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FPI का भारतीय बाजारों से मोह हो रहा भंग, अक्टूबर में अब तक शेयरों से निकाले ₹58711 करोड़

FPI Selling in October: अक्टूबर में अब तक FPI ने डेट मार्केट में जनरल लिमिट के जरिए 1,635 करोड़ रुपये निकाले और वॉलंटरी रिटेंशन रूट के जरिए 952 करोड़ रुपये का निवेश किया। 1 अक्टूबर से 11 अक्टूबर के बीच इक्विटी से 58,711 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। FPI सतर्क हो गए हैं और उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं

अपडेटेड Oct 13, 2024 पर 12:09 PM
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कुल मिलाकर जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर FPI इस साल सितंबर तक शुद्ध खरीदार रहे हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से अक्टूबर में सेलिंग जारी है। इस महीने अब तक FPI भारतीय शेयरों से 58,711 करोड़ रुपये ​निकाल चुके हैं। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतों में तेज वृद्धि और चीन के बाजार के मजबूत प्रदर्शन के कारण विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की। इससे पहले, विदेशी निवेशकों ने सितंबर में भारतीय शेयर बाजार में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था। यह 9 महीने का उच्चतम स्तर था।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, FPI ने इस साल अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये भारतीय शेयरों से निकाले थे। उसके बाद जून से उन्होंने इक्विटी बाजार में लगातार पैसा लगाया। कुल मिलाकर जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर FPI इस साल शुद्ध खरीदार रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, FPI ने 1 अक्टूबर से 11 अक्टूबर के बीच इक्विटी से 58,711 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की।

आगे के रुख को लेकर क्या मानते हैं एक्सपर्ट्स


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है, ‘आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर होने वाली गतिविधियां और ब्याज दर को लेकर स्थिति जैसे वैश्विक कारक भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेश के फ्लो को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।’ वैश्विक स्तर पर संकट के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव 10 अक्टूबर को 79 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि 10 सितंबर को यह 69 डॉलर प्रति बैरल था।

वेंचुरा सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड विनीत बोलिंजकर ने कहा, ‘‘विशेष रूप से पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है। इससे वैश्विक निवेशक जोखिम से बच रहे हैं। FPI सतर्क हो गए हैं और उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं।’’

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जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का मानना ​​है कि चीन में धीमी अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय उपायों की घोषणा के बाद FPI ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो' की रणनीति अपना रहे हैं। कुल मिलाकर इन सब कारणों से भारतीय शेयर बाजार में एक अस्थायी अवरोध पैदा हुआ है।

बॉन्ड मार्केट को लेकर क्या है रुख

अक्टूबर में अब तक FPI ने डेट या बॉन्ड मार्केट में जनरल लिमिट के जरिए 1,635 करोड़ रुपये निकाले और वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR) के जरिए 952 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस साल अब तक FPI ने इक्विटी में 41,899 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 1.09 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।

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