Get App

Groww और Zerodha समेत चार बड़े ब्रोकरेज फर्मों को फिर झटका, इस कारण 7 लाख क्लाइंट्स ने कहा बाय-बाय

इस साल 2025 की पहली छमाही में देश के चार सबसे बड़े डिस्काइंट ब्रोकिंग फर्म ग्रो (Groww), जीरोधा (Zerodha), एंजेल वन (Angel One) और अपस्टॉक्स (Upstox) ने करीब 20 लाख एक्टिव इंवेस्टर्स खो दिए थे। अब अगस्त महीने का आंकड़ा आया है और इन चारों ने 7 लाख के करीब क्लाइंट्स गंवा दिए। जानिए आखिर क्लाइंट्स क्यों घट रहे और क्या सभी ब्रोकरेज फर्मों के साथ ऐसा हो रहा?

Edited By: Jeevan Deep Vishawakarmaअपडेटेड Sep 10, 2025 पर 10:28 AM
Groww और Zerodha समेत चार बड़े ब्रोकरेज फर्मों को फिर झटका, इस कारण 7 लाख क्लाइंट्स ने कहा बाय-बाय
टॉप के चार डिस्काउंट ब्रोकिंग फर्मों के लिए अगस्त महीना भी अच्छा नहीं रहा।

डिस्काउंट ब्रोकिंग फर्मों के लिए अगस्त महीना भी अच्छा नहीं रहा। देश के चार सबसे बड़े डिस्काइंट ब्रोकिंग फर्म ग्रो (Groww), जीरोधा (Zerodha), एंजेल वन (Angel One) और अपस्टॉक्स (Upstox) ने पिछले महीने अगस्त में कुल 7 लाख के करीब क्लाइंट्स गंवा दिए। इससे पहले इस साल 2025 की पहली छमाही में इन चारों ने कुल मिलाकर करीब 20 लाख एक्टिव इंवेस्टर्स खो दिए थे। हालांकि सिर्फ इनके ही क्लाइंट्स नहीं घट रहे हैं बल्कि अगस्त महीने में मिरे एसेट कैपिटल (Mirae Asset Capital), फोनपे वेल्थ (PhonePe Wealth), शेयरखान (Sharekhan), कोटक सिक्योरिटीज (Kotak Securities) और मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल (Motilal Oswal Financial) जैसी दिग्गज कंपनियों को भी झटका लगा।

आखिर क्यों घट रहे क्लाइंट्स?

बाजार के जानकारों का मानना है कि ब्रोकरेज फर्मों के क्लाइंट्स की संख्या में गिरावट की मुख्य वजह सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के नियम हैं। सेबी ने पिछले साल फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) को लेकर नियम काफी सख्त किए हैं जिससे एफएंडओ में हलचल तेजी से कम हुई है और इसके चलते ब्रोकरेज फर्मों के क्लाइंट्स तेजी से कम हुए हैं। मार्जिन की सख्त जरूरतों, वीकली एक्सपायरी के सीमित होने, पूंजी की अधिक जरूरत और हाई टैक्स के चलते खुदरा निवेशकों के लिए डेरिवेटिव ट्रेडिंग कम आकर्षक हो गया है।

सेबी ने पहले लगभग हर दिन होने वाली एक्सपायरी पर लगाम लगा दिया और हर एक्सचेंज के लिए एक एक्सपायरी का दिन और एक ही इंडेक्स के वीकली एक्सपायरी को मंजूरी दी। इसके अलावा सेबी ने लॉट साइज भी बढ़ा दिया। साथ ही ट्रेडिंग पर टैक्स भी बढ़ा है। इन सबने मिलकर एफएंडओ सेगमेंट में ट्रेडिंग करने वाले रिटेल इंवेस्टर्स को करारा शॉक दिया। हालांकि कुछ और भी वजहें है जिसके चलते ब्रोकरेज फर्मों के एक्टिव क्लाइंट्स घट रहे हैं जैसे कि इसके अलावा कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि निवेशकों की पसंद अब प्रोफेशन तरीके से मैनेज होने वाले म्यूचुअल फंड्स, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज और अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड्स (AIFs) बनती जा रही है।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें