइनेंशियल शेयरों में देखने को मिली। निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स करीब 3.7 फीसदी और निफ्टी बैंक 2.3 फीसदी तक गिर गया
Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजार में आज की गिरावट के पीछे कई कारण रहे
Stock Market Crash: ग्लोबल शेयर बाजारों से कमजोर संकेतों के चलते आज यानी बुधवार 25 जनवरी को भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ खुले। दिन का कारोबार बढ़ने के साथ यह गिरावट और बढ़ी और सेंसेक्स 800 अंकों से भी अधिक नीचे चला गया। दोपहर 12 बजे के करीब, सेंसेक्स 846 अंक या 1.39 गिरकर 60,132 अंक पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी 254.80 अंक या 1.41 फीसदी गिरकर 17,863 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। एक्सचेंज पर सिर्फ 752 शेयर बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे, जबकि 2,350 शेयरों में गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। वहीं 111 शेयर सपाट थे।
सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। सबसे अधिक गिरावट फाइनेंशियल शेयरों में देखने को मिली। निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स करीब 3.7 फीसदी तक लुढ़का। वहीं निफ्टी बैंक में 2.3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। निफ्टी के शेयरों में सबसे अधिक गिरावट अडानी पोर्ट्स, SBI, इंडसइंड बैंक, HDFC बैंक और अडानी एंटरप्राइजेज में देखने को मिली।
शेयर बाजार में आज की गिरावट के पीछे यूनियन बजट 2023-24 (Union Budget 2023-24) को लेकर अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार बिकवाली, ग्लोबल ग्रोथ में सुस्ती की आशंका आदि प्रमुख कारण रहे। आइए इन्हें समझते हैं-
बजट, शार्ट-टर्म में शेयर बाजार को प्रभावित करने वाला एक बड़ा इवेंट है। कारोबारी वित्त मंत्री के ऐलानों और घोषणाओं से विभिन्न सेक्टर्स को होने वाले फायदे और नुकसान को समझनें और उसके अनुसार खुद की पोजिशन लेने की कोशिश करेंगे।
अल्केमी कैपिटल मैनेजमेंट (Alchemy Capital Management) के शेषाद्री सेन ने कहा, "मौजूदा व्यवस्था की जटिलता को देखते हुए कैपिटल गेन टैक्स (CGT) को कुछ सरल बनाए जाने की आवश्यकता है। हालांकि, अगर इक्विटी पर लगने वाले कैपिटल गेन टैक्स की प्रभावी दर बढ़ती है, तो इसका बाजार पर काफी नकारात्मक असर पड़ेगा।"
विदेशी ब्रोकरेज मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) को उम्मीद है कि सरकार बजट में अपने फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 5.9 फीसदी पर रखने को लक्ष्य तय कर सकती है, जो अभी जीडीपी का 6.4 फीसदी है।
मॉर्गन स्टेनली की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट उपासना चाचरा ने कहा, "फिस्कल डेफिसिट को कम करने की जरूरत है। 6.4 प्रतिशत पर यह पहले से ही इतना ऊंचा है कि आगे कोई फिसलन होने पर बाजार इसे पसंद नहीं करेंगे। हमारा अनुमान है कि सरकार इसे धीरे-धीरे 5.9 प्रतिशत पर लाएगी। 6 या 6 प्रतिशत से ऊपर होना बाजारों के लिए थोड़ा नकारात्मक होगा।"
विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना
साल 2022 की तरह ही, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) इस साल भी भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसे निकाल रहे हैं। नए साल 2023 में अभी तक विदेशी निवेशकों ने कुल करीब 1.6 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं। इस बिकवाली की सबसे अधिक मार फाइनेंशियल और आईटी शेयरों पर पड़ी है। इसके अलावा कंज्यूमर सर्विसेज, ऑयल एंड गैस, टेलीकम्युनिकेशन और ऑटो शेयर पर भी इसके चलते दबाव में रहे हैं।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेस (Geojit Financial Services) के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट, डॉ. वीके विजयकुमार ने बताया, "FII की ओर से लगातार बिकवाली के पीछे एक सीधा कारण यह है कि भारत ही इकलौता बाजार है, जहां विदेशी निवेशक अभी भी अच्छे मुनाफे की स्थिति में बैठे हुए हैं। दुनिया के बाकी बाजारों में 2022 के दौरान आई भारी गिरावट के चलते उनका निवेश फंसा हुआ है।"
भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) वित्त वर्ष 2024 के दौरान घटकर 5.6 फीसदी पर आ सकती है। हालांकि इसके बावजूद यह जी-20 देशों में अभी भी सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और भारत के लिए प्राइमरी एनालिस्ट, क्रिश्चियन डी गुजमैन (Christian de Guzman) ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं।
5.6 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ रेट भारत सरकार के अनुमानों से काफी कम होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौजूदा वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी और अगले वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। वहीं इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) के ताजा अनुमानों के मुताबिक, जी-20 देशों की औसत ग्रोथ रेट 2023 में 2.5 फीसदी रह सकती है।
F&O एक्सपायरी
आमतौर पर एक्सपायरी या एक्सपायरी के एक दिन पहले बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड (Swastika Investmart Ltd) के रिसर्च हेड, संतोष मीणा का मानना है कि बाजार पिछले साल के पैटर्न पर चल रहा है। 2022 में, निफ्टी ने जनवरी के दूसरे और तीसरे सप्ताह में दोजी कैंडल (जो रेंज-बाउंड मूव का संकेत करता है) देखा। इसी के बाद जनवरी के अंतिम सप्ताह में तेज गिरावट आई।
उन्होंने कहा, "तकनीकी रूप से, निफ्टी इस 17,800 के मजबूत सपोर्ट लेवल के पास है। अगर ये इससे नीचे आता है, तो 17,625 और 17,425 पर इसके लिए अगला सपोर्ट लेवल हैं। वहीं ऊपर की ओर जाने पर, 18,200 एक इसके लिए मजबूत रेजिस्टेंस का काम करेगा। इसके ऊपर, हम 18,500 और 18,650 की ओर रैली की उम्मीद कर सकते हैं।"
कमजोर ग्लोबल संकेत
S&P 500 इंजेक्स 24 जनवरी को एक भारी उतार-चढ़ाव भरे सत्र के बाद लाल निशान में बंद हुआ था। डॉउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 104 अंक बढ़कर 33,733 पर, S&P 500 2.86 अंक गिरकर 4,016.95 पर और नैस्डैक कंपोजिट 30.14 अंक गिरकर 11,334 पर बंद हुआ। वॉल स्ट्रीट पर कमजोर रुख के चलते एशियाई बाजार भी 25 जनवरी को मिले-जुले संकेतों के साथ खुले।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व आगामी 1 फरवरी को ब्याज दरों को लेकर फैसला करेगा। ग्लोबल मार्केट में इस समय सबकी निगाहें इसी पर टिकी हुई हैं। बाजार के जानकार ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। विजयकुमार ने कहा, "उम्मीद से अधिक बढ़ोतरी बाजार पर नकारात्मक असर ला सकता है।"
डिस्क्लेमरःयहां दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह, निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और रॉय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।