GIC Re Shares: जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (GIC Re) के शेयर बुधवार 4 सितंबर को शुरुआती कारोबार में 5 फीसदी तक लुढ़क गए। यह गिरावट इस खबर के बाद आई कि भारत सरकार इस कंपनी में अपनी 6.8 फीसदी तक हिस्सेदारी को बेचने जा रही है। इस हिस्सेदारी को बेचने ते लिए एक ऑफर-फॉर-सेल (OFS) लॉन्च किया गया है। सरकार ने OFS के जरिए मूल रूप से 3.39 फीसदी बेचने का ऑफर दिया है, जिसमें अधिक बोली मिलने पर 3.39 और हिस्सेदारी बेचने का विकल्प शामिल है। यानी कुल मिलाकर कंपनी की 6.8 फीसदी हिस्सेदारी बेची जा सकती है।
जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, भारत सरकार के स्वामित्व वाली एक सरकारी इंश्योरेंस कंपनी है। यह रीइंश्योरेंस बिजनेस में शामिल देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है। जून तिमाही तक के आंकड़ों के मुताबिक, सरकार के पास इस कंपनी की 85.78 फीसदी हिस्सेदारी है।
सुबह 9.40 बजे, NSE पर GIC Re के शेयर 4.51 फीसदी की गिरावट के साथ 402.65 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे। इससे पहले 3 सितंबर को हिस्सेदारी बिक्री की खबर आने के बाद कंपनी के शेयर 0.33 फीसदी लुढ़ककर 420.80 रुपये के भाव पर बंद हुए थे।
सरकार की ओर से लाया गया OFS आज 4 सितंबर से गैर-रिटेल निवेशकों के लिए खुल गया है। वहीं रिटेल निवेशकों और GIC Re के कर्मचारी यह OFS कल 5 सितंबर को बोली के लिए खुलेगा। दोनों दिन सुबह 9:15 से शाम 3:30 बजे तक शेयरों के लिए बोली लगाई जा सकती है। OFS के लिए शेयरों का 395 रुपये के फ्लोर प्राइस पर बिक्री पर रखा गया है, जो इसके मंगलवार के बंद भाव से करीब 6% सस्ता है।
सरकार ने 5 रुपये के फेसवैल्यू वाले कंपनी के कुल 5.95 करोड़ शेयरों को बिक्री के लिए रखा है, जो इसकी कुल हिस्सेदारी का करीब 3.39 फीसदी है। अधिक बोली मिलने पर सरकार 5.95 करोड़ अतिरिक्त शेयरों को भी बेच सकती है। इस तरह बिक्री के लिए पेश किए कुल शेयरों की संख्या 11.9 करोड़ है, जो कंपनी की 6.784 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर है।
कंपनी के कर्मचारियों को करीब 50,000 इक्विटी शेयर (ऑफर शेयरों का 0.04 प्रतिशत) ऑफर किए जा सकते हैं। बीमा कंपनी ने यह भी बताया कि कर्मचारी अधिकतम 5,00,000 रुपये तक के इक्विटी शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (GIC Re) के शेयरों ने इस साल अबतक 24 फीसदी रिटर्न दिया है, जो निफ्टी के 16% रिटर्न से अधिक है। वहीं पिछले एक साल में यह शेयर करीब 86 फीसदी बढ़ा है, जबकि इसके मुकाबले निफ्टी इस दौरान सिर्फ 29 फीसदी बढ़ा है।