REC, PFC, IREDA के लिए अच्छी खबर है। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियमों के लेकर RBI ने बड़ी राहत दी है। फिलहाल इन नियमों को टाल दिया गया है। ECL यानी अनुमानित क्रेडिट घाटा (Expected credit loss) की डॉफ्ट गाइडलाइनंस क्या थी और इसके टलने से किसको फायदा मिलेगा, आइए समझते हैं।
ECL पर RBI का सरप्राइज फैसला आया है। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियम टाल दिए गए हैं। प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियम फिलहाल लागू नहीं होंगे। ECL यानी Expected credit loss, इसके तहत अनुमानित घाटे की प्रोविजनिंग की जानी थी। LCR नियम के साथ साथ ECL को भी टाल दिया गया है। अब ECL के प्रावधान 31 मार्च 2026 से पहले लागू नहीं होंगे।
ECL प्रावधानों से क्यों डरा था बाजार?
ECL प्रावधानों मेअंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए गाइडलाइंस थी। ECL के तहत प्रोविजनिंग बढ़ाने का प्रस्ताव था। अनुमानित घाटे के लिए प्रोविजनिंग 0.4 फीसदी से बढ़ाकर 5 फासदी होना था। ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस के बाद REC और PFC में भारी गिरावट आई थी। ECL केटलने से सबसे ज्यादा फायदा REC, PFC और IREDA को होगा। इससे अनिश्चितता दूर होगी। सेंटिमेंट सुधरेंगे। ज्यादा प्रोविजिनिंग नहीं करनी होगी। इंफ्रा और रिन्यूएबल प्रोजेक्ट के लिए कम प्रोविजिनिंग करनी होगी। कम प्रोविजनिंग मतलब अब ये कंपनियां ज्यादा लोन दे पाएंगी। आरबीआई के इस फैसले से PSU फाइनेंशियल शेयरों की री-रेटिंग संभव है।
आज आई पॉलिसी के बाद RBI गवर्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लिक्विडिटी की पर्याप्त जरूरतों को पूरा करेंगे। लिक्विडिटी के लिए उचित कदम उठाते रहेंगे। लिक्विडिटी के लिए प्रो-एक्टिव तरीका अपनाएंगे। लिक्विडिटी से जुड़ी दिक्कतों पर फोकस रहेगा। लिक्विडिटी को लेकर सक्रिय नजरिया बना रहेगा MACRO-ECONOMIC MODELS में सुधार जारी रखेंगे। प्राइस स्टेबिलिटी और ग्रोथ दोनों पाना जरूरी है। महंगाई घटने पर ग्रोथ के लिए सपोर्टिव रहना अहम है। LCR (लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो)नियम 31 मार्च 2026 से पहले लागू नहीं होंगे। LCR गाइडलाइंस लागू करने को पर्याप्त समय देंगे। ग्रोथ के लिए कोई भी अड़चन नहीं आने देंगे। सुचारू रूप से अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाएंगे।