FIIs turns buyers: अक्टूबर 2024 से विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली जारी है। हालांकि पिछले पांच कारोबारी दिनों से लगातार विदेशी निवेशकों ने बिकवाली से अधिक खरीदारी की है और भारतीय स्टॉक मार्केट में 200 करोड़ डॉलर से अधिक डाले हैं। एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक FIIs ने 15 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच भारतीय मार्केट में 190 करोड़ डॉलर से अधिक डाले और एनएसई के प्रोविजनल डेटा के हिसाब से 22 अप्रैल को उन्होंने अतिरिक्त 1290 करोड़ रुपये डाले। विदेशी निवेशकों की यह खरीदारी उनके रुझान में बदलाव का संकेत दिखा रहा है।
इस कारण विदेशी निवेशक तेजी से निकाल रहे थे पैसे
अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक विदेशी निवेशकों ने खरीदारी से अधिक बिकवाली की यानी वे नेट सेलर्स रहे। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने 3.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की नेट बिक्री की। हाई वैल्यूएशन, कंपनियों की सुस्त कमाई और धीमी इकनॉमिक ग्रोथ के चलते विदेशी निवेशकों ने ताबड़तोड़ पैसों की निकासी की।
FIIs को क्यों भा रहा भारतीय मार्केट और आगे क्या है रुझान?
रेपो रेट में कटौती, भारी गिरावट के चलते स्टॉक्स के वैल्यूएशन के आकर्षक होने और मजबूत मैक्रोइकनॉमिक फैक्टर्स के चलते भारतीय मार्केट में विदेशी निवेशक तेजी से पैसे डाल रहे हैं। Abans Financial Services के वाइस प्रेसिडेंट (रिस्क) और रिसर्च हेड मयंक मूंदड़ा का कहना है कि स्थिर नीतिगत माहौल, टैक्स इंसेंटिव्स को लेकर बेहतर माहौल और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद पर विदेशी निवेशक भारतीय मार्केट में पैसे डाल रहे हैं। इसे खपत में बढ़ोतरी की संभावना और वित्त वर्ष 2026 में कंपनियों की बेहतर कमाई की उम्मीदों से भी सपोर्ट मिल रहा है।
HDFC Securities के प्रमुख (प्राइम रिसर्च) देवर्ष वकील का मानना है कि विदेशी निवेशकों का निवेश यहां बना रहेगा। निवेशकों का रुझान मुख्य रूप से बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज, कैपिटल मार्केट, डिफेंस और कंज्यूमर स्टॉक्स पर है। Marcellus Investment Managers के को-फाउंडर प्रमोद गुब्बी का कहना है कि विदेशी निवेशक भारतीय मार्केट में तब तक टिके रहेंगे, यह बड़े पैमाने पर इस पर निर्भर करेगा कि वैश्विक कारोबारी नीतियां कैसी रहती हैं। काफी लंबे समय से तो इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल रहा है।
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