कई एनालिस्ट्स का मानना है कि क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों और इजराइल-हमास में लड़ाई का असर इंडिया में विदेशी निवेशकों (FIIs) के निवेश पर पड़ सकता है। इतना ही नहीं, क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल से इंपोर्ट कॉस्ट बढ़ेगी, जिसका असर फिस्कल और करेंट अकाउंट बैलेंस पर पड़ेगा। सितंबर में विदेशी निवेशकों ने इंडियन मार्केट में करीब 2.9 अरब डॉलर के शेयर बेचे। यह बीते छह महीनों में FIIs की सबसे बड़ी बिकवाली है। इससे पहले अप्रैल से उन्होंने इंडियन मार्केट्स में 17 अरब डॉलर निवेश किया था। अक्टूबर में FIIs इंडियन मार्केट में करीब 50 करोड़ डॉलर की बिकवाली कर चुके हैं। एनालिस्ट्स का कहना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट और एक बार बढ़ा सकता है। ऐसा होने पर डॉलर और मजबूत होगा। उधर, अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड्स की यील्ड पहले ही 2007 के बाद सबसे हाई लेवल पर पहुंच गईं हैं। इसकी वजह इंटरेस्ट रेट का लंबे समय तक हाई लेवल पर बने रहने का अनुमान है।
अमेरिकी इकोनॉमी में बेहतर हो रहे हालात
उधर, अमेरिका में इकोनॉमी से जुड़ी तस्वीर बेहतर दिख रही है। इससे रिसेशन का खतरा घटा है। जॉब मार्केट्स स्ट्रॉन्ग बना हुआ है। सितंबर में बेरोजगारी दर 3.8 फीसदी पर स्थिर बनी रही। इस बीच, 3,36,000 नॉन-फॉर्म जॉब्स के मौके बने। अमेरिका में दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 2.1 फीसदी रही है। सर्विस सेक्टर में भी एक्टिविटी बढ़ी है। इससे उम्मीद बंधी है कि फेडरल रिजर्व धीरे-धीरे अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में नरी लाएगा। अमेरिका में इनफ्लेशन में भी नरमी आई है। कोर पीसीई इंडेक्स सिर्फ 0.1 फीसदी बढ़ा है।
क्रूड की कीमतों ने बढ़ाई चुनौती
ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर ने हाल में इंडियन मार्केट्स को लेकर सावधान किया है। उसने कहा है कि फसलों पर अल-नीनो का असर पड़ता दिख रहा है। इनफ्लेशन अब भी RBI के टारगेट से ज्यादा है। इंटरेस्ट रेट में कमी की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही। लोकसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं। इसका असर भी बाजार पर दिखेगा। इस ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि क्रूड की कीमतों में उछाल से चुनौतियां पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं। इजराइल-हमास की लड़ाई ने दुनियाभर की चिंता बढ़ा दी है।
अगले साल लोकसभा चुनाव से बढ़ेगी राजनीतिक अनिश्चितता
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये और डॉलर के बीच के फर्क को देखने से ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में इसमें कमी आएगी। इससे इंडिया से विदेशी निवेशक पैसे निकाल सकते हैं। इंडिया में अब लोकसभा चुनाव सिर्फ 6-8 महीने दूर रह गए हैं। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ सकती है। इसका असर भी FIIs फ्लो पर पड़ेगा। कंज्यूमर गुड्स कंजम्प्शन को पहले से ही इंटरेस्ट रेट बढ़ने की वजह से दबाव का सामना करना पड़ रहा है। अगर कमोडिटी की कीमतें आने वाले दिनों में बढ़ती हैं तो इनपुट्स कॉस्ट में आई कमी का फायदा कंपनियों को नहीं मिलेगा।