विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors -FPIs) ने अक्टूबर महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ रही गिरावट से इस निकासी को बल मिला है। इस तरह से FPI ने इस साल अब तक कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का हमेशा बोलबाला रहा है। विदेशी निवेशक भारतीय बाजार की दिशा तय करने में काफी अहम भूमिका निभा चुके हैं।
कोटक सिक्योरिटीज (Kotak Securities) के श्रीकांत चौहान (Shrikant Chouhan) का कहना है कि आने वाले समय में भी FPI की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा।
डिपॉजिटरी डेटा (depositories showed) के मुताबिक, FPI ने अक्टूबर में अब तक 5,992 करोड़ रुपये भारतीय बाजार से निकाले हैं। इस हिसाब से पिछले कुछ दिनों में उनके निकाले गए में मामूली गिरावट आई है। चौहान का कहना है कि जियो-पॉलिटिकल रिस्क बने रहने, मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी की उम्मीद से FPI के पैसे निकालनों का सिलसिला बना रह सकता है। वहीं जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वी के विजयकुमार (V K Vijayakumar) का कहना है कि FPI के ज्यादा बिक्री की संभावना नहीं है। लेकिन डॉलर में कमजोरी आने के बाद वो खरीदारी कर सकते हैं। इस तरह एफपीआई का रुख अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नजरिये पर निर्भर करेगा।
जानिए इंडियन मार्केट से FPIs क्यों निकाल रहे हैं ?
सितंबर में FPIs ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये निकाले थे। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख से FPI के बीच बिकवाली का जोर रहा था। अपसाइड की कनिका अग्रवाल का कहना है कि भारत से जुड़े किसी भी जोखिम के बजाय डॉलर को मिल रही मजबूती विदेशी निवेशकों की इस निकासी की मुख्य वजह रही है। पिछले हफ्ते डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है।
FPIs ने खास तौर पर वित्त, FMCG और आईटी क्षेत्रों में बिकवाली की है। इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट से भी अक्बूटर में 1,950 करोड़ रुपये निकाले हैं।