इस साल का बजट कई मायनों में सरप्राइजिंग रहा। मिडिल क्लास को टैक्स छूट की सौगात तो मिली लेकिन बाजार पर टैक्स का बोझ बढ़ा गया। बजट के बाद मार्केट आउटलुक पर खास चर्चा के लिए सीएनबीसी-आवाज के साथ जुड़े Axis Bank के चीफ इकोनॉमिस्ट और एक्सिस कैपिटल के हेड ऑफ ग्लोबल रिसर्च नीलकंठ मिश्रा। फाइनेंशियल दुनिया में 2 दशक से ज्यादा का अनुभव रखने वाले नीलकंठ मिश्रा इकोनॉमी के बड़े ट्रेंडस पकड़ने के लिए जाने जाते हैं। एक्सिस बैंक से पहले इन्होंने Credit Suisse के साथ लंबे अरसे तक काम किया। UIDAI,भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन से भी इनका जुड़ाव रहा है। आइये इनसे समझते हैं कि बजट से भारतीय इकोनॉमी को कितना बूस्ट मिलेगा, फिस्कल कंसॉलिडेशन के कितने फायदे होंगे और टैक्स बोझ बढ़ने का बाजार पर क्या असर होगा?
फिस्कल कंसॉलिडेशन पर सरकार का फोकस
नीलकंठ मिश्रा का कहना है कि बजट में फिस्कल कंसोलिडेशन पर सरकार का फोकस रहा है। ये नई सरकार का पहला बजट है। इसमें नीतिगत निरंतरता कायम रहने को संकेत मिले हैं। सरकार का फोकस मीडिम टर्म कॉस्ट ऑफ कैपिटल कम करने पर बना रहा है। सरकार ने मैक्रो इकोनॉमिक स्थिरता को बनाए रखने पर फोकस बनाए रखा है। पर्सनल टैक्स और कस्टम ड्यूटी में आगे और सुधार होंगे। इस बजट से सरकार की प्राथमिकताएं साफ हुईं हैं।
आगे मेटल की बेहतर डिमांड रहने की उम्मीद
बाजार पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि रियल्टी स्पेस के निवेशकों की होल्डिंग अवधि कम होती है। टैक्स का रियल्टी स्पेस में निवेश पर खास असर नहीं होगा। घरेलू मार्केट में मेटल की वॉल्यूम ग्रोथ अच्छी रही है। रियल्टी सेक्टर के अच्छा करने से मेटल डिमांड बढ़ती है। आगे मेटल की बेहतर डिमांड रहने की उम्मीद है। चीन के एक्सपोर्ट से स्टील के मुनाफे पर दबाव संभव है। एल्युमिनियम में डिमांड बढ़ रही है। मेटल में स्टील की तुलना में एल्युमिनियम ज्यादा बेहतर है।
बैंकिंग सेक्टर पर बात करते हुए नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि बैंकों के डिपॉजिट ग्रोथ घटने की वजह जानना जरूरी है। ग्लोबल अनिश्चितता के कारण लिक्विडिटी सख्त रखी गई है। आने वाले दिनों में कुछ प्राइवेट बैंक अच्छा कर सकते हैं।
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