Hindenburg Research Report: विनोद अदाणी की तरह सेबी चीफ माधबी और उनके पति धवल बुच ने विदेशी फंड में पैसा लगाया, जानिए क्या हैं आरोप
हिंडनबर्ग का दावा है कि अदाणी ग्रुप के विदेशी फंड में माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का स्टेक था और इन दोनों ने भी उसी तरह फंड में जटिल स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हुए पैसा लगाया, जैसे गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी ने किया था, जानिए कैसे हुआ था ये निवेश
Hindenburg Research Report: सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर क्या आरोप लगे हैं, समझिए पूरा मामला
करीब डेढ़ साल पहले जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अरबपति गौतम अदाणी के खिलाफ एक रिपोर्ट पेश करके शेयर मार्केट में जलजला मचा दिया था। अब हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार 10 अगस्त को मार्केट रेगुलेटर सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति को कटघरे में खड़ा कर दिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अदाणी ग्रुप के ऑफशोर यानि विदेशी फंड में सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति की हिस्सेदारी थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने यह रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर पोस्ट की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, "मार्केट रेगुलेटर सेबी हेड माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास बरमुडा और मॉरिशस फंड्स में स्टेक था जिसका लिंक विनोद अदाणी से जुड़ा है।" विनोद अदाणी दुबई में रहते हैं और गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने उसी जटिल तरीके का इस्तेमाल करके ऑफशोर फंड में पैसा लगाया था जैसा कि विनोद अदाणी ने किया था।
सेबी चीफ ने कैसे ली हिस्सेदारी?
360 वेल्थ ऑनलाइन ने बरमुडा में एक ऑफशोर यानि विदेशी फंड बनाया। इसका फंड का नाम ग्लोबल ऑर्प्च्यूनिटीज फंड (Global Opportunities Fund) था। बरमुडा एक टैक्स हैवन देश है। और 360 वेल्थ ऑनलाइन IIFL का नया नाम है।
Global Opportunities Fund के तहत एक सब-फंड बनाया गया जिसे Global Dynamic Opportunities Fund के नाम से रजिस्टर कराया गया था। हिंडनबर्ग रिसर्च का दावा है कि विनोद अदाणी की एक कंपनी ने इस फंड (Global Dynamic Opportunities Fund) में निवेश किया है। और ये विनोद अदाणी, गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
इसके बाद Global Dynamic Opportunities Fund ने अदाणी ग्रुप का पैसा एक सब-फंड (IPE Plus Fund) में निवेश किया था। यह छोटा सा सब-फंड मॉरीशस में रजिस्टर्ड था। और मॉरीशस भी एक टैक्स हैवन देश है। इस फंड हाउस ने अपना पैसा डोमेस्टिक शेयर मार्केट में लगाया और भारतीय शेयर बाजार के शेयरों में खरीद-फरोख्त की।
माधबी पुरी बुच का कैसे आया नाम
व्हिसलब्लोअर कंपनी Hindenburg Research रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमुडा और मॉरिशस के इन फंड हाउस में गुपचुप स्टेक लिया था। विनोद अदाणी ने जिस जटिल स्ट्रक्चर का इस्तेमाल उसमें सेबी चेयरपर्सन भी शामिल थीं।
Hindenburg Research रिपोर्ट के मुताबिक माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून 2015 को सिंगापुर के IPE Plus Fund में अपना अकाउंट खुलवाया था। फंड के डिक्लेयरेशन के मुताबिक, माधबी बुच और उनके पति ने अपनी सैलरी के पैसे से निवेश किया था। और उनकी नेटवर्थ करीब 1 करोड़ डॉलर थी। फंड के डिक्लेयरेशन पेपर पर IIFL का साइन भी था।
Hindenburg Research के पास मौजूद डॉक्यूमेंट के मुताबिक, माधबी पुरी बुच को सेबी का होल टाइम मेंबर ( Whole Time Member) बनाने से पहले उनके पति धवल बुच ने मॉरिशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर को ट्राइडेंट ट्रस्ट में निवेश को लेकर एक लेटर लिखा था। यह मेल Global Dynamic Opportunities Fund को लेकर था।
रिपोर्ट के मुताबिक, धवल बुच ने एक ईमेल के जरिए यह निवेदन किया था कि फंड हाउस के अकाउंट से माधबी बुच का नाम हटाकर सिर्फ उन्हें एकमात्र अकाउंट होल्डर बना दिया जाए। इस मेल से ऐसा लग रहा है कि राजनीतिक तौर पर संवेदनशील पद (सेबी चीफ) पर नियुक्ति से पहले वो चाहते थे कि उनकी पत्नी का नाम अकाउंट से हट जाए।
उस वक्त बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 872,762.25 डॉलर थी। अगर आज रुपए में इस निवेश की वैल्यू देखें तो 73269327.64 रुपए होती है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक, 25 फरवरी 2018 को माधबी बुच ने अपने पर्सनल अकाउंट से फंड रिडीम करने के लिए IIFL को मेल लिखा था। इस वक्त माधबी पुरी बुच सेबी की चेयरपर्सन बन चुकी थीं।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुताबकि, "अगर संक्षेप में इस पूरे मामले को समझें तो मेनस्ट्रीम की हजारों घरेलू प्रतिष्ठित भारतीय म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट्स होने के बावजूद सेबी चीफ और उनके पति ने बाहर के मल्टीलेयर वाले फंड में अपना पैसा लगाया। वो भी तब जब माधबी पुरी बुच पर शेयर मार्केट के बेहतर ढंग से रेगुलेटर की जिम्मेदारी है। माधबी और धवल बुच ने अपना पैसा उस फंड में लगाया जिसका इस्तेमाल विनोद अदाणी ने अपने पैसों को ठिकाने लगाने के लिए कहा।"
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हमें इस बात का अंदेशा है कि अदाणी ग्रुप के संदेहास्पद ऑफशोर शेयरहोल्डर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में सेबी की सुस्ती, बुच दंपत्ति का उसी फंड का इस्तेमाल करना जिसका इस्तेमाल गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी करते थे..दोनों में मिलीभगत के कारण हो सकती थी।