GST Reforms: अब कंजम्प्शन थीम वाले म्यूचुअल फंड्स देंगे तगड़ा रिटर्न? इस कारण बढ़ी उम्मीदें
GST Reforms: एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंज्यूमर स्पेंडिंग बढ़ने से कंजम्प्शन थीम वाले म्यूचुअल फंड्स का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। फाइनेंशियल रेडियंस के फाउंडर और सीएफपी राजेश मिनोचा ने बताया कि अगर GST दरों में कटौती का प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे कंजम्प्शन में तेज उछाल आने की संभावना है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि GST दरों में कटौती से मांग में इजाफा देखने को मिल सकता है
GST Reforms: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में जीएसटी (GST) स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव का वादा किया, जिसके बाद आज 18 अगस्त शेयर बाजारों में भारी तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी शुरुआती कारोबार में करीब 1.5 फीसदी तक उछल गए। पीएम मोदी ने कहा कि नया जीएसटी स्ट्रक्चर दिवाली तक लागू हो सकता है, जिससे आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी।
नई GST व्यवस्था में 5% और 18% के टैक्स स्लैब बरकरार रहेंगे, जबकि 12% और 28% के टैक्स स्लैब को खत्म किया जा सकता है। इससे गाड़ियां, टू-व्हीलर्स और FMCG कंपनियों को सीधे तौर पर लाभ मिल सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी GST दर को 18% से घटाकर शून्य किया जा सकता है।
हालांकि, तंबाकू और लग्जरी कार जैसे "सिन गुड्स" पर टैक्स 40% तक बढ़ सकता है। सरकार इस कदम से देश में कंजम्प्शन को बढ़ावा देना चाहती है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस कदम से जीडीपी ग्रोथ में 0.6% तक का इजाफा हो सकता है।
थीमैटिक फंड निवेशकों के लिए मायने
एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंज्यूमर स्पेंडिंग बढ़ने से कंजम्प्शन थीम वाले म्यूचुअल फंड्स का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। फाइनेंशियल रेडियंस के फाउंडर और सीएफपी राजेश मिनोचा ने बताया कि अगर GST दरों में कटौती का प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे कंजम्प्शन में तेज उछाल आने की संभावना है।
इसके चलते ऑटो, FMCG और कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी सेक्टर की कंपनियों के नतीजे बेहतर हो सकते हैं। ऐसे में शॉर्ट से मीडियम टर्म के लिए कंज्मप्शन थीम वाले फंड निवेश के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। हालांकि एक सिंगल थीम में निवेश के चलते इनमें जोखिम का स्तर भी ऊंचा बना रहेगा।
ऑटो सेक्टर पर खास नजर
सरकार पैसेंजर व्हीकल्स और दोपहिया वाहनों पर GST दर घटाने की तैयारी कर रही है। फिलहाल सभी पैसेंजर व्हीकल्स पर 28% जीएसटी लगता है। इशके अलावा इंजन और बॉडी टाइप के आधार पर 1% से लेकर 22% तक अतिरिक्त सेस लगता है। इससे इन पर लगने वाला कुल टैक्स 50% तक पहुंच जाता है। अब अगर इन पर जीएसटी घटाकर 18% किया जाता है तो इनके दाम में बड़ी गिरावट आएगी, जिससे इनकी मांग में इजाफा होगा।
कंज्यूमर स्टेपल्स और ड्यूरेबल्स में तेजी
मनी मंत्रा के फाउंडर विरल भट्ट ने बताया, "मक्खन, घी, नूडल्स और स्नैक्स जैसे जरूरी सामान सस्ते हो सकते हैं। इससे नेस्ले, हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), बिकाजी और गोपाल स्नैक्स जैसी कंपनियों की मांग और वॉल्यूम बढ़ने की उम्मीद है। एनालिस्ट्स को इस सेक्टर में कंज्यूमर्स सेंटीमेंट के मजबूत होने की उम्मीद है।"
वहीं, एयर कंडीशनर और बड़े टीवी पर टैक्स 28% से घटाकर 18% करने की चर्चा है। इससे इनकी कीमतों में 8–10% तक की कमी आ सकती है। विरल भट्ट ने कहा कि इसके चलते फेस्टिव सीजन के दौरान पेंट-अप डिमांड देखने को मिल सकती है।
समझदारी जरूरी
एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीएसटी दरों में सुधार से कंज्यूमर डिमांड में तेजी आ सकती है। इसके चलते ऑटो, FMCG और दूसरे कंजम्प्शन थीम वाले म्यूचुअल फंड्स को फायदा हो सकता है। लेकिन निवेशकों को जल्दबाजी से बचना चाहिए। मीनोचा ने सलाह दी कि पोर्टफोलियो का केवल 5–10% हिस्सा ही थीमैटिक फंड्स में लगाना चाहिए, जबकि लंबे समय के लिए डायवर्सिफाइड फंड्स जैसे फ्लेक्सी-कैप बेहतर विकल्प हैं।
मीनोचा ने कहा कि निवेशकों को शॉर्ट-टर्म ट्रेंड्स के पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि अपने वित्तीय लक्ष्यों, निवेश के लिए समय सीमा और जोखिम उठाने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए निवेश करना चाहिए।
कंजम्प्शन फंड्स के लिए सुनहरा मौका?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि GST दरों में कटौती से स्पष्ट रूप से मांग में इजाफा देखने को मिल सकता है। ऑटो, FMCG, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और इंश्योरेंस सेक्टर में इससे नई जान आ सकती है। ऐसे में कंजम्प्शन-आधारित थीमैटिक फंड्स और निफ्टी इंडिया कंजम्प्शन इंडेक्स (Nifty India Consumption Index) जैसे प्रोडक्ट निवेशकों को अच्छे मौके दे सकते हैं।
विरल भट्ट ने कहा, "यह सुधार कॉरपोरेट अर्निंग्स और मांग दोनों को संरचनात्मक बढ़ावा दे सकता है, किन एक ही सेक्टर पर पूरी तरह से निर्भर रहने के बजाय, एक डायवर्सिफाइड नजरिया अपनाना अधिक सुरक्षित रहेगा।"
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