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Zomato पर जेफरीज के क्रिस वुड की 'कभी हां-कभी ना' की रणनीति के ये हैं तीन एपिसोड

Zomato पर वैश्विक निवेश बैंक जेफरीज अपना मन नहीं बना पा रहा है। जेफरीज के Christopher Wood ने पिछले हफ्ते जोमैटो को अपने दो लॉन्ग पोर्टफोलियो में शामिल किया। ऐसा जेफरीज द्वारा अपने मॉडल इंडिया पोर्टफोलियो से स्टॉक को हटाने के कुछ महीने बाद आया है। फिर कुछ महीनों के भीतर ही पोर्टफोलियो से निकाल दिया

अपडेटेड Jun 03, 2023 पर 8:57 AM
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Zomato पर पिछले साल जुलाई में जेफरीज ने 100 रुपये के टारगेट प्राइस और एक बड़े भरोसे के साथ 'खरीदारी' की रेटिंग दी थी
     
     
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    राजनीति में स्थायी मित्र या स्थायी शत्रु नहीं होते, केवल स्थायी हित होते हैं, ऐसी कहावत है। यही नियम शेयर बाजार पर भी लागू होता है, जब यह 'खरीदने' और 'बेचने' की रेटिंग की बात आती है - वे तुरंत बदल सकते हैं। जोमैटो (Zomato) में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है, क्योंकि वैश्विक निवेश बैंक जेफरीज स्टॉक पर सही से अपना मन नहीं बना पा रहा है। पिछले हफ्ते जेफरीज के क्रिस्टोफर वुड (Christopher Wood) ने जोमैटो को अपने दो लॉन्ग पोर्टफोलियो में शामिल किया। जिसमें प्रत्येक को 4 प्रतिशत का वेट दिया गया। यह मूव जेफरीज द्वारा अपने मॉडल इंडिया पोर्टफोलियो से स्टॉक को हटाने के कुछ महीने बाद आया है। दिलचस्प बात यह है कि मनी मैनेजर द्वारा स्टॉक की तारीफ किये जाने के कुछ महीनों के भीतर ही इसको पोर्टफोलियो से निकाल भी दिया।

    इन मूव्स में तीन-एपिसोड की मिनी सीरीज शामिल हैं। संभवतः इसका शीर्षक द हाउस ऑफ कॉन्ट्राडिक्शन हो सकता है।

    Episode 1

    कहानी पिछले साल जुलाई में शुरू हुई जब Zomato के शेयरों में IPO में निवेशकों के लिए लॉक-इन अवधि की समाप्ति के बाद तेजी आ रही थी। उस समय जेफरीज ने ‘Night is darkest just before the dawn’ (सुबह से ठीक पहले रात काली होती है) शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की। उस रिपोर्ट में विश्लेषकों ने शेयर को 100 रुपये के लक्ष्य मूल्य के साथ ही एक बड़े भरोसे के साथ 'खरीदारी' की कॉल दी थी। उस समय स्टॉक अपने लिस्टिंग मूल्य से 67 प्रतिशत (शिखर से बहुत अधिक) नीचे गिरा था। उस समय ये करीब 42 रुपये पर करोबार कर रहा था।


    इस रिपोर्ट पर बहुत मीम बने और सोशल मीडिया पर निवेशकों (और ट्रोल्स) ने कॉल को खारिज कर दिया। वे क्यों नहीं करेंगे? उन्होंने शेयर के शिखर भाव से 75 प्रतिशत तक नीचे आने के साथ बहुत पैसा गंवा दिया था। निवेशकों के घाव ताजा थे।

    इसके बाद उसी महीने एक और रिपोर्ट आई, जिसका शीर्षक था, 'Fear has overshadowed greed' (लालच पर हावी हुआ भय), जिसमें जेफरीज ने अपने पहले के कॉल को 'हाई कन्विक्शन बाय' करार दिया और अपने कॉल का बचाव किया।

    Episode 2

    दूसरा एपिसोड दिसंबर में शुरू हुआ, पांच महीने बाद जेफरीज ने फूड-टेक कंपनी का जोरदार सपोर्ट किया। इस मोड़ पर, इसकी इक्विटी रणनीति टीम ने पलटी मारी। उन्होंने Zomato को अपने इंडिया मॉडल पोर्टफोलियो से हटा दिया, जिसने सभी को चौंका दिया।

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    महेश नंदुरकर और अभिनव सिन्हा ने लिखा, "इसके बाद के रणनीतिक कदम (जोमैटो से बाहर निकलने) के लिए, हम सेक्टर में प्रतिस्पर्धी गतिविधि में संभावित वृद्धि से सावधान हैं। इसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी स्विगी (Swiggy) ने हाल ही में बाजार हिस्सेदारी में कमी देखी है।"

    Zomato के 'हाई कन्विक्शन बाय' होने से लेकर उसके पोर्टफोलियो में जगह नहीं मिलने में सिर्फ पांच महीने लगे थे।

    Episode 3

    तीसरा एपिसोड पिछले हफ्ते शुरू हुआ। एक अन्य मूव में, वुड ने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस की जगह भारत के लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में जोमैटो को जोड़ दिया। वुड भारतीय इक्विटी बाजार में खपत-आधारित बाजार रिटर्न में अपने विश्वास के बारे में बहुत मुखर हैं। उन्होंने अपने इस कदम के लिए कोई स्पष्टीकरण दिए बिना ये फैसला लिया। आम तौर पर वे ऐसा नहीं करते हैं। स्टॉक को समान वेट के साथ उनके ग्लोबल लॉन्ग इक्विटी पोर्टफोलियो में जगह मिली। जिसके बदले JD.com और अलीबाबा (Alibaba) में निवेश को कम किया गया। वुड आमतौर पर ठोस तर्क के साथ अपनी चाल की पुष्टि करते हैं।

    उन्होंने 1 जून को अपने अगले न्यूजलेटर में अपने कदम की व्याख्या की। उन्होंने लिखा, “ग्रीड एंड फीयर ने पिछले सप्ताह भारत और एशिया पूर्व-जापान लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में स्टॉक को शामिल किया।

    यह मान लेना सुरक्षित है कि वे भारत में जोमैटो के लिए बहुत बड़े अवसर और मार्केट कैप के विस्तार की संभावना का जिक्र कर रहे हैं। इसके अलावा कंपनी ने मुनाफा कमाने पर फोकस करना शुरू कर दिया है और प्रयास नतीजे दिखा रहे हैं। वास्तव में प्रॉफिटेब्लिटी के संकेत दिसंबर में भी दिखाई दे रहे थे, जब जेफरीज की इक्विटी रणनीति टीम ने स्टॉक को बाहर कर दिया था।

    (डिस्क्लेमरः Moneycontrol.com पर दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।)

     

     

     

     

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