GST 2.0 : जीएसटी काउंसिल ने 3 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित अपनी 56वीं बैठक में रिन्यूएबल एनर्जी उपकरणों और इनके मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों पर कर की दर को मौजूदा 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि,जीएसटी काउंसिल ने कोयले और लिग्नाइट पर लगने वाले टैक्स को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। मनीकंट्रोल ने पहले ही बताया था कि जीएसटी काउंसिल रिन्यूएबल एनर्जी पर टैक्स कम कर सकती है। जबकि राज्य सरकारों को टैक्स कटौती से होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए कोयले पर टैक्स बढ़ा सकती है।
जीएसटी काउंसिल ने गैर-लिथियम आयन बैटरियों, जैसे लेड एसिड, सोडियम और फ्लो बैटरियों पर भी जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया है। इसका लक्ष्य लंबी अवधि के लिए रिन्युएबल एनर्जी के भंडारण हेतु ग्रिड-स्तरीय एनर्जी स्टोरेज तकनीकों का विस्तार करना है। लिथियम-आयन बैटरियों पर जीएसटी 18% ही रहेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नई कर दरें इस वर्ष 22 सितंबर से लागू होंगी। उन्होंने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "रिन्युएबल एनर्जी उपकरणों और उनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों जैसे बायोगैस संयंत्र, पवन चक्कियां, हवा से चलने वाले बिजली जनरेटर, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, उपकरण, पीवी सेल, चाहे वे मॉड्यूल में असेंबल्ड हों या पैनल में हों, सौर कुकर, सौर वॉटर हीटर और सिस्टम आदि पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।"
इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के अलावा, जिन पर पहले से ही 5% जीएसटी लगता है, जीएसटी काउंसिल ने ईंधन सेल कारों, बसों और ट्रकों पर भी कर को मौजूदा 12% से घटाकर 5% कर दिया है। इसका उद्देश्य ईंधन सेल तकनीक पर आधारित हाइड्रोजन वाहनों को बढ़ावा देना है, जो भारत सरकार के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत अनिवार्य है।
एनर्जी,एनवायरनमेंट एंड वाटर काउंसिल (CEEW) के ऋषभ जैन ने कहा कि सौर, पवन और बैटरी जैसी ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी पर जीएसटी दरों में कमी से प्रोजेक्ट लागत कम हो सकती है, जिससे रिन्यूएबल एनर्जी की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता में सुधार होगा।
क्लीन एनर्जी उत्पादों पर कर में कमी से रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानी समूह, टाटा पावर, एनटीपीसी लिमिटेड, वारी एनर्जीज और रीन्यू जैसी कंपनियों से अधिक निवेश आता दिखेगा,साथ ही नई कंपनियों को भी मौके मिलेंगे।