F&O Manual: खराब ग्लोबल संकेतों ने आज बाजार पर दबाव बनाया है। जिसके चलते बाजार आज कंसोलिडेशन के मूड में दिख रहे हैं। बैंक शेयर सबसे ज्यादा गिरे हैं। बैंक निफ्टी के सभी 12 शेयरों में गिरावट है। पिछले कारोबारी सत्र की तेजी के बाद आज बैंक और मेटल स्टॉक्स में मुनाफा वसूली देखने को मिल रही है। फिलहाल 12.30 बजे के आसपास निफ्टी 18.85 अंक यानी 0.11 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 17788 के आसपास दिख रहा है। जबकि बैंक निफ्टी 0.08 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 42712.15 के स्तर पर सपाट दिख रहा है।
ऑप्शन आंकड़ों पर नजर डालें तो 17750 का स्तर बुल्स और बियर्स के लिए मैदान-ए-जंग बना हुआ है। ऐसा लगता है कि ट्रेडर्स ने इस स्ट्राइक प्राइस पर एक तटस्थ रुख अपना लिया है। इससे ये संकेत मिलता है कि ट्रेडर्स को बाजार की आगे की दिशा साफ नहीं दिख रही है।
ट्रेडर्स के मुताबिक अधिकतम कॉल राइटिंग 17800 और अधिकतम पुट राइटिंग 17700 के स्ट्राइक पर देखने को मिला है। इससे संकेत मिलता है आज निफ्टी इसी रेंज में घूमता रहेगा। मेहता इक्विटीज के सीनियर वीपी (रिसर्च) प्रशांत तापसे का कहना है कि गुरुवार को होने वाले अप्रैल फ्यूचर्स एंड ऑप्शन कॉन्ट्रैक्टों की एक्पायरी के चलते अगले दो कारोबारी दिनों के दौरान बाजार में अस्थिरता जारी रहेगी। निवेशकों की नजर 3 मई को होने वाली यूएस फेड की बैठक के नतीजों पर भी लगी हुई है। एफआईआई द्वारा पिछले 7 सत्रों में 5100 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली के बाद सेंटीमेंट पर निगेटिव असर पड़ा है। ऐसे में ट्रेडर सावधानी बरतते नजर आ रहे हैं। टेक्निकल नजरिए से देखें तो निफ्टी अब जब तक 17,863 का बाधा तोड़कर ऊपर नहीं जाता तब तक संघर्ष ही करता नजर आएगा।
आज के कारोबार में गुजरात स्थित पीएसयू के लिए नीति में कुछ बदलावों के बाद गुजरात नर्मदा फर्टिलाइजर्स में भारी लॉन्ग बिल्ड-अप देखने को मिला है। इसके अलावा चंबल फर्टिलाइजर, इंडस टावर्स और वोल्टास में बुल्स की तरफ से एक्शन होता दिखा है। बता दें कि लॉन्ग बिल्डअप एक बुलिश संकेत है। ये स्थिति तब बनती है जब शेयर की कीमतों में बढ़त के साथ ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम दोनों में बढ़त होती है।
दूसरी तरफ इप्का लेवोरेटरीज पर आज भी दबाव बना हुआ है। इसमें शॉर्ट बिल्ड-अप देखने को मिला है। सॉफ्टवेयर की समस्या से जूझ रहे एमसीएक्स में भी शॉर्ट बिल्ड-अप देखने को मिला है। बता दें कि शॉर्ट बिल्डअप एक निगेटिव संकेत है। ये स्थिति तब बनती है जब किसी स्टॉक की कीमत में गिरावट के साथ ही उसके वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट में गिरावट होती है।
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