Hindenburg Research Report: शेयर बाजार पर नहीं हुआ रिपोर्ट का असर, क्या ये कोई गहरी साजिश थी जिससे उबर गए हम?
ये पूरी कहानी बताने से पहले एक जरूरी बात ये है कि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा था कि रीडर ये मान कर चलें कि जिन कंपनियों का नाम उसके रिपोर्ट में शामिल हैं उनमें उसकी
अमेरिकी शॉर्ट सेलर Hindenburg Research ने एक बार फिर भारत से जुड़ा बड़ा दावा किया था लेकिन इस बार बाजार पर इसका असर नहीं हुआ
हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त की रात को अपनी वेबसाइट पर एक ब्लॉग पोस्ट करके सेबी की चेयरपर्सन माधबी और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाएं। आप ये तो जानते ही होंगे कि सेबी मार्केट रेगुलेटर है यानि शेयर बाजार में जो कुछ भी हो रहा है वो सही तरीके से हो..इसकी जिम्मेदारी सेबी की ही है। माधबी सेबी की बॉस हैं। लेकिन इस बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर शेयर बाजार पर नहीं हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 56.98 अंक गिरकर 79,648.92 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 20.50 अंक नीचे 24,247 पर बंद होने में कामयाब रहा।
अब उन आरोपों के बारे में जान लीजिए जो हिंडनबर्ग ने सेबी के बॉस और उनके पति पर लगाए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च का पहला आरोप है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने उसी कॉम्प्लिकेटड तरीके से उस फंड में पैसा लगाया है जिसमें विनोद अदाणी का पैसा लगा था। रिपोर्ट के मुताबिक, "मार्केट रेगुलेटर सेबी हेड माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास बरमुडा और मॉरिशस फंड्स में स्टेक था जिसका लिंक विनोद अदाणी से जुड़ा है।" विनोद अदाणी दुबई में रहते हैं और गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
ये पूरी कहानी बताने से पहले एक दिलचस्प बात ये है कि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा था कि रीडर ये मान कर चलें कि जिन कंपनियों का नाम उसके रिपोर्ट में शामिल हैं उनमें उसकी शॉर्ट पोजीशन हो सकती है। कहीं ये पूरी रिपोर्ट मुनाफा बनाने का एक जरिया तो नहीं था। सेबी, सरकार और जाने माने मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह भारतीय शेयर बाजार के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश है।
क्या थी पूरी कहानी
अब ये जान लीजिए कि माधबी और उनके पति धवल बुच ने कैसे इस फंड में स्टेक लिया था। दरअसल ये पूरी कहानी शुरू होती है IIFL के एक फंड से। IIFL का नाम अब बदलकर
360 वेल्थ ऑनलाइन हो चुका है। तो इस कंपनी ने बरमुडा में एक ऑफशोर यानि विदेशी फंड बनाया। इसका फंड का नाम ग्लोबल ऑर्प्च्यूनिटीज फंड (Global Opportunities Fund) था। ये भी जानना जरूरी है कि बरमुडा एक टैक्स हैवन देश है।
Global Opportunities Fund के तहत एक सब-फंड बनाया गया जिसे Global Dynamic Opportunities Fund नाम दिया गया था। हिंडनबर्ग रिसर्च का दावा है कि विनोद अदाणी की एक कंपनी ने इस फंड यानि Global Dynamic Opportunities Fund में निवेश किया था। इसके बाद Global Dynamic Opportunities Fund ने अदाणी ग्रुप का पैसा एक और सब-फंड यानि IPE Plus Fund में निवेश किया था। यह छोटा सा सब-फंड मॉरीशस में रजिस्टर्ड था। और मॉरीशस भी एक टैक्स हैवन देश है। इस फंड हाउस ने अपना पैसा डोमेस्टिक शेयर मार्केट में लगाया और भारतीय शेयर बाजार के शेयरों में खरीद-फरोख्त की।
लेकिन इन सब में माधबी पुरी बुच का नाम कैसे फंसा ये भी जान लेते हैं। Hindenburg Research रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमुडा और मॉरिशस के इन फंड हाउस में गुपचुप स्टेक लिया था। रिपोर्ट के मुताबिक माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून 2015 को सिंगापुर के IPE Plus Fund में अपना अकाउंट खुलवाया था। फंड के डिक्लेयरेशन के मुताबिक, माधबी बुच और उनके पति ने अपनी सैलरी के पैसे से निवेश किया था। और उनकी नेटवर्थ करीब 1 करोड़ डॉलर थी। फंड के डिक्लेयरेशन पेपर पर IIFL का साइन भी था।
Hindenburg Research के पास जो डॉक्यूमेंट मौजूद हैं उसके मुताबिक, माधबी पुरी बुच को सेबी का होल टाइम मेंबर बनाने से पहले उनके पति धवल बुच ने मॉरिशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर एक लेटर लिखा था जो Global Dynamic Opportunities Fund को लेकर था। धवल बुच ने एक ईमेल के जरिए यह निवेदन किया था कि फंड हाउस के अकाउंट से माधबी बुच का नाम हटाकर सिर्फ उन्हें एकमात्र अकाउंट होल्डर बना दिया जाए। इस मेल से ऐसा लग रहा है कि, चूंकि सेबी चीफ का पद राजनीतिक तौर पर संवेदनशील पद होता है इसलिए वे लोग नियुक्ति से पहले विदेशी फंड हाउस के अकाउंट से अपनी पत्नी माधबी बुच का नाम हटाना चाहते थे।
