विदेशी संस्थागत निवेशकों (Foreign institutional investors (FIIs) ने भारत की स्मॉलकैप कंपनियों में कम से कम पांच वर्षों में हिस्सेदारी उच्चतम स्तर पर बढ़ाई है। हालांकि इस दौरान लार्जकैप और मिडकैप में उनकी हिस्सेदारी घटी है। ये जानकारी प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार प्राप्त हुई है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स के 76 शेयरों पर किये गये मनीकंट्रोल विश्लेषण से पता चला है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी मार्च तिमाही में बढ़कर 7.93 प्रतिशत हो गई। जबकि जून 2018 को समाप्त तिमाही के बाद से ये सबसे अधिक है। वहीं FIIs के पास दिसंबर 2022 की तिमाही में 5.8 प्रतिशत और सितंबर 2022 में 5.36 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
HDFC Securities के दीपक जसानी ने कहा कि मार्च तिमाही में चुनिंदा स्मॉलकैप कंपनियों में जिस तरह से उन्होंने अपनी होल्डिंग बढ़ाई है। उससे लगता है कि FPIs अल्फा रिटर्न कमाने की कोशिश कर रहे हैं। यह भारतीय माइक्रो स्टोरी के साथ उनके विश्वास को भी दर्शाता है। जिसके अनुसार अपने क्षेत्रों में कुछ कंपनियां समग्र बाजार की दिशा के बावजूद बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं।
उन्होंने कहा, "यह कुछ नए एफपीआई का भी प्रतिबिंब हो सकता है जो तिमाही में सक्रिय हो सकते हैं।
मार्च तिमाही में इन 76 कंपनियों में से कुल 41 या 54 प्रतिशत कंपनियों में एफआईआई की हिस्सेदारी बढ़ी है। Jindal Stainless Ltd में एफआईआई ने अपनी हिस्सेदारी सबसे अधिक 9.6 प्रतिशत बढ़ाकर 22.82 प्रतिशत कर ली।
अन्य कंपनियां जहां उन्होंने अपनी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से अधिक बढ़ाई। ऐसी कंपनियां इंडियन एनर्जी एक्सचेंज, एजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड, साइएंट, एक्साइड इंडस्ट्रीज, बिड़ला कॉर्प लिमिटेड, महानगर गैस और सिटी यूनियन बैंक हैं।
वहीं PVR में FIIs ने अपनी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 11.47 प्रतिशत घटाकर 32.29 प्रतिशत कर ली। जिन अन्य कंपनियों में उन्होंने अपनी हिस्सेदारी में कम से कम 1 प्रतिशत की कटौती की है उनमें आरबीएल बैंक, क्वेस कॉर्प, अंबर एंटरप्राइजेज इंडिया, जेके लक्ष्मी सीमेंट, सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज इंडिया, सुजलॉन एनर्जी और आईडीएफसी लिमिटेड शामिल हैं।
इस बीच, घरेलू संस्थागत निवेशकों (domestic institutional investors (DIIs) ने इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी 5.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर ली। जबकि इनमें प्रोमोटर्स अपनी हिस्सेदारी घटाते रहे हैं।
विश्लेषकों का सुझाव है कि स्मॉलकैप फर्मों में खरीदारी में हालिया उछाल मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में अधिक उल्लेखनीय गिरावट आने की वजह से देखने को मिला है। इसके फलस्वरूप ये सेगमेंट वैल्यूएशन के नजरिए से अधिक आकर्षक दिखाई दे रहे हैं।
निफ्टी 500 शेयरों के लिए FII की हिस्सेदारी एक तिमाही पहले के 14.45 प्रतिशत से घटकर 14.26 प्रतिशत हो गई। जबकि निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स शेयरों के लिए मार्च तिमाही में उनकी हिस्सेदारी पिछली तिमाही के 11.72 प्रतिशत से घटकर 10.66 प्रतिशत रही।
निफ्टी 500 कंपनियों में DIIs की हिस्सेदारी 15.77 प्रतिशत से बढ़कर 18.18 प्रतिशत हो गई। जबकि निफ्टी मिडकैप 100 कंपनियों में यह 2023 की तीसरी तिमाही के 16.86 प्रतिशत से बढ़कर 23.74 प्रतिशत हो गई।
इस बीच निफ्टी 500, मिडकैप और स्मॉलकैप में प्रोमोटर्स की हिस्सेदारी घटकर क्रमश: 52.9 प्रतिशत, 49.17 प्रतिशत और 68.05 प्रतिशत रही। जबकि एक तिमाही पहले ये हिस्सेदारी क्रमशः 54.66 प्रतिशत, 53.48 प्रतिशत और 69.88 प्रतिशत थी।