भारतीय शेयर बाजार का बेंचमार्क एनएसई निफ्टी50 इंडेक्स बुधवार को 0.31% गिरकर 17,475.65 पर बंद हुआ। एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 0.41% गिरकर 58,338.93 पर बंद हुआ। 10 साल का बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड 7.2148% पर बंद हुआ जबकि रुपया डॉलर के मुकाबले 76.1750 पर बंद हुआ। वहीं सार्वजनिक अवकाश के कारण गुरुवार और शुक्रवार को बीएसई और एनएसई दोनों कारोबार के लिए बंद रहे।
अब अगले सोमवार को मार्केट खुलने पर भारतीय शेयर बाजारों पर दबाव रहने की संभावना है। दूसरी तरफ वॉल स्ट्रीट से नकारात्मक बढ़त के बाद आज ज्यादातर एशियाई बाजार लाल निशान में रहे। बढ़ती मुद्रास्फीति, यूक्रेन-रूस युद्ध ने कोविड -19 महामारी से वैश्विक आर्थिक रिकवरी की अनिश्चितता को बढ़ाया। वहीं आज यूरोपीय और अमेरिकी शेयर बाजार बंद हैं।
Religare Broking के अजीत मिश्रा ने कहा “भारतीय बाजारों पर सोमवार यानी 18 अप्रैल को दो प्रमुख कंपनियों यानी इंफोसिस (Infosys)और एचडीएफसी बैंक (HDFC BANK) के नतीजों का असर दिखेगा। इसके अलावा वैश्विक मोर्चे पर कोई भी बड़ा डेवलपमेंट भी रुझानों को प्रभावित करेगा। निफ्टी फिलहाल 17,400 के आसपास डेली चार्ट पर 20 EMA का बचाव कर रहा है। यदि ये यहां से टूटता है तो इसमें 17,250 के जोन भी देखने को मिल सकते हैं। वहीं इसमें रिबाउंड की बात करें तो 17,650-17,750 का जोन तत्कालिक रेजिस्टेंस बना हुआ है।"
एचडीएफसी बैंक शनिवार (16 अप्रैल 2022) को अपने नतीजे जारी करेगा। इंफोसिस ने बुधवार को बाजार बंद होने के बाद नतीजे घोषित किये थे। इसके सेल्स के आंकड़ों ने विश्लेषकों के अनुमानों को पीछे छोड़ दिया।
Samco Securities के येशा शाह ने कहा “वीकली चार्ट पर इंडेक्स ने एक ईवनिंग स्टार कैंडलस्टिक पैटर्न बनाया है, जो मंदी का संकेत देता है। अक्टूबर 2021 के हाई के बाद बेंचमार्क इंडेक्स पर लोअर टॉप लोअर बॉटम पैटर्न बन रहा है। ब्रॉडर इंडेक्सेस में भी एक समान ट्रेंड दिख रहा है। बाजार का ओवरऑल स्ट्रक्चर बेयरिश होता हुआ नजर आ रहा है। निफ्टी में 17,450 के स्तर से नीचे गिरावट आने पर ये 16,900 जोन में फिर से जा सकता है। इस प्रकार ट्रेडर्स को अगले हफ्ते में मामूली रूप से बेयरिश आउटलुक बनाए रखना चाहिए। दूसरी तरफ 17,850 के रेजिस्टेंस लेवल से ऊपर की चाल दिखने पर बेयरिश आउटलुक खतम होता नजर आ सकता है।
मिंट में छपी खबर के मुताबिक अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन के सेंट्रल बैंकों ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कर दी है। इसके अलावा रूस-युक्रेन संकट पर बाजार की निगाहें बनी हुई हैं क्योंकि रूस वैश्विक रूप से तेल और गैस का बड़ा सप्लायर है। इसके अलावा अनाज सेक्टर से जुड़े कारोबार में भी रूस और युक्रेन बड़े खिलाड़ी हैं।
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