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FPI ने जनवरी में भारतीय शेयरों से निकाले ₹44396 करोड़, किन वजहों से धड़ाधड़ कर रहे सेलिंग

FPI ने साल 2024 में भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। इससे पहले 2023 में FPI का भारतीय शेयरों में निवेश 1.71 लाख करोड़ रुपये रहा था। 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों की और से दरों में आक्रामक वृद्धि के बीच FPI ने भारतीय बाजार से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले थे

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Jan 19, 2025 पर 12:59 PM
FPI ने जनवरी में भारतीय शेयरों से निकाले ₹44396 करोड़, किन वजहों से धड़ाधड़ कर रहे सेलिंग
इससे पहले दिसंबर 2024 में FPI ने भारतीय शेयर बाजार में 15,446 करोड़ रुपये डाले थे।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने जनवरी में अब तक भारतीय शेयर बाजार से 44,396 करोड़ रुपये निकाले हैं। डॉलर की मजबूती, अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और कंपनियों के तिमाही नतीजे कमजोर रहने का डर इसकी वजह है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इससे पहले दिसंबर 2024 में FPI ने भारतीय शेयर बाजार में 15,446 करोड़ रुपये डाले थे। घरेलू और वैश्विक मोर्चे पर तमाम तरह की अड़चनों की वजह से विदेशी निवेशकों के रुख में बदलाव हुआ है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट एडवायजर्स इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारतीय रुपये में लगातार गिरावट ने विदेशी निवेशकों पर काफी दबाव डाला है। यही वजह है कि वे भारतीय बाजार से अपना निवेश निकाल रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा हाल की गिरावट के बावजूद भारतीय शेयरों की हाई वैल्यूएशन, कमजोर तिमाही नतीजों की आशंका, आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को लेकर अनिश्चितता भी निवेशकों को प्रभावित कर रही है।

अमेरिका में कितनी हो गई बॉन्ड यील्ड

आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने 17 जनवरी तक भारतीय शेयरों से शुद्ध रूप से 44,396 करोड़ रुपये निकाले हैं। 2 जनवरी को छोड़कर इस महीने के सभी दिन FPI सेलर रहे हैं।जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है, ‘‘FPI की लगातार बिकवाली की मुख्य वजह डॉलर की मजबूती और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड का बढ़ना है। डॉलर सूचकांक 109 से ऊपर है और 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड 4.6 प्रतिशत से ज्यादा है। ऐसे में FPI का उभरते बाजारों में बिकवाली करना तर्कसंगत है, खासकर सबसे महंगे उभरते बाजार भारत में।’’

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