भारतीय शेयरों में नहीं लौटा FPI का भरोसा, मार्च के पहले 15 दिनों में निकाले ₹30000 करोड़; किन वजहों से बने हुए हैं सेलर

FPI Selling in March: भारत से FPI पैसे निकाल कर चीन के शेयरों में लगा रहे हैं। इससे पहले फरवरी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे। FPI का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था

अपडेटेड Mar 16, 2025 पर 11:34 AM
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यह FPI की शुद्ध निकासी का लगातार 14वां सप्ताह है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से भारतीय शेयर बाजारों से पैसे निकाले जाने का सिलसिला लगातार जारी है। ग्लोबल ट्रेड को लेकर तनाव बढ़ने के बीच FPI ने मार्च के पहले 15 दिनों में भारतीय शेयर बाजारों से 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निकाली है। इससे पहले फरवरी में उन्होंने शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस तरह 2025 में अब तक FPI भारतीय शेयर बाजार से कुल 1.42 लाख करोड़ रुपये (16.5 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाल चुके हैं।

आंकड़ों के अनुसार, FPI ने इस महीने 13 मार्च तक भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 30,015 करोड़ रुपये निकाले हैं। यह उनकी शुद्ध निकासी का लगातार 14वां सप्ताह है। कई वैश्विक और घरेलू कारकों से FPI काफी समय से लगातार बिकवाली कर रहे हैं।

भारत जैसे उभरते बाजारों को लेकर FPI सतर्क


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है, ‘‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका की ट्रेड पॉलिसीज को लेकर जो अनिश्चितता चल रही है, उससे वैश्विक स्तर पर जोखिम लेने की क्षमता प्रभावित हुई है। ऐसे में FPI भारत जैसे उभरते बाजारों को लेकर सतर्कता भरा रुख अपना रहे हैं।’’

FPI की निकासी को बढ़ावा देने वाले अन्य प्रमुख फैक्टर्स में अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल और डॉलर की मजबूती भी शामिल है। इसने अमेरिकी एसेट्स को और अधिक आकर्षक बना दिया है। साथ ही, भारतीय रुपये में गिरावट ने इसे और बल दिया है, क्योंकि यह विदेशी निवेशकों के लिए रिटर्न को कम करता है।

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चीन के शेयरों में पैसा लगा रहे FPI

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है कि भारत से FPI पैसे निकाल कर चीन के शेयरों में लगा रहे हैं। चीन के शेयर बाजारों का प्रदर्शन अन्य बाजारों से बेहतर है। उन्होंने कहा, ‘‘डॉलर सूचकांक में हालिया गिरावट अमेरिका में फंड के फ्लो को सीमित करेगी। हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों के बीच ट्रेड वॉर से पैदा हुई अनिश्चितता के कारण सोने और डॉलर जैसे सेफ एसेट क्लास में अधिक निवेश जाने की संभावना है।’’

जहां तक भारतीय बॉन्ड की बात है तो आंकड़ों के अनुसार, FPI ने मार्च में अभी तक बॉन्ड में जनरल लिमिट के तहत 7,355 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 325 करोड़ रुपये निकाले हैं। FPI का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे, जबकि 2022 में 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी।

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