Pharma Stocks Rally: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाई तो फार्मा कंपनियों के शेयर चमक उठे। टैरिफ पर रोक से इस बात की संभावना बढ़ी है कि अमेरिका में मंदी को लेकर चिंताएं कम हुई है। इन शेयरों को इस बात से भी सपोर्ट मिला है कि अहम टैरिफ लेवी की आंच फार्मा सेक्टर को नहीं झेलनी होगी। फार्मा शेयरों में तेजी के चलते फार्मा सेक्टर का निफ्टी इंडेक्स (Nifty Index) शुरुआती कारोबार में करीब 3 फीसदी उछल गया।
स्टॉकवाइज क्या है स्थिति?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि कुछ देश अमेरिका के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं तो ऐसे में 9 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों तक रोक लगा दिया। मनीकंट्रोल ने 10 अप्रैल को खुलासा किया था कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए भारत बातचीत कर रहा है और जल्द ही कोई सौदा हो सकता है। हालांकि फार्मा शेयरों के लिए कोई विशेष जानकारी नहीं मिली है लेकिन टैरिफ पर रोक और भारत-अमेरिका कारोबारी वार्ता से इस सेक्टर के लिए पॉजिटिव माहौल बना है।
इसके चलते ग्रेन्यूल्स के शेयर करीब 5 फीसदी उछलकर ₹453 पर पहुंच गए। वहीं लौरस लैब्स और सिप्ला में 4-4 फीसदी तो सन फार्मा, अरबिंदो फार्मा और बॉयोकान में 3.7 फीसदी की तेजी आई। लुपिन और जाइडस लाइफ में करीब 3-3 फीसदी तो नाटको फार्मा, डॉ रेड्डीज लैब्स, ग्लैंड फार्मा और टोरेंट फार्मा में 2-2 फीसदी की तेजी आई। मैनकाइंड फार्मा, एबॉट इंडिया, जाइडस लाइफसाइंसेज समेत अन्य स्टॉक्स एक फीसदी से अधिक उछल गए।
क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
प्राइम सिक्योरिटीज के एमडी एन जयकुमार ने सीएनबीसी आवाज से बाचतीत में कहा कि फार्मा सेक्टर में खरीदारी का मौका बना है। उनका मानना है कि ट्रंप ने फार्मा सेक्टर पर टैरिफ की जो धमकी दी है, वह यूरोप की बड़ी कंपनियों और चीन की अमेरिका में डंपिंग को लेकर है। व्हाइटओक कैपिटल के फाउंडर और एमडी प्रशांत खेमका का का भी मानना है कि फार्मा कंपनियों पर टैरिफ का खतरा सिर्फ बातचीत का एक तरीका है और भारतीय कंपनियां बाकी देशों की कंपनियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में होंगी।
टाटा एसेट मैनेजमेंट में सीआईओ (इक्विटीज) राहुल सिंह का कहना है कि टैरिफ में बदलावों ने बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है, लेकिन भारत पहले से बेहतर स्थिति में है। अमेरिकी व्यापार में कम जोखिम और मजबूत घरेलू मांग के साथ सीधा प्रभाव मैनेज करने लायक बना हुआ है। राहुल के मुताबिक कच्चे तेल और धातुओं की गिरती वैश्विक कीमतें इनपुट लागत को कम करके भारतीय कंपनियों के लिए अच्छा माहौल बना रही है और ऐसे समय में बैंकिंग, फार्मा और ऊर्जा जैसे सेक्टर में मजबूत बैलेंस शीट के साथ वैल्यू आकर्षक बन गया है।
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