उस वक्त बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 872,762.25 (8 लाख 72 हजार) डॉलर थी। 25 फरवरी 2018 को माधबी बुच ने अपने पर्सनल अकाउंट से फंड रिडीम करने के लिए IIFL को मेल लिखा था। इस वक्त तक माधबी पुरी बुच सेबी की चेयरपर्सन बन चुकी थीं। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, "अगर संक्षेप में इस पूरे मामले को समझें तो मेनस्ट्रीम की हजारों घरेलू प्रतिष्ठित भारतीय म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट्स होने के बावजूद सेबी चीफ और उनके पति ने बाहर के मल्टीलेयर वाले फंड में अपना पैसा लगाया। वो भी तब जब माधबी पुरी बुच पर शेयर मार्केट को बेहतर ढंग से रेगुलेट करने की जिम्मेदारी थी।"
Hindenburg Research Report: क्या था दूसरा आरोप
हिंडनबर्ग का दूसरा आरोप है कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के बीच सेबी चेयरपर्सन रहते हुए माधबी बुच सिंगापुर की ऑफशोर कंसल्टिंग फर्म Agora Partners की 100 फीसदी मालकिन थीं। लेकिन नियुक्ति के तुरंत बाद उन्होंने इस फर्म का मालिकाना हक पति को सौंप दिया। इस कंपनी को फाइनेंशियल स्टेटमेंट डिस्क्लोज करने से पूरी छूट थी। इसलिए इस बात का पता नहीं चल पाया है कि इस कंपनी ने उनकी क्या कमाई होती थी। हिंडनबर्ग का कहना है कि चेयरपर्सन माधबी बुच की ईमानदारी को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि इस कंपनी ने उनकी कितनी कमाई होती थी। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक, "माधबी बुच प्राइवेट ईमेल के जरिए अपने पति के नाम पर ऑफशोर फंड को मैनेज कर रही थीं।"
Hindenburg Research Report: क्या था तीसरा आरोप
अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग की तरफ से तीसरा आरोप लगाया गया है कि सेबी में बुच के कार्यकाल के दौरान उनके पति धवल बुच को ब्लैकस्टोन में सीनियर एडवाइजर नियुक्त किया गया था। और ब्लैकस्टोन रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) की एक बड़ी इनवेस्टर है। आरोप है कि बुच की लीडरशिप में सेबी ने कई ऐसे रेगुलेटरी बदलावों को पास किए जिससे REITs को फायदा हुआ। इन बदलावों की टाइमिंग और नेचर को ब्लैकस्टोन को होने वाले फायदों से जोड़ कर देखें तो हितों का टकराव साफ नजर आता है।
इंडस्ट्री के कॉन्फ्रेंस के दौरान सेबी की चेयरपर्सन ने REITs को 'भविष्य का फेवरेट प्रोडक्ट' भी बताया है। साथ ही निवेशकों को इस प्रोडक्ट को पॉजिटिव तरीके से देखने का निवेदन भी किया था। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि बुच ने ये बातें बताते हुए कभी भी ब्लैकस्टोन का जिक्र नहीं किया जिसे इसका फायदा हो रहा था। और जिसके एडवाइजर उनके पति थे।
Hindenburg Research Report: क्या था चौथा आरोप
हिंडनबर्ग की तरफ से चौथा और आखिरी आरोप है कि माधबी पुरी बुच एक कंसल्टिंग फर्म Agora Advisory में 99 फीसदी हिस्सेदारी रखती हैं। इस कंपनी में उनके पति डायरेक्टर हैं। कंपनी की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक, फिस्कल ईयर 2022 में इस कंपनी को कंसल्टिंग से 1.98 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। यह माधबी पुरी बुच की सेबी की होल टाइम मेंबर की सैलरी के मुकाबले 4 गुना से भी ज्यादा था। आज तक इस कंपनी में 99 फीसदी हिस्सेदारी माधबी बुच की है। और उनके पति डायरेक्टर हैं।
हालांकि माधबी पुरी बुच और उनके पति ने हिंडनबर्ग की तरफ से लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। बुच दंपत्ति की तरफ से जारी ज्वाइंट बयान में कहा गया है, "10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने हमारे खिलाफ जो आरोप लगाए हैं वो पूरी तरह बेबुनियाद हैं और हम इसका पुरजोर खंडन करते हैं। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। हमारी लाइफ और हमारी फाइनेंशियल स्थिति एक खुली किताब है। पिछले कई साल में सेबी को हमने तमाम डिस्क्लोजर दिए हैं। हमारे सभी फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट्स उस समय के हैं जब हम सिर्फ नागरिक थे। वैसे अगर अथॉरिटी किसी पेपर की मांग करता है तो हमें उसे देने में नहीं हिचकिचाएंगे।"
अपने ज्वाइंट स्टेटमेंट में बुच दंपत्ति ने ये भी कहा है कि आगे पारदर्शिता बनाए रखने के लिए वह और डिटेल स्टेटमेंट जारी करेंगे। बुच ने ये भी कहा है कि, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिसके खिलाफ सेबी ने कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस भेजा था वो इसके जवाब में गलत इल्जाम लगा रहा है।" अदाणी ग्रुप ने कहा है कि हिंडनबर्ग ने यह रिपोर्ट अपने निजी फायदे के लिए जारी किया है और इसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।