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FSSAI ने किया नियमों में बदलाव, जल्द घटेगा खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट का इस्तेमाल

FSSAI ने खाने पीने की चीजों में ट्रांस फैट की सीमा 5 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी कर दी है।

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 09, 2021 पर 7:00 PM
FSSAI ने किया नियमों में बदलाव, जल्द घटेगा खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट का इस्तेमाल

ट्रांस फैट यानि हमारे आपके दिल का दुश्मन। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (FSSAI) ने खाने पीने की चीजों में ट्रांस फैट की सीमा 5 फीसदी से घटाकर 2  फीसदी कर दी है। खाद्य पदार्थ में ट्रांस फैट 2 फीसदी से अधिक नहीं होगा। पैकेट बंद और खुले खाने दोनों पर नियम लागू होगा।

FSSAI ने खाद्य पदार्थों में ट्रांसफैट के नियमों में बदलाव किया है। खाद्य पदार्थों में ट्रांसफैट के ये नियम साल 2022 से लागू होंगे। बता दें कि इससे पहले खाने के तेल के लिए  नियम आ चुका है।

बता दें कि ट्रांस फैट तली भुनी चीजों में पाया जाता है।  ट्रांस फैटहृदय रोग का कारण है । WHO ने 2023 तक ट्रांस फैट से मुक्ति का लक्ष्य रखा है। Edible Oil में ट्रांस फैट को लेकर पहले ही  नियम ब चुक है। 1 अप्रैल 2021 से खाने के तेल में सिर्फ 3 फीसदी ट्रांस फैट की अनुमति दी गई है जबकि 1 जनवरी 2022 से खाने के तेल में सिर्फ 2 फीसदी ट्रांस फैट की अनुमति होगी। वर्तमान में खाने के तेल में 5 फीसदी ट्रांस फैट की अनुमति है। ट्रांसफैट को लेकर बनाए गए ये  नियम रिफाइंड , वनस्पति सहित सभी तरह के खाने के तेल पर लागू होगे।

क्या है ट्रांस फैट ?

ट्रांस फ़ूड स्वास्थ के लिए एक हानिकारक पदार्थ है. इसे ट्रांस फैटी एसिड ( Trans Fatty Acid) के नाम से भी जाना जाता हैं. ट्रांस फैट हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होता हैं और इसकी वजह से कई गंभीर बीमारियाँ भी होती हैं.

ट्रांस फैट को हम खराब फैट भी कह सकते हैं। यदि आपके भोजन में ट्रांस फैट की मात्रा अधिक है तो यह शरीर में बुरे कैलेस्ट्रोल ( LDL – Low-density Lipoprotein ) की मात्रा को बढ़ाता हैं और अच्छे कैलेस्ट्रोल ( High-density Lipoprotein ) की मात्रा को कम करता हैं जिसके फलस्वरूप हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता हैं।

ये दो प्रकार के होते है नेचुरल ट्रांस फैट ( Natural Trans Fat ) अंडे आदि में नेचुरल ट्रांस फैट पाया जाता हैं और आर्टिफिशियल ट्रांस फैट ( Artificial Trans Fat ) – आर्टिफिशियल ट्रांस फैट इंडस्ट्री में प्रोसेस करके तैयार किये गये खाने के तेल, फूड्स, पैकट बंद खाद्यय पदार्थ आदि में पाया जाता हैं. तेल को बार बार गर्म करने से भी उसमे आर्टिफिशियल ट्रांस फैट या नुकसानदायक ट्रांस फैट की मात्रा काफी बढ़ जाती हैं. जो स्वास्थ के लिए हानिकारक होता हैं।

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